रूस (Russia) , यूक्रेन (Ukraine) के शहरी इलाकों में युद्ध के लिए में सीरिया (Syria) के युद्ध का अनुभव ले चुके लड़ाकों की भर्ती कर रहा है. रविवार को अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने (WSJ) अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह दावा किया. चार अमेरिकी अधिकारियों नेअख़बार को बताया कि रूस ने हाल के दिनों में सीरिया से लड़ाकों की भर्ती की है. ये लड़ाके यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्ज़ा करने में रूस के सैनिकों मदद कर सकते हैं. रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण शुरू किया था.
एक अधिकारी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि कुछ लड़ाके पहले से ही रूस में मौजूद हैं जो यूक्रेन के साथ लड़ाई में शामिल होना चाहते हैं. हालांकि फ़िलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि कितने लड़ाकों की भर्ती की गई है. विदेशी लड़ाके दोनों देशों की ओर से इस लड़ाई में पहले ही प्रवेश कर चुके हैं.
गौरतलब है कि रूस के समर्थन से सीरिया में सरकार चला रहे बशर अल असद ने बिना देर किए यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को अलग देश घोषित करने के रूस के फैसले का समर्थन किया था. सीरिया के सरकारी टीवी पर सीरिया के विदेश मंत्री ने यह जानकारी दी थी. सीरिया लंबे समय से रूस का पक्का सहयोगी रहा है जबसे रूस ने 2015 में सीरिया में राष्ट्रपति बशर-अल-असद के पक्ष में सैन्य कार्रवाई करके गृहयुद्ध के ज्वार को ठंडा करवाया था. सीरिया में पिछले एक दशक से भी अधिक समय से शहरी इलाकों में लड़ाई चल रही है.
रूस-यूक्रेन युद्ध में विदेशी लड़ाके
चेचन्या के वरिष्ठ नेता रमजान कादिरोव (Ramzan Kadyrov ) ने यूक्रेन पर हमले में चेचन लड़ाकों के शामिल होने के वीडियो साझा किए हैं और कहा है कि कुछ लड़ाके मारे गए हैं. कादिरोव एक पूर्व विद्रोही है और अब रूस की संसद क्रेमलिन का सहयोगी बन चुका है.
वहीं यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) ने दावा किया है कि लगभग 20,000 विदेशी लड़ाके यूक्रेन की सेना में शामिल होने के लिए पहुंच चुके हैं.
राजधानी कीव और दूसरा सबसे बड़ा शहर खार्किव अभी भी यूक्रेन की सरकार के कब्जे में है, जबकि रूस ने खेरसॉन के बंदरगाह शहर को अपने कब्ज़े में कर लिया है और पूरे यूक्रेन में शहरी इलाकों में गोलाबारी तेज कर दी है.
रूस के यूक्रेन पर हमले को 12 बीत चुके हैं और इस बीच लगभग 15 लाख से अधिक लोग यूक्रेन छोड़कर भाग चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यूरोप का सबसे तेजी से बढ़ता शरणार्थी संकट कहा है.