Exclusive: शांति बहाली के लिए हमें भारत की जरूरत - रूस के साथ जंग पर बोले यूक्रेन के विदेश मंत्री

यूक्रेन के विदेश मंत्री कहते हैं, "भारत ग्लोबल साउथ से ज्यादा राष्ट्रों को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभा सकता है. अगर भारत 'Peace Formula' की मेज पर बैठता है, तो यूक्रेन समेत कई अन्य राष्ट्र भी भारत के बगल में बैठकर पहले से ज्यादा महफूज महसूस करेंगे."

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यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) दो दिनों के लिए भारत दौरे पर हैं.
नई दिल्ली:

रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच 24 फरवरी 2022 से जंग चल रही है. इस बीच विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba)दो दिनों के लिए भारत दौरे पर हैं. कुलेबा अपने समकक्ष भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) के बुलावे पर 28 मार्च को नई दिल्ली पहुंचे. रूस से जंग के बीच कुलेबा ने भारत से शांति के लिए मदद की अपील की है. उन्होंने कहा है कि भारत के पास एक महत्वपूर्ण वैश्विक आवाज है. भारत इसका इस्तेमाल न सिर्फ रूस के बर्ताव को प्रभावित करने के लिए कर सकता है, बल्कि अन्य देशों को शांति की पहल में शामिल होने में भी मदद कर सकता है.

यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा भारत दौरे पर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे. अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान कुलेबा ने गुरुवार को NDTV से खास बातचीत की. इंटरव्यू के दौरान यूक्रेनी नेता ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को सीट दिलाने की जरूरत, भारत-रूस और भारत-यूक्रेन संबंधों पर विस्तार से अपनी राय रखी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर के बुलावे पर भारत आने के बारे में पूछे गए सवाल पर कुलेबा ने कहा, "मुझे यहां आने के लिए सहमत होने में कोई समय नहीं लगा. ऐसा इसलिए है, क्योंकि भारत दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण देश है. हमें यूक्रेन में न्यायसंगत और स्थायी शांति बहाल करने के लिए भारत की जरूरत है."

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बयान में भारत-रूस की दोस्ती और रूस-यूक्रेन जंग को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत और रूस एक-दूसरे के हितों का खास ख्याल रखते हैं, लेकिन हमने रूस को जंग को लेकर साफ मैसेज भी दिया है. जयशंकर के इस बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर यूक्रेनी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-रूस संबंध सोवियत विरासत पर आधारित है, जो विलुप्त होने की कगार पर है. इनका कोई भविष्य नहीं है.

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कुलेबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'यह युद्ध का युग नहीं है' वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि रूस ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा संघर्ष शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, "हम समझते हैं कि भारत और रूस के बीच कुछ आर्थिक और तकनीकी संबंध हैं. भारत एक संप्रभु राष्ट्र है, उसे उचित समझे जाने वाले किसी भी देश के साथ रिश्ते बनाने और उसे बढ़ाने का अधिकार है. अगर भारत और रूस इतने करीबी दोस्त हैं, तो इसका मतलब है कि भारत रूस के हालिया बर्ताव को प्रभावित कर सकता है. इससे समझा जा सकता है कि भारत की आवाज अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में कितनी अहम है. हालांकि, मुझे नहीं लगता कि इस संबंध का कोई भविष्य है. मुझे लगता है कि रूस के मुकाबले यूक्रेन और भारत के संबंध का भविष्य इस मायने में कहीं अधिक है.''

रूस-यूक्रेन जंग को रोकने में भारत की अहम भूमिका
रूस-यूक्रेन जंग को रोकने में यूक्रेन मौजूदा स्थिति में भारत से क्या चाहता है? इसके जवाब में कुलेबा ने कहा, "भारत उस जंग को रोकने के लिए रूस के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल कर सकता है, जो अब दो साल से अधिक समय से चल रहा है." 

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यूक्रेन के विदेश मंत्री कहते हैं, "भारत ग्लोबल साउथ से ज्यादा राष्ट्रों को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभा सकता है. अगर भारत 'Peace Formula' की मेज पर बैठता है, तो जंग का राजनयिक हल खोजने के लिए यूक्रेन ने जो पहल की है, उसके बाद कई अन्य राष्ट्र भी भारत के बगल में बैठकर पहले से ज्यादा महफूज महसूस करेंगे."

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कुलेबा ने कहा, "इससे न सिर्फ भारत-यूक्रेन संबंध उम्दा तरीके से बढ़ेंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान भी बढ़ेगा. उन्होंने आगे कहा, "आप जबरदस्ती करके सीमाएं नहीं बदल सकते. आप अपने पड़ोसियों पर आक्रमण नहीं कर सकते. आप अत्याचार नहीं कर सकते. यही वह दुनिया है, जिससे भारत लाभान्वित होगा और यही वह दुनिया है, जिसे रूस नष्ट करने की कोशिश करता है."

