नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल एन और बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पीपीपी के बीच पाकिस्तान में सरकार बनाने को लेकर समझौता हो गया. पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि समझौते के तहत 72 वर्षीय शहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनेंगे जबकि बिलावल के पिता आसिफ अली जरदारी एक बार फिर से राष्ट्रपति बनेंगे.
बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए कहा कि हमारे पास पर्याप्त संख्या है, हम सरकार बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि इमरान खान की पार्टी द्वारा समर्थित उम्मीदवार, संसद में बहुमत साबित करने में असलफल रहे हैं.
वहीं शहबाज शरीफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दोनों पार्टियों के बीच सहमति बन गई है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पीएमएल-एन के पास अब अगली सरकार बनाने की स्थिति में पीपीपी के साथ "आवश्यक संख्या" है और उन्होंने वार्ता के सकारात्मक निष्कर्ष के लिए दोनों दलों के नेतृत्व को धन्यवाद दिया.
सोमवार को तीन घंटे के विचार-विमर्श के बाद, बातचीत में रुकावट आ गई. पीएमएल-एन और पीपीपी दोनों सोमवार रात 10 बजे फिर से मिलने पर सहमत हुए. हालांकि, बैठक नहीं हुई.
12 दिन बाद निर्णय
पांच चरणों की वार्ता के बाद मंगलवार रात आखिर दोनों दलों में गतिरोध वाले बिंदुओं पर सहमति बन गई. पाकिस्तान में चुनाव के 12 दिन गुजर चुके थे लेकिन सरकार गठन को लेकर कोई तारीख निश्चित नहीं हो पाई थी. इस दौरान इमरान खान के समर्थकों ने चुनाव में धांधली को लेकर पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन भी किया है. हालांकि, नतीजे आने के बाद अब पाकिस्तान में नई सरकार बनने की स्थिति में है.
PPP की प्रमुख संवैधानिक पदों की मांग
पीपीपी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन को समर्थन देने के लिए कथित तौर पर राष्ट्रपति, सीनेट अध्यक्ष और नेशनल असेंबली अध्यक्ष जैसे प्रमुख संवैधानिक पदों की मांग कर रही है.
सूत्रों ने कहा कि पीपीपी अध्यक्ष बिलावल जरदारी-भुट्टो पीएमएल-एन को एक ऐसे बिंदु पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, जहां वह (पीएमएल-एन) गठबंधन सरकार बनाने से पीछे हट जाए ताकि वह फिर खुद को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करके जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के निर्दलीय सांसदों के समर्थन से सरकार बना लें, जो अब सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल में शामिल हो गए हैं.
हालांकि पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री 35 वर्षीय बिलावल के लिए यह आसान नहीं होगा क्योंकि पीटीआई पहले ही पीपीपी को समर्थन देने की संभावना को खारिज कर चुकी है.
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