सीरिया में क्यों हो रहा है गृहयुद्ध, विद्रोहियों की क्या है मांग; यहां जानिए सबकुछ

सीरियाई सैनिकों के तेज़ी से पीछे हटने के बाद विद्रोही बलों ने देश के उत्तर-पश्चिम के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है.इधर अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को कहा कि अमेरिका को सीरिया में संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहिए.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

सीरिया (Syria) में सरकार और विद्रोहियों के बीच लड़ाई तेज हो गयी है. विद्रोही बलों ने देश के उत्तर-पश्चिम के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है. विद्रोही राजधानी दमिश्क के करीब पहुंच गए हैं. हालांकि सरकार ने इस बात से साफ इनकार किया कि शहर के ऊपर से उसका नियंत्रण कमजोर हुआ है. समाचार एजेंसी एएफपी ने विद्रोही कमांडर हसन अब्देल गनी के हवाले से दावा किया है कि हमारी सेना ने राजधानी को घेरने का अंतिम चरण शुरू कर दिया है. इधर रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बशर अल-असद ने देश छोड़ दिया है.

सीरिया में क्या हो रहा है? 
सीरिया में पिछले कई सालों से गृहयुद्ध के हालत बने हुए हैं. इससे देश की हालत लगातार खराब होती जा रही है. इस युद्ध की शुरुआत 2011 में हुई थी उस दौरान हुई हिंसा में लाखों लोग मारे गए थे. और लाखों लोग बेघर हो गए थे. यह युद्ध बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ शुरू हुआ था, लेकिन अब इसमें कई अलग-अलग समूह शामिल हो गए हैं, जिनमें विद्रोही समूह, आतंकवादी संगठन और अन्य देशों की सेनाएं शामिल हैं. 

लगातार बिगड़ रहे हैं हालात
युद्ध के कारण सीरिया में एक गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है. लाखों लोग भोजन, पानी और दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं. युद्ध के कारण लाखों सीरियाई शरणार्थी पड़ोसी देशों और यूरोप की तरफ पलायन कर रहे हैं. रूस ने बशर अल-असद सरकार का समर्थन किया है, जबकि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने विद्रोहियों का समर्थन किया है. हालांकि ताजा बयान में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका को सीरियाई संर्घष में शामिल नहीं होना चाहिए. 

Advertisement

असद ने दमिश्क नहीं छोड़ा है:  रक्षा मंत्रालय 
सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सेना बल "दमिश्क के ग्रामीण इलाकों के सभी क्षेत्रों में मौजूद हैं". इसमें कहा गया है, "इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है कि हमारे सशस्त्र बल दमिश्क के पास के स्थानों से पीछे हट गए हैं." सीरिया के रक्षा मंत्रालय ने उन रिपोर्टों का खंडन किया कि असद ने दमिश्क छोड़ दिया है, उन्होंने कहा कि वह "राजधानी से अपने काम और राष्ट्रीय और संवैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे थे".

Advertisement

सीरिया में विद्रोहियों की क्या मांग है? 
सीरिया में विद्रोहियों की मांगें समय के साथ और विभिन्न गुटों के अनुसार बदलती रही हैं. उनकी सबसे बड़ी मांग है बशर अल-असद के शासन का अंत. 

Advertisement
  • बशर अल-असद शासन का अंत: अधिकांश विद्रोही गुटों का मुख्य उद्देश्य बशर अल-असद को सत्ता से हटाना और एक नई सरकार स्थापित करना है. इसके लिए वो लंबे समय से लड़ाई लड़ रेह हैं.
  • लोकतंत्र की स्थापना: विद्रोही लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार की स्थापना चाहते हैं और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की मांग करते हैं. 
  • मानवाधिकारों का संरक्षण: विद्रोही सरकार द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकना चाहते हैं और सभी नागरिकों को बुनियादी अधिकार प्रदान करना चाहते हैं. 
  • देश की एकता और अखंडता: कई विद्रोही गुट देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना चाहते हैं और देश को विभाजित होने से बचाना चाहते हैं. 
  • धार्मिक गुट: कुछ धार्मिक गुट इस्लामी शासन की स्थापना चाहते हैं और देश को इस्लामी कानून के अनुसार चलाना चाहते हैं. 

