- भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन पर जा रहे हैं.
- मिशन का लॉन्च 25 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे होगा.
- शुभांशु ISS जाने वाले पहले भारतीय और दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं.
तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख… आखिरकार वो दिन आ ही गया है जब भारत के अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला इतिहास बनाने के लिए स्पेस मिशन पर जाने वाले हैं. शुभांशु शुक्ला को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) ले जाने वाले Axiom-4 मिशन का लॉन्च बुधवार, 25 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर के 12.01 बजे होगा. फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से 4 क्रू मेंबर को लेकर SpaceX का फाक्लन 9 रॉकेट उड़ान भरेगा. ये अंतरिक्षयात्री SpaceX के ही नए अंतरिक्ष यान ड्रैगन पर सवार होंगे जिसको अंतरिक्ष में दुनिया का यह सबसे पावरफुल रॉकेट फाक्लन 9 लेकर जाएगा.
चलिए आपको यहां बताते हैं कि शुभांशु शुक्ला के साथ अन्य 3 अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर एलन मस्क की कंपनी SpaceX का जो अंतरिक्ष यान- ड्रैगन जा रहा है, वो कितना खास है.
काम की बात: इस मिशन के लिए जो ड्रैगन अंतरिक्ष यान इस्तेमाल किया जा रहा है वो ब्रैंड न्यू है यानी एकदन नया है. इस स्पेशल अंतरिक्ष यान का प्रयोग पहले नहीं हुआ है. इसे SpaceX के और दुनिया के सबसे मजबूत रॉकेट फाल्कन 9 की मदद से लॉन्च किया जाएगा. यह फाल्कन 9 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह रियूजेबल रॉकेट है यानी यह अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में पहुंचाने के बाद वापस धरती पर आ जाता है और इसका फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. SpaceX के अनुसार इस रॉकेट में लगे पहले चरण के बूस्टर (फर्स्ट स्टेज बूस्टर) के लिए यह दूसरी उड़ान होगी. इसने पहले एक स्टारलिंक मिशन को लॉन्च किया था.
ड्रैगन अंतरिक्ष यान क्यों है खास?
यह जानने के लिए आप ड्रैगन अंतरिक्ष यान का परफॉर्मेंस रिकॉर्ड ही देख लीजिए. SpaceX की साइट के अनुसार ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने अबतक कुल 51 मिशन पूरे किए हैं और अब यह 52वें मिशन के लिए उड़ान भर रहा है. इससे पहले 46 बार यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गया है. 31 बार इसने धरती पर वापस आने के बाद फिर से अंतरिक्ष की यात्रा की है.
ड्रैगन अंतरिक्ष यान एक बार में 7 अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की कक्षा यानी अर्थ ऑर्बिट तक और उससे आगे तक ले जाने में सक्षम है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह न सिर्फ अंतरिक्ष में जाता है बल्कि यह वापस भी आता है और इसे फिर से इस्तेमाल भी किया जा सकता है. यानी यह रियूजेबल है.
ड्रैगन में ड्रेको थ्रस्टर्स लगे हैं. यह थ्रस्टर्स ड्रैगन को किसी ऑर्बिट में रहने के दौरान अपनी दिशा बदलने करने की अनुमति देते हैं. इसमें कल 8 सुपरड्रेकोज हैं जो अंतरिक्ष यान के लॉन्च एस्केप सिस्टम को शक्ति प्रदान करते हैं.
इसकी उंचाई 8.1 मीटर है, यह 4 मीटर चौड़ा है, लॉन्च होते समय इसके पेलोड का वजन 6000 किलो का होता है, जबकि वापस धरती पर आते समय यह आधा वजन का हो जाता है यानी 3000 किलो का पेलोड.
शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 क्रू को अपनी शुभकामनाएं शेयर करने के लिए यहां क्लिक करें.