ट्रंप के आने से वैश्विक स्तर पर कमजोर होगी जॉर्ज सोरोस की स्थिति : मार्क मोबियस

मोबियस ने कहा, "मुझे लगता है कि अगर वह इसी रास्ते पर चलते रहे तो उन्हें वैश्विक समुदाय का समर्थन नहीं मिलेगा." उन्होंने आगे कहा कि सोरोस "एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अमेरिका और ब्रिटिश पाउंड के बीच करेंसी ट्रेडिंग से बहुत पैसा कमाया है."

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नई दिल्ली:

दिग्गज वैश्विक निवेशक मार्क मोबियस ने मंगलवार को कहा कि अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस ने बहुत सारा पैसा कमाया है और वर्षों तक इसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया, लेकिन अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद उनकी वैश्विक स्थिति काफी कमजोर हो जाएगी. डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख दानदाताओं में से एक हंगरी में पैदा हुए अमेरिकी निवेशक सोरोस और उनके नेटवर्क ने पिछले कुछ वर्षों में भारत को अस्थिर करने की बहुत कोशिश की है, साथ ही देश के बड़े कारोबारी गौतम अदाणी पर कई आर्थिक हमले किए हैं. लेकिन, किसी का कोई फायदा नहीं हुआ है.

समाचार एजेंसी आईएएनएस के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में 88 वर्षीय मोबियस ने कहा कि सोरोस का मानना ​​है कि वे देशों को लोकतांत्रिक ढांचे की ओर बढ़ने में मदद कर रहे हैं. लेकिन मेरे विचार से इसमें से कुछ चीजें थोड़ी ज्यादा आगे बढ़ गई हैं."

मोबियस ने कहा, "मुझे लगता है कि अगर वह इसी रास्ते पर चलते रहे तो उन्हें वैश्विक समुदाय का समर्थन नहीं मिलेगा." उन्होंने आगे कहा कि सोरोस "एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अमेरिका और ब्रिटिश पाउंड के बीच करेंसी ट्रेडिंग से बहुत पैसा कमाया है."

उन्होंने आगे कहा, "वह उस पैसे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए कर रहे हैं, लेकिन अब बहुत कुछ नष्ट हो चुका है. अमेरिका में हाल में हुए चुनावों के बाद पूरा वामपंथी उदार कल्चर नष्ट हो रहा है. इससे सोरोस की स्थिति पहले के मुकाबले काफी कमजोर हो जाएगी."

इस साल की शुरुआत में विशेषज्ञों ने अदाणी समूह की कुछ व्यावसायिक गतिविधियों के खिलाफ एक टूलकिट का पर्दाफाश किया, जिसमें कम्युनिस्टों, पाकिस्तानियों, इस्लामी कट्टरपंथियों, अरबपति सोरोस और पश्चिमी डीप स्टेट के एक कार्टेल को जोड़ा गया था.

इस साल की शुरुआत में दो विदेशी मीडिया संगठनों (द फाइनेंशियल टाइम्स और सोरोस समर्थित ओसीसीआरपी) द्वारा पहले की तरह ही अदाणी ग्रुप पर आरोप लगाए गए, लेकिन वह भारतीय शेयर बाजार को गिराने में असफल हुए.

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इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट में डिसइन्फो लैब ने कहा कि नकली डेटा और मनगढ़ंत कहानियों के साथ भारत की छवि को निशाना बनाने वाले कई मोर्चे अरबपति सोरोस से जुड़े पाए गए हैं.

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