बांग्लादेश के चट्टोग्रान में मंगलवार को एक कोर्ट के बाहर पुलिस और गिरफ्तार हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों के बीच झड़प हो गई. राजद्रोह के मामले में पूर्व इस्कॉन नेता की गिरफ्तारी के विरोध में हजारों प्रदर्शनकारी अदालत परिसर के बाहर इकट्ठा हुए थे. चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का विरोध करने वाले सभी लोग मुख्य रूप से हिंदू समुदाय से थे.
हंगामा तब शुरू हुआ, जब अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास और बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया.
बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, आंदोलनकारियों ने धार्मिक नेता दास को ले जा रही जेल वैन को रोकने की कोशिश की. लगभग तीन घंटे के गतिरोध के बाद, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया.
इस हिंसा में एक व्यक्ति के मारे जाने की आशंका है, हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
चिन्मय दास को सोमवार को किया गया था गिरफ्तार
चंदन कुमार धर, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें सोमवार दोपहर ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था. उन्हें आज चट्टोग्रान छठे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया.
बताया जाता है कि जेल वैन को वापस जेल ले जाने से रोकने के लिए दोपहर के समय बड़ी संख्या में लोग अदालत परिसर के बाहर जमा हो गए.
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी दक्षिण एशियाई देश में अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर तनाव के बीच हुई है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से व्यापक राजनीतिक हिंसा देखी जा रही है.
इधर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर चिन्मय दास की गिरफ्तारी और ज़मानत नहीं दिए जाने पर गहरी चिंता जताई है और बांग्लादेश से सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.
भारत सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ये घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई है. अल्पसंख्यकों के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और तोड़फोड़ और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं.
बांग्लादेश की 170 मिलियन आबादी में लगभग 8 प्रतिशत हिंदू हैं. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा रोकने में नाकाम रहने के लिए मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार की आलोचना हो रही है.
बांग्लादेश में हिंदुओं के व्यवसाय, घर और मंदिरों पर हो रहे हमले
हाल के महीनों में, हिंदू व्यवसायों, घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है. शेख हसीना के जाने के बाद से हालात और भी बदतर हो गए हैं. इस महीने की शुरुआत में, चटगांव में अल्पसंख्यक अधिकार रैली में भाग लेने वाले 19 लोगों के खिलाफ राजद्रोह का आरोप दायर किया गया था.
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