Shubhanshu Shukla Return, Axiom-4 Misson splashdown Live Updates: भारत का लाल शुभांशु शुक्ला धरती पर वापस आ गया है. वो अंतरिक्ष नापकर और कई रिकॉर्ड बनाकर वापस आया है. Axiom-4 मिशन के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए शुभांशु 3 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ धरती पर वापस आ गए हैं. चारों अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर SpaceX का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट दोपहर के 3.01 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में सैन डिएगो में तट के पास प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन कर गया. इसके बाद सभी अंतरिक्ष यात्री ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से बाहर आ गए हैं.
इसके साथ Axiom-4 मिशन का शानदार समापन हुआ, जिसने तीन देशों - भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष से वापस लाया है.
Shubhanshu Shukla Return, Axiom-4 Misson splashdown Live Updates:
वह हमेशा ही मुस्कुराता है.... शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा कि बच्चे को कोई समस्या न हो. पिता-बेटे का यही रिलेशन होता है. विज्ञान अपनी जगह पर पूरा काम करता है. आस्था से विश्वास पैदा होता है. बच्चे में 100 प्रतिशत विज्ञान होता होगा, लेकिन मेरे मन में आस्था रहती है. आस्था और विज्ञान के मिलन से उसका हर मिशन पूरा होगा. आने के बाद वह शुभांशु मुस्कुराने को लेकर पिता ने कहा कि वह हमेशा ही मुस्कुराता है चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति हो.
'सफल वापसी हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण'
शुभांशु शुक्ला की वापसी पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक एक्सिओम-4 मिशन से सफल वापसी हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है. उन्होंने न केवल अंतरिक्ष को छुआ है, बल्कि भारत की आकांक्षाओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक और वापस उनकी यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए एक गौरवपूर्ण कदम है. मैं उनके भविष्य के प्रयासों में उनकी अपार सफलता की कामना करता हूं.
'सबकी दुआओं से बच्चे का मिशन सफल रहा'
शुभांशु शुक्ला के पिता ने कहा कि सबकी दुआओं से बच्चे का मिशन सफल रहा. हमारा बेटा सकुशल धरती पर वापस आ गया. हम बेटे के लिए बहुत खुश हैं.
ड्रैगन कैप्सूल का गेट खुला, बाहर आए शुभांशु शुक्ला
अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला की सफल वापसी के बाद परिवार में जश्न का माहौल
शुभांशु शुक्ला की घर वापसी
शुभांशु शुक्ला की तस्वीरें
शुभांशु शुक्ला के पिता ने कहा कि अब मिलने की इच्छा है.
शुभांशु शुक्ला के पिता ने कहा कि अब मिलने की इच्छा है.
शुभांशु शुक्ला कैप्सूल से बाहर आ गए
शुभांशु की पहली तस्वीर
पीएम मोदी ने अंतरिक्ष से घरती पर लौटने के बाद शुभांशु को दी बधाई
मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं, जो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में, उन्होंने अपने समर्पण, साहस और अग्रणी भावना से करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है. यह हमारे अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है.
समंदर में उतरा ड्रैगन कैप्सूल, शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष नापकर धरती पर लौटे
समंदर में उतरा ड्रैगन कैप्सूल, शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष नापकर धरती पर लौटे
Shubhanshu Shukla Return Live: केवल 10 मिनट का इंतजार और, उंचाई 80 किमी के नीचे
केवल 10 मिनट के अंदर ड्रैगन कैप्सूल स्प्लैशडाउन कर जाएगा. कैप्सूल की धरती से उंचाई (एलटिट्यूड) 80 किमी से भी नीचे आ गई है.
Shubhanshu Shukla Return Live: केवल 15 मिनट और, स्प्लैशडाउन की पूरी है तैयारी
15 मिनट से कम समय के अंदर शुभांशु शुक्ला 3 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ धरती पर होंगे. कैप्सूल की धरती से उंचाई (एलटिट्यूड) 115 किमी से भी नीचे आ गई है.
Shubhanshu Shukla Return Live: 6 मिनट का होगा ब्लैकआउट, कंट्रोल रूम से टूट जाएगा कैप्सूल का कनेक्शन
SpaceX ने जानकारी दी है कि 18 मिनट में कैप्सूल स्प्लैशडाउन करेगा और उसके पहले 6 मिनट का ब्लैकआउट पीरियड होगा. इन 6 मिनट में ग्राउंड पर बैठे मिशन कंट्रोल से ड्रैगन कैप्सूल का कनेक्शन पूरी तरह टूट जाएगा.
Shubhanshu Shukla Return Live: बस आधे घंटे और, कैप्सूल की उंचाई 300 किमी के भी नीचे
30 मिनट से कम समय के अंदर शुभांशु शुक्ला 3 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ धरती पर होंगे. कैप्सूल की धरती से उंचाई (एलटिट्यूड) 300 किमी से भी नीचे आ गई है.
