सीरिया: दमिश्‍क पर बागियों का कब्जा, जानिए कौन हैं लंबे समय से चल रहे गृह युद्ध के 8 'इंटरनेशनल खिलाड़ी'

सीरिया में पिछले कई सालों से गृहयुद्ध चल रहा है. 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान सीरिया में भी लोकतांत्रिक परिवर्तन की मांग उठी थी जिसे सरकार ने दबा दिया था. जिसके बाद आंदोलन लगातार भड़कता ही चला गया. ताजा हालात यह हैं कि विद्रोहियों ने देश के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया है.

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नई दिल्ली:

सीरिया (Syria) में सरकार और विद्रोहियों के बीच लंबे संघर्ष के बाद विद्रोहियों ने देश पर कब्जा कर लिया है.  राष्ट्रपति बशर अल असद का मजबूत किला दमिश्क भी ढह गया है. खबरों के अनुसार विद्रोही गुट दामिश्क पहुंच गए हैं. राष्ट्रपति बशर अल असद दमिश्‍क छोड़ कर भाग गए हैं. सीरिया में पिछले लगभग एक दशक से गृहयुद्ध जारी है. कई विद्रोही गुट अपने अलग-अलग मांगों के साथ युद्ध में हिस्सा ले रहे हैं. इन तमाम गुटों को किसी न किसी बाहरी गुट का साथ मिलता रहा है. आइए जानते हैं वो कौन-कौन से खिलाड़ी हैं जो सीरिया में जारी गृहयुद्ध में अहम भूमिका निभा रहे हैं. 

सीरिया के गृहयुद्ध में अमेरिका का क्या है रोल
सीरिया के गृहयुद्ध में अमेरिका की भूमिका काफी विवादास्पद रही है. समय के साथ अमेरिका की नीतियां सीरिया को लेकर बदलती रही हैं. अमेरिका ने शुरुआत में बशर अल-असद शासन का विरोध किया और विपक्षी समूहों को राजनीतिक और मानवीय सहायता प्रदान की थी. हालांकि, अमेरिका को अल-कायदा से जुड़े विद्रोही समूहों के बढ़ते प्रभाव की भी चिंता रही है. अमेरिका ने सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) का समर्थन किया, जिसमें कुर्द बलों का प्रमुख योगदान था.  अमेरिका ने अल-असद शासन के खिलाफ सीमित सैन्य कार्रवाई भी की थी. हालांकि ट्रम्प पर अस असद के शासन को बचाने के प्रयास का भी आरोप लगता रहा है. 

असद को मिलता रहा है ईरान और हिजबुल्लाह का साथ
सीरिया के गृहयुद्ध में ईरान और हिजबुल्लाह की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है. दोनों ने बशर अल-असद शासन को सैन्य, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन समय-समय पर दिया है. ईरान के क्यूड्स फोर्स के कमांडर क़ासिम सुलेमानी को सीरिया में ईरानी हस्तक्षेप का मुख्य वास्तुकार माना जाता था.ईरान ने सीरियाई सेना को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति की कई बार की.  हिजबुल्लाह ने सीरिया में बड़ी संख्या में लड़ाके भेजे थे. ईरान और हिजबुल्लाह दोनों शिया मुस्लिम बहुल देश हैं और सीरिया में अल्पसंख्यक शिया समुदाय का समर्थन करते हैं.  ईरान और हिजबुल्लाह दोनों इजरायल के विरोधी हैं और सीरिया में इजरायल के प्रभाव को कम करना चाहते हैं.

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सीरिया के गृहयुद्ध में रूस की क्या भूमिका रही है
सीरिया के गृहयुद्ध में रूस की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है. रूस ने बशर अल-असद शासन को हर स्तर पर मदद पहुंचायी है.  2015 में रूस ने सीरिया में हवाई हमले कर विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई की थी. रूस ने सीरियाई सेना को बड़ी मात्रा में सैन्य उपकरण और हथियार उपलब्ध कराए थे. रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बशर अल-असद शासन का समर्थन किया था और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में शासन को वैधता प्रदान करने का प्रयास किया था. 

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सीरियाई सरकार की क्या है गलती? 
2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान सीरिया में भी लोकतांत्रिक परिवर्तन की मांग उठी थी.  लेकिन बशर अल-असद सरकार ने इन मांगों को दबाने के लिए बल प्रयोग किया. इसी से देश में गृहयुद्ध शुरू हो गया.  सरकार ने शुरुआत से ही विद्रोहियों को दबाने की कोशिश की है। इसने सैन्य बल का प्रयोग किया है और मानवाधिकारों का उल्लंघन भी किया है.  सरकार को ईरान और रूस जैसे देशों से सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक समर्थन लेकर विद्रोहियों पर कार्रवाई की. 

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हयात तहरीर अल-शाम (HTS) है प्रमुख विद्रोही गुट
हयात तहरीर अल-शाम (HTS) सीरिया के गृहयुद्ध में एक प्रमुख विद्रोही गुट है. इस गुट की स्थापना अल-कायदा से जुड़े एक अन्य गुट 'जब्हात अल-नुसरा' के रूप में हुई थी. बाद में इसने अपना नाम बदलकर हयात तहरीर अल-शाम रख लिया. यह गुट इस्लामी विचारधारा पर आधारित है और शरिया कानून लागू करने की वकालत करता है.  HTS का इदलिब प्रांत में काफी प्रभाव है और इसने इस क्षेत्र के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर रखा है. 

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कुर्द सेना क्या है? 
कुर्द सेना सीरिया के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में सक्रिय है.यह मुख्यतः कुर्द जातीय समूह से संबंधित लड़ाकों से मिलकर बनी है.कुर्दिश सेना का मुख्य उद्देश्य कुर्द क्षेत्रों और लोगों की रक्षा करना है.वे कुर्दों के लिए एक स्वायत्त क्षेत्र स्थापित करना चाहते हैं. सीरियाई गृहयुद्ध के दौरान आईएसआईएस ने कुर्द क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की थी, जिसका कुर्द सेना ने विरोध किया था. कुर्द सेना की सफलता के कारण यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी  बनकर उभरा था. 

सीरिया के युद्ध में तुर्की की भी रही है बड़ी भूमिका
तुर्की ने इस संघर्ष में सीधे और परोक्ष दोनों तरह से भाग लिया है. तुर्की का मानना है कि सीरिया में कुर्दों का एक स्वायत्त क्षेत्र बनने से तुर्की में पीकेके को और अधिक बल मिलेगा. इसलिए, तुर्की ने सीरिया में कुर्दों के प्रभाव को कम करने की कोशिश की है.तुर्की ने शुरुआत में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोहियों का समर्थन किया था. तुर्की का मानना था कि असद शासन अस्थिर है और इसे हटा दिया जाना चाहिए.सीरियाई गृहयुद्ध के कारण लाखों लोग शरणार्थी बनकर तुर्की चले गए हैं.  तुर्की ने शुरुआत में सीरियाई विद्रोहियों को हथियार, गोला-बारूद और अन्य सहायता प्रदान की थी.  तुर्की ने सीरिया में कई बार सैन्य अभियान चलाए हैं। इन अभियानों का मुख्य उद्देश्य कुर्दों को पीछे खदेड़ना रहा है. 

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