भारत के अंतरिक्ष मिशन में एक सफल अध्याय जुड़ने वाला है क्योंकि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला पृथ्वी पर लौटने की तैयारी कर रहे हैं. मौसम अगर ठीक रहा तो 15 जुलाई को वो कैलिफोर्निया के पास समुद्र में लैंड कर जाएंगे, ये जानकारी ISRO ने दी है. ग्रुप कैप्टन शुभांशु अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का दौरा करने वाले पहले भारतीय हैं. आकाश गंगा नाम का ये मिशन, axiom स्पेस, नासा और इसरो का एक संयुक्त प्रयास है. इस मिशन के जरिए आने वाले गगनयान मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के साथ भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान को बल मिलेगा.
एक्सिओम स्पेस ने दी जानकारी
बीते दिन Axiom स्पेस की तरफ से जानकारी दी गई कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 17 दिन रहने और काम करने के बाद, axiom मिशन 4 (एक्स-4) का चालक दल अपने रिसर्च प्रोजेक्ट्स को पूरा कर रहा है. यहां आने के बाद से, उन्होंने 60 से ज्यादा साइंटिफिक रिसर्च एक्टिविटी की है और 20 से ज्यादा आउटरीच कार्यक्रमों में भाग लिया है. इन सभी प्रोजेक्ट्स से रिसर्च को बढ़ावा मिला है जो अंतरिक्ष खोज के भविष्य में योगदान देगा और साथ ही पृथ्वी पर आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करेगा.
आईएसएस पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 7 इंडिया स्पेसिक माइक्रोग्रैविटी एक्सपेरिमेंट किए, जो स्पेस साइंस में भारत की बढ़ती क्षमताओं के बारे में बताते हैं. ये एक्सपेरिमेंट भविष्य के मिशनों और लंबे समय के लिए अंतरिक्ष में रहने के लिए जरूरी डेटा की जानकारी देते हैं.
कुछ एक्सपेरिमेंट में शामिल हैं-
- टार्डिग्रेड्स: इसमें भारतीय प्रजाति के अस्तित्व, प्रजनन और ट्रांसक्रिप्टोम की स्टडी करते हैं.
- मायोजेनेसिस: मानव कोशिकाओं पर माइक्रोग्रैविटी के असर की जांच.
- मेथी और मूंग के बीजों को अंकुरित करना: अंतरिक्ष खेती के लिए ये खोज जरूरी है.
- साइनोबैक्टीरिया: जीवन रक्षक प्रणालियों के लिए दो किस्मों के विकास की खोज की जाती है.
इसरो रख रहा सेहत पर नजर
इन एक्सपेरिमेंट को अब आगे की एनालिसिस के लिए पृथ्वी पर वापस लौटने की तैयारी में लगाया जा रहा है. इस बीच, माइक्रो शैवाल, फसल के बीज और वॉयेजर डिस्प्ले पर फोकस दूसरे तीन एक्सपेरिमेंट लगभग पूरे होने वाले हैं और इनसे भारत के अंतरिक्ष रिसर्च पोर्टफोलियो को मजबूती मिलेगी. इन सभी के बीच इसरो के फ्लाइट सर्जन पूरे मिशन के दौरान निजी चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सम्मेलनों के जरिए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार नजर रख रहा है.
वापस आने के बाद गुजरना होगा सात दिनों के क्वारंटाइन प्रोग्राम से
रिपोर्टों से पता चलता है कि अंतरिक्ष यात्री की हेल्थ ठीक है और वे उत्साह से भरे हुए हैं. स्प्लैशडाउन के बाद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इसरो के फ्लाइट सर्जनों की देखरेख में सात दिनों के क्वारंटाइन प्रोग्राम से गुजरेंगे. ये स्टेज स्पेस में कई हफ्ते बिताने के बाद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में ढालने के लिए जरूरी होती है.
1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा की ऐतिहासिक उड़ान के बाद ये मिशन न केवल ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री के रूप में याद कराएगा. बल्कि, चिह्नित करता है, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक अलग पहचान दिलाएगा. मिशन आकाश गंगा की सफलता से मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए भारत के रोडमैप में तेजी आने की उम्मीद है.