Shubhanshu Shukla Return Live: ड्रैगन कैप्सूल का डी-ऑर्बिट बर्न खत्म
ड्रैगन कैप्सूल का डी-ऑर्बिट बर्न खत्म हो चुका है. दरअसल जब कोई स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी का चक्कर काट रहा होता है और उसे वापस धरती पर लाना होता है, तो उसकी गति को कम करना आवश्यक होता है ताकि वह कक्षा से बाहर निकलकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सके. इसी गति को कम करने के लिए अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स (छोटे इंजन) को एक निश्चित समय और दिशा में दागा जाता है. इस प्रक्रिया को ही ‘डी-ऑर्बिट बर्न' कहते हैं.
Shubhanshu Shukla Return Live: विक्ट्री साइन बनाते हुए निकला शुभांशु का परिवार
शुभांशु शुक्ला का परिवार शुभांशु की धरती पर वापसी को देखने के लिए लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल पहुंच चुका है. शुभांशु ने सिटी मांटेसरी से ही अपनी स्कूलिंग की है. शुभांशु की वापसी के मौके पर सिटी मांटेसरी स्कूल में एक कार्यक्रम रखा गया है, जहां नासा और SpaceX के लाइव स्ट्रीम को दिखाया जाएगा.
Shubhanshu Shukla Return Live: शुभांशु की वापसी के साथ SpaceX का चौथा ISS मिशन होगा खत्म
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से धरती तक, ड्रैगन की रिटर्न फ्लाइट के साथ एलन मस्क की स्पेस एजेंसी SpaceX का चौथा ISS मिशन खत्म होगा. यानी यह चौथा ऐसा स्पेस मिशन होगा जब SpaceX के रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट की मदद से अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए और लौटे हैं.
Shubhanshu Shukla Return Live: कहां स्प्लैशडाउन करेगा शुभांशु का कैप्सूल?
Axiom-4 मिशन में रॉकेट और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भेजकर ऑपरेशनल हिस्सा संभाल रही स्पेस एजेंसी SpaceX ने एक ट्वीट करके बताया है कि आखिर चारों अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर कैप्सूल कहां स्प्लैशडाउन (पानी में पैराशूट की मदद से गिरना) करेगा. SpaceX के अनुसार कैप्सूल अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में सैन डिएगो में तट के पास प्रशांत महासागर में गिरेगा.
Shubhanshu Shukla Return Live: सोनिक बूम के साथ वायुमंडल में आगमन का ऐलान करेगा ड्रैगन
प्रशांत महासागर में 4 पैराशूट की मदद से गिरने (स्प्लैशडाउन) से पहले ड्रैगन अंतरिक्ष यान का कैप्सूल कुछ देर की सोनिक बूम की आवाज करेगा और इस तरह धरती के वायुमंडल में अपने आगमन की घोषणा करेगा. आपको बताएं कि सोनिक बूम एक तेज, विस्फोटक शोर है. जब कोई वस्तु हवा में ध्वनि की रफ्तार से भी तेज घूमती है तो उसकी वजह से एक शॉक वेव पैदा होती है. और सोनिक बूम उसी की आवाज है.
Shubhanshu Shukla Return Live: जब शुभांशु शुक्ला ने ISS पर करके दिखाए थे जीरो-ग्रेविटी एक्सपेरिमेंट
Axiom-4 मिशन पर पायलट के रूप में गए अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पानी से जुड़ा एक शून्य-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग (जीरो-ग्रेविटी एक्सपेरिमेंट) करके दिखाया. उन्होंने यह करके दिखाया कि कैसे अंतरिक्ष में मौजूद माइक्रोग्रैविट (कम गुरुत्वाकर्षण बल) आम जीवन में होने वाली भौतिकी को बदल देती है. यह एक्सपेरिमेंट Axiom Space के आउटरीच और वैज्ञानिक मिशन का हिस्सा था. इसके जरिए अंतरिक्ष में पानी के अद्वितीय व्यवहार पर प्रकाश डाला गया.
Shubhanshu Shukla Return Live: "जब से शुभांशु अंतरिक्ष में गए हैं, तबसे हमारी जिंदगी बदल सी गई है"- परिवार
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से धरती पर वापस लौट रहे शुभांशु शुक्ला का लखनऊ में बैठा परिवार बेसब्री से बेटे की वापसी का इंतजार कर रहा है. पिता शंभू दयाल शुक्ला और मां आशा शुक्ला ने एनडीटीवी से बात की. उन्होंने कहा कि जबसे शुभांशु अंतरिक्ष में गए हैं, तबसे उनकी जिंदगी बदल सी गई है. मां ने कहा कि घर पर खड़े होने पर लोग पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें डर तो नहीं है लेकिन मन थोड़ा भावुक है. मां आशा शुक्ला कहती हैं कि उन्हें भी कैलिफोर्निया जाने का मन था लेकिन मेडिकल कारणों से वो यात्रा नहीं कर सकती थीं. अब फिलहाल बेटे से जल्दी से मिलने का मन है. वो घर वापस कब आयेंगे, ये तो सरकार तय करेगी लेकिन उम्मीद है जल्दी ही वो वापस आयेंगे.
