एक-दूसरे के क्षेत्र में हवाई हमले करने के एक साल बाद, ईरान और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट कम होती दिख रही है. पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने तेहरान का दौरा किया है और ईरानी नेतृत्व से मुलाकात की है. इन दोनों देशों को एक साथ लाने वाला सबसे बड़ा फैक्टर गाजा है, जो अक्टूबर 2023 में हमास के हमलों के खिलाफ इजरायल के क्रूर जवाबी हमले के बाद तबाह हो रहा है. वैसे पाकिस्तान ने यहां भी चालाकी दिखाने की कोशिश की और मुलाकात के बीच भारत और कश्मीर के साथ अपने हालिया संघर्ष के मुद्दे को उठाया. लेकिन ईरान के नेता, अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई ने अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों में केवल इतना कहा है कि ईरान को उम्मीद है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद सुलझ जाएंगे.
गाजा फैक्टर
तेहरान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, खामेनेई ने स्वीकार किया है कि पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद पाकिस्तान "फिलिस्तीनी हित के प्रति एक जबरदस्त विश्वासघात" देखते हुए इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने वाले देशों में शामिल नहीं हुआ है. पाकिस्तानी प्रधान मंत्री के साथ एक बैठक के दौरान उन्होंने कहा, "हालांकि हाल के सालों में इस्लामिक देशों को जायोमी (इजरायली) शासन के साथ जुड़ने के लिए प्रलोभन दिया गया है, लेकिन पाकिस्तान कभी भी इन प्रलोभनों के आगे नहीं झुका है." उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन मुद्दा इस्लामी जगत की सबसे बड़ी चिंता है. उन्होंने कहा, "गाजा में स्थिति उस बिंदु पर पहुंच गई है जहां यूरोप और अमेरिका में आम लोग अपनी सरकारों का विरोध कर रहे हैं, फिर भी दुर्भाग्य से, कुछ इस्लामी सरकारें इन परिस्थितियों में जायोमी शासन के साथ खड़ी हैं."
पाक की कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश, ईरान का जवाब
खामेनेई के साथ अपनी मुलाकात के दौरान, शहबाज शरीफ ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष का मुद्दा उठाया. पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए नई दिल्ली ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हवाई हमले किए थे जिसके बाद दोनों देश एक्टिव वॉर के मुंह तक खड़े दिखने लगे. अभी सीजफायर पर सहमति बनी हुई है. पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने संघर्ष के दौरान ईरान की "सकारात्मक भूमिका" की सराहना की.
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर, जल-बंटवारे और व्यापार सहित "लंबे समय से चली आ रही समस्याओं" का "समाधान खोजने" के लिए भारत के साथ बात करने के लिए तैयार है. द डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, शरीफ ने कहा, "हम अपने पड़ोसी के साथ पानी के मुद्दे पर शांति के लिए बात करने के लिए तैयार हैं. हम व्यापार को बढ़ावा देने और आतंकवाद से निपटने के लिए भी बात करने के लिए तैयार हैं. हम शांति चाहते थे, हम शांति चाहते हैं और हम टेबल पर बातचीत के माध्यम से क्षेत्र में शांति के लिए काम करेंगे और अपने लंबित मुद्दों को हल करेंगे.. लेकिन अगर वे शांति के मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो हम दिखा देंगे कि हम वास्तव में गंभीरता और ईमानदारी से शांति चाहते हैं."
इसपर ईरान की प्रतिक्रिया नपी-तुली थी. खामेनेई ने एक्स पर कहा, "हम पाकिस्तान और भारत के बीच संघर्ष खत्म होने से खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के बीच मतभेद सुलझ जाएंगे." ईरान की सरकारी मीडिया आईआरएनए ने बताया कि राष्ट्रपति पेजेशकियान ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक टिकाऊ युद्धविराम के लिए ईरान के समर्थन की आवाज उठाई, विवादों को सुलझाने और शांति को बढ़ावा देने के लिए बातचीत का आह्वान किया.
ईरान-पाकिस्तान संबंधों में कडवाहट
पिछले साल, ईरान ने जैश अल-अदल समूह को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान के सीमावर्ती प्रांत बलूचिस्तान में हवाई हमले किए थे, जो पहले भी ईरान के बॉर्डर फोर्स को निशाना बना चुका है. सुन्नी सलाफी संगठन, जैश अल-अदल एक आतंकवादी समूह है जो ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की आजादी चाहता है. पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ईरान में आतंकवादी संगठन बलूच लिबरेशन फ्रंट को निशाना बनाकर हवाई हमले किए.
इस बैकग्राउंड में, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की तेहरान यात्रा संबंधों के फिर से पटरी पर आने का प्रतीक है. अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी की एक वैश्विक खतरे के आकलन रिपोर्ट में कहा गया है, "सीमा पार आतंकी हमलों के जवाब में जनवरी 2024 में दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के क्षेत्र पर एकतरफा हवाई हमले किए जाने के बाद पाकिस्तान और ईरान ने तनाव कम करने के लिए उच्च स्तरीय बैठकों सहित कदम उठाए हैं."
मुस्लिम देशों की एकता का आह्वान करते हुए, ईरान नेता ने कहा, "ऐसे समय में जब दुनिया के युद्ध समर्थकों के पास संघर्ष और युद्ध पैदा करने के लिए कई प्रोत्साहन हैं, इस्लामी उम्माह की सुरक्षा सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका मुस्लिम देशों की एकता है."
भारत ईरान संबंधों को कैसे संतुलित कर रहा है?
9 मई को, जब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष अभी भी जारी था, भारत ने 20वीं भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक के लिए ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची की मेजबानी की और द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की. विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और मिस्टर अराघची की सह-अध्यक्षता में हुई इस बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की और खतरे से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया. डॉ. जयशंकर ने ईरानी मंत्री को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भी जानकारी दी.
इससे पहले पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर ईरान ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी. उन्होंने कहा, "भारत और पाकिस्तान ईरान के भाईचारे वाले पड़ोसी हैं, जो सदियों पुराने सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों में निहित हैं. अन्य पड़ोसियों की तरह, हम उन्हें अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हैं. तेहरान इस कठिन समय में अधिक समझ बनाने के लिए इस्लामाबाद और नई दिल्ली में अपने अच्छे कार्यालयों का उपयोग करने के लिए तैयार है."
भारत ने लगातार कहा है कि पाकिस्तान के साथ उसका संघर्ष एक द्विपक्षीय मुद्दा है. सरकार ने अमेरिका और मध्यस्थता की पेशकश करने वाले अन्य देशों को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चर्चा के लिए केवल एक ही मामला बचा है - पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की वापसी और पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को सौंपना.
भूराजनीतिक स्थिति क्या है
भारत ने गाजा संघर्ष पर तटस्थ रुख बनाए रखा है, और गाजा का मुद्दा पाकिस्तान और ईरान को एकजुट करने वाले फैक्टर के रूप में उभरा है. राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा था कि भारत ने "हमेशा इजरायल के साथ शांति से रहते हुए, सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना के लिए बातचीत के जरिए दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है".
ईरान तक पाकिस्तान की पहुंच तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के बीच अमेरिका के साथ ईरान के टकराव की पृष्ठभूमि में भी आती है. अमेरिका भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार है और नई दिल्ली कोई भी कदम उठाने से पहले भू-राजनीतिक गणित का बारीकी से आकलन करेगा.