भारत के रूस से तेल खरीदने पर क्या बोले कुलेबा?
कुलेबा ने इंटरव्यू में भारत के रूस से तेल खरीदने पर यूक्रेन के रुख में आई नरमी का संकेत भी दिया. उन्होंने कहा, "चूंकि लेनदेन रुपये में किया जाता है. इसलिए इससे रूसी 'वॉर मशीन' को कोई फायदा नहीं पहुंचता है."

रूस के आरोप
पिछले हफ्ते मॉस्को कॉन्सर्ट हॉल में हमले हुए, जिसमें कम से कम 140 लोगों की मौत हो गई. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया हमलावर दक्षिण यूक्रेन की ओर जा रहे थे. इस दावे पर कुलेबा ने कहा कि उनके देश को दोषी ठहराने की कोशिश कोई नई बात नहीं है. इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए.

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा, "आपको रॉकेट साइंटिस्ट बनने की जरूरत नहीं है. अगर ऐसा कुछ है, जिसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र में यूक्रेन को बदनाम करने के लिए किया जा सकता है, अगर ऐसा कुछ है, जिसका इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ अधिक रूसियों को संगठित करने के लिए किया जा सकता है, तो यह किया जाएगा. रूसी नेतृत्व ने यही रवैया और यही नजरिया अपनाया है. वे पूरी दुनिया से झूठ बोलते रहे कि वे यूक्रेन पर आक्रमण नहीं करने जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने हमले किए थे. रूस हर वक्त हर मंच पर झूठ बोलता है."

दुनिया में गलत चीजों को ठीक करने में शामिल रहेगा अमेरिका
उन्होंने कहा कि इजरायल-गाजा युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध एक साथ चलने के बावजूद उनके देश को यूरोप और अमेरिका से मदद मिली है. कुलेबा ने कहा, "F-16 फाइटर प्लेन जल्द ही कीव पहुंचेंगे... संयुक्त राज्य अमेरिका में एक बहस चल रही है और हम सभी इसे फॉलो कर रहे हैं. लेकिन मैं समझता हूं कि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों को यूक्रेन को समर्थन देना जारी रखना चाहिए... अगर कोई चाहता है कि अमेरिका खुद को पूरी तरह से अलग कर ले और पूरी तरह से घरेलू मुद्दों पर फोकस करे, तो यह बिल्कुल असंभव है. दुनिया इस तरह से काम नहीं करती है. इसलिए अमेरिका दुनिया में गलत चीजों को ठीक करने में शामिल रहेगा.''

क्या इजरायल-गाजा युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध के जारी रहने की वजह से संयुक्त राष्ट्र अपनी प्रासंगिकता खो रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आलोचना करना आसान बात होगी. कुलेबा ने कहा, "मैं इस आसान काम का सहारा नहीं लूंगा. क्योंकि युद्ध ने हमें सिखाया है कि सिर्फ मुश्किल कामों पर ही अपनी एनर्जी खर्च करनी चाहिए."

हालांकि, यूक्रेनी मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघर्ष कर रहा है. क्योंकि संगठन के अंदर शक्ति का संतुलन टूटा हुआ है. अब चीजों को बदलने की जरूरत है.

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UNSC में भारत को स्थायी सीट
यूक्रेन के विदेश मंत्री ने इस दौरान भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में परमानेंट सीट की वकालत भी की. कुलेबा कहते हैं, "दुनिया में युद्ध के परिणामस्वरूप होने वाली हर नई मौत संयुक्त राष्ट्र के ताबूत में एक और कील है. बेशक संयुक्त राष्ट्र जंग रोकने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता. क्योंकि प्रमुख हितधारकों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है. हमें इसे बदलने की जरूरत है. मुझे पूरा भरोसा है कि रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर होना चाहिए. भारत को इसमें शामिल होना चाहिए. अन्य देशों को स्थायी सदस्य बनना चाहिए".

क्या यूक्रेन लौट सकेंगे मेडिकल छात्र?
मौजूदा स्थिति में क्या भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स यूक्रेन वापस लौट सकते हैं? इसके जवाब में कुलेबा ने भारत-यूक्रेन संबंधों के महत्व के उदाहरण के रूप में एक महीने पहले एक भारतीय डॉक्टर द्वारा इलाज किए जाने का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, "यह एक भारतीय युवा महिला थी, जिसने यूक्रेन में पढ़ाई की थी. वो युद्ध के दौरान भी यूक्रेन में रुकी थी. आपको यह समझना होगा कि कई भारतीय छात्र अपने समुदायों की मदद करने के लिए यूक्रेन में पढ़ाई के बाद भारत वापस आ जाते हैं, जबकि अन्य वहीं रह जाते हैं और हमारे समुदाय, हमारे समाज का हिस्सा बन जाते हैं."