पिता शंभू दयाल शुक्ला कहते हैं कि पहले बेटा पिता के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब वो अपने बेटे के नाम से जाने जा रहे हैं. कभी मंत्रियों के साथ काम करने वाले शंभू दयाल शुक्ला कहते हैं कि जीवन कुछ ऐसा बदला है कि हम जिनके नीचे काम करते थे, आज वो हमसे मिलने हमारे घर आ रहे हैं. वो कहते हैं कि बेटे को कभी रोक-टोक नहीं किया. उसने बिना बताए फॉर्म भरा और सेलेक्शन हो गया तो हमने कभी उसे रोकने की कोशिश नहीं की. उन्होंने कहा कि अब इंतजार है शुभांशु के धरती पर वापस आने का.
Shubhanshu Shukla Return Live: शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा के लिए ISRO ने 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया है
ISRO ने शुभांशु शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक की यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया. Axiom-4 मिशन के साथ शुभांशु शुक्ला को ऐसा अनुभव मिला है जो भारत की स्पेस एजेंसी को भविष्य के मानव अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने में मदद मिलेगा. 2 साल बाद ही गगनयान मिशन के जरिए ISRO धरती के ऑर्बिट (कक्षा) में मानव मिशन भेजेगा.
यह शुभांशु शुक्ला के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा रही है. वो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. इसके अलावा वो राकेश शर्मा (साल 1984) के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले केवल दूसरे भारतीय बने हैं.
Shubhanshu Shukla Return Live: ‘ड्रैगन’ किस चीज का बना है?
आखिर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट बना किस चीज का होता है जो धरती के वायुमंडल या एटमॉस्फेयर में आते समय आग के गोले में बदलने के बावजूद अंदर बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को पूरी तरह सुरक्षित रखता है. ड्रैगन कैप्सूल का प्राइमरी स्ट्रक्चर CFRP से बना है, इसमें वजन के अनुपात में असाधारण ताकत होती है. ड्रैगन कैप्सूल की हीट शील्ड PICA-X नामक एक मैटेरियल से बनी है, जो फेनोलिक इंप्रेग्नेटेड कार्बन एब्लेटर (PICA) मैटेरियल का एक प्रकार है.
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की हर खासियत जानने के लिए नीचे दिए आर्टिकल पर क्लिक करें.
Shubhanshu Shukla Return Live: Axiom-4 क्यों मायने रखता है?
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की Axiom-4 मिशन के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा भारतीय अंतरिक्ष में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है. पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कई महत्वपूर्ण मिशनों को अंजाम दिया है, जिसने भारत को अत्याधुनिक अंतरिक्ष क्षमताओं वाले देशों के एक बहुत खास समूह में डाल दिया है. इसरो द्वारा चंद्रयान-3 के साथ चंद्रमा पर लैंडिंग इन प्रयासों का मुख्य आकर्षण थी. शुक्ला की उड़ान के साथ, हम अगले गियर में जा रहे हैं. अभी भी हमारा अपना मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन नहीं हो सकता है. ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ किसी और देश के मिशन पर ही यात्रा करते रहेगें. Axiom-4 मिशन हमारी अपनी अंतरिक्ष योजनाओं के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा है. यह गगनयान मिशन और उसके आने वाले अन्य मिशनों के लिए कुछ महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करेगा. इसे ऐसे समझिए कि यह प्रैक्टिस मैच था और यहां का अनुभव भारत अपने खुद के मानव मिशन में करेगा.
Shubhanshu Shukla Return Live: 14 दिन का मिशन 18 दिनों तक चला
शुभांशु शुक्ला का मिशन मूल रूप से 14 दिनों का था, लेकिन इसे 18 दिनों तक बढ़ा दिया गया. इससे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अतिरिक्त वैज्ञानिक रिसर्च का मौका मिल गया. 1984 में राकेश शर्मा के ऐतिहासिक स्पेस मिशन के बाद, Axiom-4 मिशन ने शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष की यात्रा करने वाला केवल दूसरा भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनाया है.
Shubhanshu Shukla Return Live: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से वापसी का 22 घंटे का सफर
ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान के सोमवार को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अलग होने के साथ शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 मिशन के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी की वापसी यात्रा शुरू हो गई. स्पेस स्टेशन के आसपास के सुरक्षित क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, अंतरिक्ष यात्रियों ने पृथ्वी पर वापसी की 22.5 घंटे की आरामदायक यात्रा के लिए अपने स्पेससूट उतार दिए. ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान द्वारा मंगलवार को भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे कैलिफोर्निया तट पर पहुंचने के लिए डी-ऑर्बिट प्रक्रिया शुरू करने से पहले, अंतरिक्ष यात्री एक बार फिर स्पेससूट पहनेंगे.