- पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन महिलाओं को भर्ती कर अपनी महिला विंग विकसित कर रहे हैं
- सियालकोट के तलवाड़ा मुगलान में लश्कर-ए-तैयबा की महिला विंग ने इंट्रा-पार्टी चुनाव करवाए हैं
- महिलाएं और लड़कियां जमीनी स्तर पर कट्टरपंथ फैलाने के लिए आतंकवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल की जा रही हैं
पाकिस्तान वही फसल बो और काट रहा है, जिसकी खेती उसे आती है.. यानी आतंकवाद. पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को तोड़ने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था और उसे अंदर तक चोट दी थी. लेकिन एक बार फिर पाकिस्तान के अंदर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन खुद को मजबूत करने में लग गए हैं. हालांकि इस बार उनकी रणनीति ने एक आयाम और जुड़ गया है. अब ये आतंकी संगठन महिलाओं को आतंकी के रूप में भर्ती करने लगे हैं, अपनी-अपनी महिला विंग बनाकर उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं. अभी की बड़ी खबर यह है कि पाकिस्तान के सियालकोट के तलवाड़ा मुगलान में लश्कर-ए-तैयबा की महिला विंग ने इंट्रा-पार्टी चुनाव करवाए हैं. इस चुनाव के वीडियो फुटेज भी NDTV के हाथ लगे हैं.
लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद अपने नापाक मंसूबों के लिए महिलाओं को इस्तेमाल करना चाहता है. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े धार्मिक नेटवर्क ने पाकिस्तान में महिलाओं के लिए ऑनलाइन कोर्स शुरू किया है. सूत्रों के मुताबिक, 'अल्फियातुल जिहाद फी सबीलिल्लाह' नाम से शुरू किए गए ऑनलाइन कोर्स के जरिए महिला ब्रिगेड का ब्रेनवॉश किया जा रहा है. साथ ही क्लास का संचालन हजरत मौलाना मोहम्मद यानी हाफिज सईद के मार्गदर्शन में बताया जा रहा है और उसकी बहनें महिलाओं को जिहाद का पाठ पढ़ाएंगी.
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, यह पहल महिला कैडर तैयार करने की रणनीति का हिस्सा है. यह सेंटर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मुरीदके में लश्कर के हेडक्वार्टर के नेस्तनाबूद होने के बाद अलग-अलग शहरों में ISI और पाक आर्मी की सरपरस्ती में खोले जा रहे हैं.













