इजरायल: सुरक्षा प्रमुख को हटाने का विरोध करने वाले अटॉर्नी जनरल को निकाल रहे नेतन्याहू, अविश्वास प्रस्ताव पास

इजरायल के कैबिनेट ने देश के अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसे उनकी बर्खास्तगी की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जा सकता है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू
यरूशलम:

इजरायल के कैबिनेट ने देश के अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसे उनकी बर्खास्तगी की दिशा में उठाया गया पहला कदम माना जा सकता है. एक सरकारी अधिकारी ने रविवार को मीडिया को बताया कि मंत्रियों ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. यह कदम सरकार की कई कार्रवाइयों में से एक था, जिसे सरकार के आलोचकों ने राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखा.

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और बहारव-मियारा के बीच शुक्रवार को शिन बेट सुरक्षा प्रमुख रोनेन बार को हटाने के सरकार के प्रयास को लेकर टकराव हुआ था. हाई कोर्ट ने सरकार के बर्खास्तगी प्रयास को अस्थायी रूप से रोक दिया था, जिसके बाद बहारव-मियारा ने नेतन्याहू को बार को हटाने से रोकने के लिए एक निर्देश जारी किया.

इस फैसले के बाद, हजारों प्रदर्शनकारियों ने यरूशलम में बहारव-मियारा और बार को हटाने के सरकार के प्रयासों के खिलाफ रैली निकाली.

पिछले सप्ताह कैबिनेट ने बार की बर्खास्तगी को मंजूरी दी थी. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू से इस्तीफा देने की मांग की और सरकारी परिसर की ओर कूच किया. प्रदर्शनकारियों ने युद्ध को खत्म करने, गाजा में बंधक बनाए गए शेष लोगों की वापसी और सरकार के न्यायिक सुधार को रद्द करने की मांग की.

अटॉर्नी जनरल गली बहारव-मियारा के पास यह अधिकार है कि वह तय करें कि वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए जाएं या नहीं और यह भी तय करें कि नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे को आगे बढ़ाया जाए या नहीं.

बहारव-मियारा रविवार की कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने मंत्रियों को एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने कहा, "सरकार खुद को कानून से ऊपर रखना चाहती है," और यह भी कहा कि अटॉर्नी जनरल का कार्यालय "बिना किसी डर" के अपने कर्तव्यों को पूरा करना जारी रखेगा.

Advertisement

प्रधानमंत्री नेतन्याहू भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए। बहारव-मियारा को बर्खास्त करने के प्रयास की तरह, बार को हटाने के फैसले को भी उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि बर्खास्तगी प्रक्रिया में कितना समय लगेगा, क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है.

Featured Video Of The Day
Former PM Chandrashekhar की18वीं पुण्यतिथि पर उनकी जिंदगी के अनछुए-अनजाने किस्से
Topics mentioned in this article