स्पेशल फ्लाइट, सामूहिक विवाह, होटल बुकिंग : सूर्य ग्रहण को लेकर उत्तरी अमेरिका में बेहद उत्साह

नासा की और से भी सूर्य ग्रहण को लेकर विशेष तैयारी की गयी है.  इस दुर्लभ घटना के दौरान विशेष उपकरणों से लैस नासा के दो WB-57 जेट विमान उड़ेंगे.

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नई दिल्ली:

सूर्य ग्रहण को लेकर सोमवार को उत्तरी अमेरिका (North America) के लोगों में बेहद उत्साह देखने को मिल रहा है. खगोलीय घटना को लेकर वैज्ञानिकों की भी काफी सक्रियता है. जानकारी के अनुसार चंद्रमा की छाया की अधिकतम सीमा स्थानीय समयानुसार सुबह 11:07 बजे (1807 GMT) मैक्सिको के प्रशांत तट पर पहुंचेगी, इसका असर अमेरिका के 15 राज्यों में देखने को मिलेगा. इसके बाद इसका असर कनाडा न्यूफ़ाउंडलैंड में भी पड़ेगा.  टेक्सास और उत्तरपूर्वी अमेरिकी राज्यों में बादल छाए रहने का अनुमान मौसम विभाग के द्वारा लगाया गया था. सूर्य ग्रहण को देखते हुए लोगों ने अपने कार्यक्रमों में भी बदलाव किए हैं. अगला पूर्ण सूर्य ग्रहण, जो उत्तरी अमेरिका के एक बड़े हिस्से में देखा जा सकता है, 2044 तक नहीं आएगा.

वेब स्पेस टेलीस्कोप के वरिष्ठ परियोजना वैज्ञानिक जेन रिग्बी ने कहा है कि , "पूर्ण सूर्य ग्रहण सबसे भावनात्मक घटनाओं में से एक है जिसे कोई भी अनुभव कर सकता है. आप इसके माध्यम से अपनी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं. यह हमें बताता है कि आप ब्रह्मांड का एक हिस्सा हैं.

लोगों में उत्साह, जगह-जगह एकत्र हुए लोग
इस बड़े खगलीय घटना को लेकर लोगों के उत्साह का लाभ व्यवसाय जगत के द्वारा भी उठाया जा रहा है. प्रमुख होटलों और अन्य जगहों पर लोगों के द्वारा इसके लिए बुकिंग की गयी है. लोग एक जगह जमा होकर इसके गवाह बन रहे हैं. साथ ही कई जगहों पर लोगों ने आज ही के दिन शादी करने का फैसला लिया है.

अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ भाग ले रहे 62 वर्षीय जिम साल्टीगेराल्ड ने एएफपी को बताया कि यह हमारा तीसरा सूर्य ग्रहण है. हम सभी प्रार्थना कर रहे हैं कि बादल छटे और हमें इसे देखने का मौका मिले. डेल्टा एयरलाइंस ने दो विशेष उड़ानों की योजना बनाई है, जबकि क्षेत्र के कई स्कूल दिन भर के लिए बंद हैं.  रिसर्च फर्म पेरीमैन ग्रुप का अनुमान है कि इस साल के ग्रहण का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक प्रभाव 6 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. 

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सूर्य ग्रहण को लेकर नासा की तैयारी
नासा की और से भी सूर्य ग्रहण को लेकर विशेष तैयारी की गयी है.  इस दुर्लभ घटना के दौरान विशेष उपकरणों से लैस नासा के दो WB-57 जेट विमान उड़ेंगे.  यह ग्रहण को ट्रैक करेंगे और सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेंगे. नासा का लक्ष्य है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूरज से जुड़े रहस्यों का खुलासा हो.

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कब होता है सूर्य ग्रहण?
यह आकाशीय या खगोलीय घटना हमेशा अमावस्या पर ही होती है. ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य के कुछ ही हिस्से को ढकता है, जिसे आंशिक या खण्ड सूर्य ग्रहण कहते हैं, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है, जब चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढक लिया करता है, जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है. ध्यान रहे, पूर्ण सूर्य ग्रहण को भी पृथ्वी के एक बेहद छोटे हिस्से में ही देखा जा सकता है, जो आमतौर पर ज़्यादा से ज़्यादा 250 किलोमीटर के व्यास में आने वाला क्षेत्र होता है, तथा शेष पृथ्वी पर उसी ग्रहण को आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में ही देखा जा सकता है. अपनी गति के चलते चंद्रमा को पूर्ण सूर्य ग्रहण के मौके पर सूर्य के सामने से गुज़रने में लगभग दो घंटे का वक्त लगता है, और इसी दौरान चंद्रमा ज़्यादा से ज़्यादा सात मिनट के लिए सूर्य को पूरी तरह ढकता है, और इस दौरान पृथ्वी के उस हिस्से में दिन के समय भी रात जैसा माहौल बन जाता है.

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क्या होता है पूर्ण सूर्य ग्रहण...?
पृथ्वी की परिक्रमा करते-करते जिस वक्त चंद्रमा अपने ग्रह पृथ्वी के बेहद करीब हो, और उसी वक्त वह सूर्य को ढक ले, तो सूर्य का दिखना पूरी तरह रुक जाता है, जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं. इस स्थिति में सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक कतई नहीं पहुंच पाती, और अंधेरा छा जाता है (हालांकि ऐसा पृथ्वी के बेहद छोटे हिस्से में ही होता है). ऐसे ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं.

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