- बेल्जियम की अदालत ने मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण में कोई कानूनी बाधा नहीं पाई है और आरोप गंभीर बताए हैं
- चोकसी पर भारत में धोखाधड़ी, जालसाजी, भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर अपराधों के तहत मुकदमे दर्ज हैं
- अदालत ने चोकसी के अपहरण और राजनीतिक उत्पीड़न के दावों को ठोस सबूत न होने के कारण खारिज किया है
भगोड़े हीरे व्यापारी मेहुल चोकसी को वापस भारत लाने के बीच में मौजूद हर कानूनी बाधा अब खत्म हो चुकी है. बेल्जियम की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 13,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की साजिश रचने के आरोपी 66 वर्षीय मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण (भारत को सौंपने) में कोई कानूनी बाधा नहीं है और उसके खिलाफ आरोप "इतने गंभीर हैं कि इसे उचित ठहराया जा सके". आदेश की यह कॉपी एनडीटीवी के पास है जिसमें लिखा है कि चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं बल्कि विदेशी नागरिक है.
इस आदेश में लिखा है, "भारत के बताए अपराध - जिनमें धोखाधड़ी, जालसाजी, दस्तावेज जालसाजी और भ्रष्टाचार शामिल हैं - को बेल्जियम के कानून के तहत भी अपराध माना जाता है. भारत में दर्ज मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120 बी, 201, 409, 420 और 477 A के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आते हैं, जिनमें से सभी में एक वर्ष से अधिक की कैद का प्रावधान है."
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि कथित अपराध 31 दिसंबर, 2016 और 1 जनवरी, 2019 के बीच हुए थे और सीमाओं का कानून (statute of limitations) भारत या बेल्जियम में समाप्त नहीं हुआ था. चोकसी के इस तर्क पर कि उसे कथित तौर पर एंटीगुआ से अपहरण कर लिया गया था और भारत में राजनीतिक उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार का खतरा था, बेल्जियम की अदालत ने कहा कि उन दावों का समर्थन करने के लिए "कोई ठोस सबूत नहीं" दिया गया है. चोकसी ने अपने बचाव में एक्सपर्ट रिपोर्ट, अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ और विभिन्न दस्तावेज प्रस्तुत किए, लेकिन अदालत ने कहा कि वे सीधे तौर पर प्रासंगिक नहीं थे और किसी भी वास्तविक व्यक्तिगत जोखिम को स्थापित करने में विफल रहे.
गौरतलब है कि भारत की जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के औपचारिक अनुरोध पर 11 अप्रैल को एंटवर्प पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया मेहुल चोकसी चार महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है. उसकी बार-बार की गई जमानत याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया था. चोकसी की नागरिकता एक विवादास्पद मुद्दा था. उसका दावा है कि उसने नवंबर 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता प्राप्त करने के बाद 14 दिसंबर 2018 को भारतीय नागरिकता त्याग दी थी. भारत इसका विरोध करता है और जोर देकर कहता है कि वह एक भारतीय नागरिक है, इसलिए प्रत्यर्पित किया जा सकता है.
मेहुल चौकसी पर कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- पंजाब नेशनल बैंक घोटाला: मेहुल चौकसी पर पीएनबी के साथ मिलकर 13,850 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है.
- मनी लॉन्डरिंग: मेहुल चौकसी पर मनी लॉन्डरिंग और फर्जी लेनदेन के आरोप हैं.
- फर्जी गारंटी: उसने पीएनबी के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी गारंटी जारी की.
- शेयर बाजार में धोखाधड़ी: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उन्हें 10 वर्षों के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है.
- नकली हीरों की बिक्री: मेहुल चौकसी पर नकली हीरों को असली बताकर बेचने का आरोप है.
- विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी के लोन: उसने विदेशी बैंकों से बिना सिक्योरिटी के लोन लिया और शेल कंपनियों में ट्रांसफर कर मनी लॉन्डरिंग की.