अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के खिलाफ पहले विरोध को लेकर 'देश के नए शासकों' की ओर से हिंसक प्रतिक्रिया की खबरें चर्चा में हैं. स्थानीय मीडिया की खबरों में बताया गया है कि एक विरोध प्रदर्शन, जिसमें में राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया गया, पर तालिबान ने गोलियां चला दीं. इस गोलीबारी में कुछ लोगों के घायल होने और संभवत: मौत की खबरें हैं. 'एकता सरकार' (unity government) की अटकलों के बीच काबुल में तालिबान और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई व अन्य नेताओ के बीच बातचीत शुरू होने के बाद यह गोलीबारी हुई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जलालाबाद में बुधवार को हुए विरोध प्रदर्शन में लोगों ने तालिबान का झंडा उतार दिया था और रेड, ग्रीन और ब्लैक कलर का राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया. जलालाबाद, राजधानी काबुल के पहले तालिबान के नियंत्रण में आया आखिरी शहर था. स्थानीय न्यूज एजेंसी पजवोक अफगान न्यूज की ओर से ट्वीट वीडियो में लोगों को राष्ट्रीय ध्वज लेकर सड़क पार करते हुए दिखाया गया है. इसके बाद गोलियां चलने लगती हैं, मशीन गन से फायरिंग होती है. प्रदर्शन रुक जाता है और लोग नारे लगाने लगते हैं. एक अन्य वीडियो का कैप्शन है, 'तालिबान ने जलालाबाद में प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की और कुछ वीडियो जर्नलिस्ट्स को पीटा.'
#Taliban firing on protesters in Jalalabad city and beaten some video journalists. #Afghanidtan pic.twitter.com/AbM2JHg9I2
— Pajhwok Afghan News (@pajhwok) August 18, 2021
Protest in Jalalabad city in support of National flag.#Afghanistan pic.twitter.com/oxv3GL0hmS
— Pajhwok Afghan News (@pajhwok) August 18, 2021
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रविवार को राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान के लिए यह पहला झटका था. इससे पहले, तालिबान ने महिलाओं के प्रति अपने रुख में नरमी के भी संकेत दिए थे. तालिबान ने संकेत दिया कि महिलाओं को पूरा शरीर ढंकने वाला बुर्का पहनने को मजबूर नहीं किया जाएगा. उन्हें बस हिजाब पहनना होगा. लड़कियों की पढ़ाई या रोजगार में भी कोई रुकावट न डालने का संकेत तालिबान के शीर्ष नेताओं ने दिया है. हालांकि, तालिबान ने इस बार नरम रुख अपनाने का संकेत दिया है लेकिन लोगों को ऐतबार नहीं हो रहा है.
तालिबान ने मंगलवार को सभी सरकारी कर्मचारियों को 'आम माफी' (General amnesty) देते हुए काम पर लौटने की अपील की थी. तालिबान की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'सभी के लिए आम माफी का ऐलान किया जा रहा है...ऐसे में आप अपनी रूटीन लाइफ पूरे विश्वास के साथ शुरू कर सकते हैं.इससे बावजूद लोगों के मन में 1996 से 2001 के शासन के दौरान व्याभिचार के दौरान सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने, स्टेडियम-चौराहों पर फांसी देने और पत्थर मारने जैसी बर्बरता की पुरानी यादें अभी भी ताजा हैं.