Russia Ukraine War: जंग में जान बचाने के लिए 125 किमी. पैदल चला परिवार

तेतियाना ने कहा, " बमबारी की बजाय भूख से मरना अधिक भयावह लग रहा था," इस परिवार के पास एक जंग लगी और चरमराती तीन पहियों वाली ट्रॉली थी – जिससे उनका सफर थोड़ा आसान बना गया. "सबसे छोटी लड़की को साइकिल पर बैठाया गया और फिर इसे धक्का देकर सफर पूरा किया. यात्रा के पांच दिनों और चार रातों में, परिवार कई रूसी चौकियों से गुज़रा, रास्ते में मिले सैनिकों को बताया कि वे अपने रिश्तेदारों के पास जा रहे थे.

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यूक्रेनी परिवार मारियुपोल से निकलने में कामयाब रहा.
ज़ापोरिज्जिया:

रूस के हमले के बाद यूक्रेन के हालात कितने भयावह हो चुके हैं. इससे अब पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है. अब अंदाजा लगाइए कि जो लोग इस युद्ध की मार झेल रहे हैं, उन पर क्या बीत रही होगी. चारों तरफ रॉकेट और मिसाइलों की खतरनाक धमाकों में तहस-नहस बिल्डिंग की वजह से चकाचौंध से गुलजार रहने वाले शहर भी वीरान नजर आने लगे हैं. हर कोई अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित ठिकानों को तलाश रहा है. 

रूसी बमबारी ने मारियुपोल को तबाह कर दिया. येवगेन और तेतियाना ने फैसला किया कि उनके पास अपने चार बच्चों के साथ भागने का केवल एक ही रास्ता है. ज़ापोरिज्जिया शहर में शुक्रवार को एएफपी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि  वे पश्चिम की ओर एक ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. उनके परिवार ने गम और खुशी के बीच इस 125 किलोमीटर (80 मील) के सफर को पैदल पूरा किया.

बमबारी ने मारियुपोल शहर को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया, तो माता-पिता ने अपने बच्चों यूलिया, 6, ऑलेक्ज़ेंडर, 8, अन्ना, 10 और इवान, 12 को जोखिमभरी यात्रा के लिए तैयार करने की कोशिश की. 40 वर्षीय तेतियाना कोमिसारोवा ने कहा, "हमने उन्हें दो महीने तक समझाया, जब हम तहखाने में थे, हम कहां जाएंगे ... हमने उन्हें इस लंबी यात्रा के लिए तैयार किया," 

पिछले रविवार को, तेतियाना, अपने पति येवगेन टीशचेंको के साथ, उन्होंने आखिरकार सोचा कि उनकी चाल चलने का समय आ गया है. घबराकर वे बच्चों को अपनी बिल्डिंग से बाहर ले गए. उनके चारों विनाश का खतरनाक मंजर देखने को मिला. इस नजारे को देख बच्चे को भी विश्वास नहीं हो रहा था कि हमारा शहर अब नहीं रहा."

तेतियाना ने कहा, " बमबारी की बजाय भूख से मरना अधिक भयावह लग रहा था," इस परिवार के पास एक जंग लगी और चरमराती तीन पहियों वाली ट्रॉली थी – जिससे उनका सफर थोड़ा आसान बना गया. "सबसे छोटी लड़की को साइकिल पर बैठाया गया और फिर इसे धक्का देकर सफर पूरा किया. यात्रा के पांच दिनों और चार रातों में, परिवार कई रूसी चौकियों से गुज़रा, रास्ते में मिले सैनिकों को बताया कि वे अपने रिश्तेदारों के पास जा रहे थे.

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इस परिवार ने बताया कि पूरे सफर के दौरान उन्हें दुश्मन नहीं समझा, बल्कि मदद करने की कोशिश की," इसलिए हर बार पूछा गया कि : 'आप कहा. से हैं? मारियुपोल से? लेकिन आप इस दिशा में क्यों जा रहे हैं, आप रूस क्यों नहीं जा रहे हैं?'"रात में, परिवार स्थानीय लोगों के घरों में सोता था. आखिरकार वे दिमित्रो ज़िरनिकोव से मिले, जो ज़ापोरिज़्ज़िया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक रूसी कब्जे वाले शहर पोलोही से गाड़ी चला रहे थे. जिन्होंने उन्हें आगे का सफर पूरा कराया.

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