Pakistan में बिजली संकट : खुलेंगे बंद पड़े 18 ऊर्जा संयंत्र, बैठक के बाद PM Shehbaz Sharif का नया आदेश

पाकिस्तान (Pakistan) में कुप्रंबधन के कारण बिजली व्यवस्था का खस्ताहाल हो चुका है. बिजली की चोरी और बिजली दफ्तरों में राजनैतिक नियुक्तियां इसके बड़े कारणों में से एक हैं. प्रधानमंत्री शहबाज (PM Shehbaz) ने हाल ही में घोषणा की थी कि अफगानिस्तान (Afghanistan) से कोयला आयात किया जाएगा. 

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Pakistan में बिजली चोरी और कुप्रबंधन के कारण बिजली संकट हुआ गंभीर ( प्रतीकात्मक तस्वीर)
इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) ने देश में बिजली संकट को दूर करने के लिए अधिकारियों को बंद पड़े ऊर्जा संयंत्रों को फिर से खोलने का आदेश दिया है. बिजली संकट के कारण कुछ स्थानों पर तो 16 घंटे तक की बिजली कटौती हो रही है. एक मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई. ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अखबार की खबर में बताया गया है कि शरीफ ने देश में मौजूदा ऊर्जा संकट पर रविवार को यहां एक बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने कई-कई घंटे की बिजली कटौती को लेकर अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा.

पाकिस्तान में बिजली की कमी 7,787 मेगावॉट तक पहुंच गई है जिसके कारण देश के कई हिस्सों में 16-16 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है. रिपोर्ट में बताया गया कि देश में बिजली उत्पादन 21,213 मेगावॉट है जबकि कुल मांग 29,000 मेगावॉट.

अप्रैल में अधिकारियों ने शरीफ को बताया था कि देश में बीते एक साल से 18 ऊर्जा संयंत्र बंद पड़े हैं.  पाकिस्तान में बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी और बिजली की कटौती लंबे लंबे से जनता में असंतोष का कारण रहे हैं. पहले इमरान खान की सरकार के समय विपक्ष इसी मुद्दे पर इमरान खान को निशाना बनाया करता था तो अब सत्ता से बदखल होने के बाद इमरान खान मौजूदा शहबाज शरीफ को बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर घेर रहे हैं.

पाकिस्तान में कुप्रंबधन के कारण बिजली व्यवस्था का खस्ताहाल हो चुका है. बिजली की चोरी और बिजली दफ्तरों में राजनैतिक नियुक्तियां इसके बड़े कारणों में से एक हैं. प्रधानमंत्री शहबाज ने हाल ही में घोषणा की थी कि अफगानिस्तान से कोयला आयात किया जाएगा.  लेकिन उसके लिए बड़े वित्तीय खर्च की जरूरत होगी. इस पर लगभग 25 मिलियन प्रति हफ्ते के सरकारी खर्चे के ज़रूरत होगी जो कि आयातिति कोयला प्लांट्स के कर्ज चुकाने के लिए जरूरी $51 मिलियन के खर्चे से अलग होगा.  

एक तरफ पाकिस्तान में सीपैक समझौते के तहत चीन की बिजली परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाईं हैं तो दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को IMF की बैसाखी देने के लिए पाकिस्तान के लिए IMF की शर्तें मानना जरुरी हो गया है जिसमें बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी भी शामिल है.  

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