कुलेबा ने कहा, "हर साल, भारतीय छात्रों ने यूक्रेनी छात्रों के साथ मिलकर होली मनाई. उन्होंने खार्किव की सड़कों और चौराहों को एक भारतीय शहर में बदल दिया. आज, इस शहर को रूस ने तबाह कर दिया है. हम चाहते हैं कि खार्किव की सड़कों पर फिर से होली मनाई जाए. हम वहां रूसी बम नहीं देखना चाहते. रूसी सैनिकों का तो जिक्र ही नहीं करना चाहते.'' 

उन्होंने जोर देकर कहा, "हमने विदेशी छात्रों को यूक्रेन के अन्य हिस्सों में स्टडी करने की परमिशन देने के लिए उपाय किए. ऐसा इसलिए है, क्योंकि हम उन्हें अपने समाज का हिस्सा मानते हैं. हम अपने द्विपक्षीय सहयोग के इस हिस्से को बहुत महत्व देते हैं."
 

शांति की कोशिश
व्लादिमीर पुतिन कई दफा विश्व युद्ध के खतरे की आशंका जाहिर कर चुके हैं. इस पर यूक्रेनी विदेश मंत्री ने कहा कि यह बयानबाजी हो सकती है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि राष्ट्रपति पुतिन को अपनी शानदार जिंदगी इतनी पसंद है कि तीसरे विश्व युद्ध का सहारा लेकर इसे विलुप्त होने के खतरे में डाल सकते हैं. निश्चित रूप से वह अपनी बयानबाजी जारी रखेंगे."

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यूक्रेन के अनुरोध पर स्विट्जरलैंड में एक शांति शिखर सम्मेलन की योजना बनाई जा रही है. इसपर कुलेबा ने कहा, "वहां भारत की मौजदूगी महत्वपूर्ण होगी. यही एक कारण है कि मैं यहां हूं. भारत शुरुआती बैठकों का हिस्सा रहा है. हमारे राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और प्रधानमंत्री मोदी ने फोन पर हुई बातचीत में शिखर सम्मेलन पर चर्चा की है."

कुलेबा ने बताया कि ये शिखर सम्मेलन यूक्रेन में शांति बहाल करने के मुख्य सिद्धांतों पर अक्टूबर 2022 में हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर आधारित है. 143 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया था. उन्होंने कहा, "जिन देशों ने इस प्रस्ताव के लिए मतदान किया है, उन्हें शांति सूत्र में लिखी गई बातों का समर्थन करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. क्योंकि शांति सूत्र का मूल मकसद जंग का अंत है." 


कुलेबा कहते हैं, "मूल रूप से शांति फॉर्मूला एक मेनू है, जो यूक्रेन में रूस के बड़े पैमाने पर आक्रमण के कारण होने वाली सभी प्रमुख समस्याओं का समाधान करता है. हमने इस मेनू को डिज़ाइन किया है. मैं जानबूझकर 'मेनू' शब्द का इस्तेमाल करता हूं. इस तरह से कि कोई भी देश इसे उठा सके. हमें और अधिक देशों को अपने साथ जोड़ना होगा."

महात्मा गांधी से सबक
कुलेबा ने कहा, "हम अपनी नीतियों में सभी अच्छी चीजों और उन चीजों के बारे में बहुत स्पष्ट बातचीत करेंगे, जो हमें नापसंद हैं. मेरा मतलब यूक्रेनी नीति में है, लेकिन भारतीय नीति में भी ये चीज देखने को मिलती है. बहुत कम लोगों का मानना ​​था कि महात्मा गांधी सफल होंगे और भारत शांतिपूर्ण प्रतिरोध के माध्यम से एक स्वतंत्र राष्ट्र बन जाएगा. लेकिन महात्मा इसमें सफल हुए. एक दिन यूक्रेन भी सफल होगा."

उन्होंने कहा, "क्योंकि सच्चाई उनके पक्ष में थी और आज सच्चाई हमारी तरफ है. मुझे यकीन है कि भारत फिर से सच्चाई के पक्ष में होगा, क्योंकि आज यूक्रेन का समर्थन करना महात्मा गांधी की विरासत, स्वतंत्रता और विश्वास का समर्थन करना है. अगर आप सही कारण के लिए लड़ते हैं, तो आप आखिर में सफल होंगे, भले ही आपका दुश्मन कितना भी मजबूत क्यों न हो.'' 

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