- PoK में अवामी एक्शन कमेटी ने व्यापक विरोध प्रदर्शन के लिए हड़ताल बुलाई, यहां पाक आर्मी ने लोगों पर गोली चलाई
- हड़ताल रोकने के लिए इस्लामाबाद ने सुरक्षा बल तैनात किए और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है
- स्थानीय लोग दशकों से राजनीतिक और आर्थिक उपेक्षा के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और सरकार से अधिकार चाहते हैं
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विद्रोह भड़क उठा है. यहां के लोग शहबाज शरीफ सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार की तरफ से सोमवार, 29 सितंबर को बुलाए गए हड़ताल को रोकने के लिए हर सीमा लांघी जा रही है, यहां तक की सेना आम लोगों के उपर गोलियां तक चला रही है. बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान सेना की तमाम कोशिशों के बावजूद स्थानीय लोग पीछे नहीं हट रहें. मौके से सामने आए एक वीडियो में दिखा कि प्रदर्शनकारी जनता ने पाकिस्तान सेना के एक अधिकारी को ही पकड़ लिया है.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में क्या हो रहा है?
दरअसल पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर यानी PoK हाल के इतिहास में अपने सबसे बड़े नागरिक विद्रोहों में से एक के लिए तैयार हो गया है. यहां अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने सोमवार, 29 सितंबर को पूरे क्षेत्र में व्यापक विरोध प्रदर्शन के लिए हड़ताल बुलाया था. लोग इसमें बड़ी संख्या में शामिल हुए और माना जा रहा है कि यह जो हड़ताल अनिश्चितकाल तक चल सकती है. लोगों की नाराजगी देखकर इस्लामाबाद की सरकार ने बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों को भेजा है और भीड़ को रोकने के लिए रविवार को आधी रात से इंटरनेट बैन कर दिया था.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग क्या मांग कर रहे हैं?
अवामी एक्शन कमेटी PoK में एक नागरिक समाज की गठबंधन है. इसने हाल के महीनों में लोकप्रियता हासिल की है. इस संगठन ने दशकों के राजनीतिक और आर्थिक उपेक्षा का हवाला देते हुए अपने बैनर तले हजारों लोगों को एकजुट किया है. समूह ने 38-सूत्रीय संरचनात्मक सुधारों की मांग की है. इसमें पाकिस्तान में रहने वाले कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित (रिजर्व) PoK विधानसभा में 12 विधायी सीटों को समाप्त करना भी शामिल है. इसके बारे में स्थानीय लोगों का तर्क है कि यह प्रतिनिधि शासन को कमजोर करता है. अन्य मांगों में सब्सिडी वाला आटा, मंगला जलविद्युत परियोजना से जुड़ी उचित बिजली दरें और इस्लामाबाद द्वारा वादा किए गए लंबे समय से रुके सुधारों को जमीन पर लागू करना शामिल हैं.
इससे पहले मुजफ्फराबाद में भीड़ को संबोधित करते हुए अवामी एक्शन कमेटी के एक प्रमुख नेता शौकत नवाज मीर ने कहा था, "हमारा अभियान किसी संस्था के खिलाफ नहीं है, बल्कि 70 सालों से अधिक समय से हमारे लोगों को वंचित किए गए मौलिक अधिकारों के लिए है… बहुत हो गया. या तो अधिकार दें या लोगों के क्रोध का सामना करें."
सरकार और लोगों के बीच नहीं बनी बात
अवामी एक्शन कमेटी के वार्ताकारों, PoK प्रशासन और संघीय मंत्रियों के बीच मैराथन वार्ता हुई थी लेकिन 3 घंटे की बैठक के बाद बातचीत विफल हो गई. कमेटी ने कुलीन विशेषाधिकारों और शरणार्थी विधानसभा सीटों को खत्म करने पर समझौता करने से इनकार कर दिया. फिर शौकत नवाज मीर ने बंद को आगे बढ़ाने की कसम खाते हुए घोषणा की, "बातचीत अधूरी और अनिर्णायक थी."