इजरायल और हमास के बीच जंग फिर तेज हो गई है. इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब का दौरा किया है. खास बात यह है कि पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिमनल कोर्ट का अरेस्ट वारंट है और इस वजह से वे विदेशों के दौरों पर जाने से बचते रहे हैं. इसके बावजूद पुतिन इन दो देशों के दौरे पर गए हैं. इस दौरे के जरिए पुतिन ने पश्चिम एशिया में रूस के प्रभाव का प्रदर्शन करने की कोशिश की है.
इजरायल और हमास की जंग के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब का दौरा किया है. चार लड़ाकू विमानों की निगरानी में पुतिन का विमान जब यूएई पहुंचा तो वहां के जेट विमानों ने आसमान में रूसी झंडे के रंग बिखेरे. यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद ने अपने पैलेस में पुतिन का स्वागत किया. पुतिन का यह दौरा कई मायनों में अहम है. यूक्रेन से बच्चों को जबरदस्ती रूस भेजने के मामले में मार्च में इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट ने राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था जो कि अब भी वैध है. इस वजह से पतिन ब्रिक्स सम्मेलन (BRIC summit) में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका भी नहीं गए थे, क्योंकि उनको वहां अपनी गिरफ्तारी का डर था. लेकिन यूएई और सऊदी अरब आईसीसी के सिग्नेटरी नहीं हैं इसलिए पुतिन ने यह दौरा किया है.
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से मॉस्को और अबूधाबी के बीच वाणिज्यिक संबंधों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. रूसी न्यूज एजेंसी तास के मुताबिक दोनों देशों के बीच व्यापार 68 प्रतिशत बढ़ा है. इसी तरह रूसी अर्थशास्त्रियों के मुताबिक रूस और सऊदी अरब के बीच कृषि, खाद्य और ऊर्जा उत्पादों के क्षेत्र में व्यापार में वृद्धि हुई है. इन दो देशों का दौरा करके पुतिन ने मध्य पूर्व में रूस का प्रभाव दिखाने की कोशिश की है. खास तौर पर तब जब इजरायल हमास संघर्ष को लेकर इस इलाके में अमेरिका के प्रति भारी नाराजगी है.
इजरायल जिस तरह से गाजा पट्टी पर हमले कर रहा है और वहां बड़ी तादाद में आम लोगों की जान जा रही है उससे इजरायल की आलोचना हो रही है. हालांकि रूस, इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाकर चलता रहा है लेकिन पुतिन ने इसमें बदलाव करने की कोशिश की है. सात अक्टूबर को हुए हमास के हमले की निंदा उन्होंने तीन दिनों के बाद की थी और साथ ही उसके लिए उन्होंने अमेरिका की मध्य पूर्व को लेकर नीति को जिम्मेदार ठहराया था. इसके बाद 26 अक्टूबर को बंधकों की रिहाई पर बातचीत के लिए पुतिन ने हमास के एक प्रतिनिधिमंडल को मॉस्को बुलाया था. इजरायल के अधिकारियों ने इस पर नाराजगी जताई थी. अमेरिका पूरी तरह से इजरायल के साथ है. ऐसे में रूस अमेरिका के खिलाफ भावना को अपने फायदे में भुनाना चाहता है.
दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से अमेरिका और पश्चिमी देशों की कोशिश रूस को दुनिया में अलग थलग करने की रही है. रूस तेल निर्यात समेत कई तरह के प्रतिबंधों से जूझ रहा है. रूस का निर्यात बाधित हुआ है और वह सस्ती दरों पर तेल बेच रहा है. रूस, सऊदी अरब और यूएई, तीनों देश तेल उत्पादक देशों के समूह OPEC plus के सदस्य हैं. ओपेक प्लस ने 30 नवंबर को अपनी आपूर्ति में 2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन कम करने का फैसला किया ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत में गिरावट रुक सके और कीमत बढ़ सके. जाहिर है इसका फायदा रूस को होगा.
इजरायल हमास जंग ने रूस को मध्य पूर्व में अपना असर बढ़ाने का एक मौका दिया है. पुतिन के मॉस्को लौटते ही वहां ईरान के राष्ट्रपति पहुंच रहे हैं. अमेरिका ईरान पर रूस को वे हथियार देने का आरोप लगाता रहा है जिनका इस्तेमाल वह यूक्रेन के खिलाफ कर रहा है. इजरायल ईरान पर हमास को पूरी मदद देने का आरोप लगाता रहा है. रूस की तरह ईरान भी अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का शिकार है. ऐसे में जाहिर है कि ईरान और रूस एक-दूसरे का साथ देकर आगे आने की कोशिश करेंगे.