कौन-कौन से विद्रोही गुट हैं सक्रिय? 
सीरिया में विद्रोही गुटों की संख्या काफी बड़ी है और समय के साथ इनकी संरचना और गठजोड़ में बदलाव भी होता रहा है. इन गुटों को विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं और बाहरी देशों का भी समर्थन मिलता रहा है. सीरिया में विद्रोही गुटों में भी कई तरह के आपसी फूट हैं. उनकी लड़ाई की वजहें और उद्देश्य भी अलग-अलग हैं.  कुछ गुट बशर अल-असद शासन को उखाड़ फेंकना चाहते हैं, तो कुछ धार्मिक कारणों से लड़ रहे हैं. 

Advertisement

Photo Credit: https://syria.liveuamap.com/

कुछ प्रमुख विद्रोही गुट ये हैं

  • हयात तहरीर अल-शाम (HTS): यह गुट अल-कायदा से जुड़ा हुआ माना जाता है और सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुटों में से एक है. इसने सीरिया के कई इलाकों पर नियंत्रण कर लिया है.
  • सीरियन नेशनल आर्मी (SNA): तुर्की का समर्थन प्राप्त यह गुट सीरियाई विपक्ष का एक मजबूत समूह है. इसे विभिन्न छोटे गुटों का समर्थन प्राप्त है.
  • अह्रार अल-शाम: यह एक इस्लाम विद्रोही गुट है, जो सीरिया में सक्रिय है.
  • अल-नुसरा फ्रंट: यह गुट भी अल-कायदा से जुड़ा हुआ था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर हयात तहरीर अल-शाम कर दिया गया. 

जॉर्डन ने सीरिया से लगने वाले बॉर्डर को बंद किया
जॉर्डन के गृह मंत्री माजेन फराया ने दक्षिणी सीरिया में बिगड़ते हालात को देखते हुए जाबेर बॉर्डर को बंद करने की घोषणा की है.  शुक्रवार को मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इस निर्णय के तहत जॉर्डन के नागरिकों और ट्रकों को राज्य में लौटने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन सीरियाई क्षेत्रों में जाने वाले पर प्रतिबंध रहेगा. बयान के अनुसार, मंत्रालय ने कहा कि जॉर्डन सीरिया पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। वहीं सीमाओं पर सशस्त्र बल तैनात है. 

भारत ने जारी किया अपने नागरिकों के लिए परामर्श
सीरिया में जारी हिंसा के मद्देनजर भारत ने अपने नागरिकों को वहां की यात्रा से बचने की सलाह दी है.  शुक्रवार को जारी एक परामर्श में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सीरिया में रह रहे भारतीय नागरिकों से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने को भी कहा है.  इस्लामी विद्रोहियों ने बृहस्पतिवार को देश के सबसे बड़े शहर अलेप्पो के अधिकांश हिस्से पर कब्जा करने के बाद मध्य सीरिया के शहर होम्स पर लगभग कब्जा कर लिया। हजारों लोग होम्स से भाग रहे हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘सीरिया में मौजूदा हालातों को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है.'' इसमें कहा, ‘‘सीरिया में रह रहे भारतीयों से अनुरोध है कि वे जानकारी के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और आधिकारिक ईमेल आईडी के माध्यम से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें.'' मंत्रालय ने कहा, ‘‘जो लोग जा सकते हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वे जल्द से जल्द उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों से चले जाएं तथा अन्य लोगों से अनुरोध है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर सावधानी बरतें तथा कम से कम आवाजाही करें.''
 

Featured Video Of The Day
Global Warming का कहर: हिमालय के ग्लेशियर और Uttarakhand की 5 हाई-रिस्क झीलें
Topics mentioned in this article