प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मिस्र में हेलियोपोलिस राष्ट्रमंडल युद्ध स्मारक का दौरा किया और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र एवं फलस्तीन में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. मोदी ने स्मारक पर शहीद भारतीय सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की और वहां रखी आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए. इस स्मारक में हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक और हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक शामिल हैं.
विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने उन करीब 4,000 वीर भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और अदन में अपने प्राण न्योछावर किए थे.''
हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक उन लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर किए थे.
हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक, राष्ट्रमंडल देशों के उन 600 से अधिक सैनिकों की याद में निर्मित किया गया है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अदन में अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. हेलियोपोलिस युद्ध स्मारक के रखरखाव की जिम्मेदारी ‘कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन' के पास है.
कमीशन की वेबसाइट के मुताबिक, इस स्मारक में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की 1,700 राष्ट्रमंडल सैनिकों की कब्र है. साथ, ही अन्य देशों के सैनिकों को भी यहां दफनाया गया था. स्वेज नहर के दक्षिणी छोर पर स्थित मूल पोर्ट तौफीक स्मारक 1926 में स्थापित किया गया था.
कमीशन की वेबसाइट के अनुसार, सर जॉन बर्नेट द्वारा तैयार की गई डिजाइन पर आधारित मूल स्मारक 1967-1973 के इज़राइल-मिस्र संघर्ष के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था, और इसे अंततः ध्वस्त कर दिया गया था.
अक्टूबर 1980 में मिस्र में भारत के तत्कालीन राजदूत ने हेलियोपोलिस राष्ट्रमंडल युद्ध स्मारक में, शहीद भारतीय सैनिकों के नाम वाले ‘पैनल' से युक्त एक नए स्मारक को स्थापित किया था. पिछले साल अक्टूबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हेलियोपोलिस युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं.