क्या है स्ट्रेट ऑफ़ होर्मुज? जिसे इजरायल युद्ध के बीच बंद करने की ईरान दे रहा धमकी, भारत पर क्या होगा असर?

स्ट्रेट ऑफ़ होर्मुज को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण 'तेल चौकी' भी कहा जाता है. UAE, सऊदी अरब, ओमान और क़तर के ज़्यादतार मालवाहक जहाज़ इसी रास्ते से दुनिया में पहुंचते हैं.

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क्या है स्ट्रेट ऑफ़ होर्मुज, जिसे बंद करने की ईरान दे रहा धमकी.

Israel Iran War: ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग थमने का नाम लेती नजर नहीं आ रही है. दोनों देश एक-दूसरे पर बमबारी कर रहे हैं, राजधानी तक में  मिसाइलें गिर रही हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान की राजधानी तेहरान के नागरिकों को शहर छोड़ने की चेतावनी दी. उन्होंने यहां तक कह दिया है कि ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई कहां है, हमें पता है. उन्होंने ईरान से बिना शर्त सरेंडर करने की धमकी भी दी है. इस बीच इजरायल और ईरान के बीच लगातार हमले जारी हैं. अब तक इन हमलों में ईरान में 450 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं खबरों के मुताबिक इज़राइल में मौत का आंकड़ा काम से कम 25 का है. 

ट्रंप बोले- बिना शर्त सरेंडर करे ईरान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार रात कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने ईरान को 'बिना शर्त सरेंडर' करने की धमकी भी दी है. वहीं, कनाडा में ग्रुप ऑफ 7 यानी G7 देशों का शिखर सम्मेलन के बाद 7 देशों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि पश्चिम एशिया में बढ़ते संकट में इज़राइल के पास "अपनी रक्षा करने का अधिकार" है. 

G7 ने संयुक्त बयान जारी कर मिडिल ईस्ट में "शत्रुता कम करने" का आह्वान किया है. ऐसे में साफ़ नज़र आ रहा है कि यह जंग फिलहाल तो रुकने वाली नहीं है. 

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इजरायल के पास आधुनिक विमानों के साथ मजबूत वारफेयर

ईरान के पास आधुनिक लड़ाकू विमान नहीं हैं. उसकी वायुसेना नब्बे के दौर की है, जबकि इज़राइल के पास आधुनिक लड़ाकू विमानों के साथ-साथ एक मज़बूत साइबर वारफेयर की ताक़त मौजूद है. ईरान के पास मिसाइल आर्सेनल तो है, लेकिन उनके सहारे यह युद्ध कितना लंबा चल पाएगा? यह सवाल बना हुआ है. 

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ईरान सहित मिडिल ईस्ट की राजनीति को समझने वाले जानकारों का कहना है कि युद्ध में पिछड़ने पर ईरान के पास एक बड़ा हथियार 'स्ट्रेट को होर्मुज ' को बंद करना हो सकता है, जिसे बंद करने से दुनिया में और ख़ास तौर से भारत समेत कई एशियाई देशों में तेल और गैस की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है. 

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क्या है स्ट्रेट ऑफ़ होर्मुज? 

होर्मुज फारस की खाड़ी (Persian Gulf) में प्रवेश करने का इकलौता समुद्री मार्ग है. यह एक तरफ ईरान को और दूसरी तरफ ओमान और संयुक्त अरब अमीरात को बांटता है, इसके अलावा यह फारस की खाड़ी को, ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर में अरब सागर से जोड़ता है. इसकी कुल चौड़ाई 33 किलोमीटर है और दुनिया का 20 फीसदी तेल और गैस इसी रास्ते से जाता है. ईरान पहले भी कई बार इस जलमार्ग को बंद करने की धमकी देता रहा है. 

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क्यों महत्वपूर्ण है यह जलमार्ग ? 

स्ट्रेट ऑफ़ होर्मुज को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण 'तेल चौकी' भी कहा जाता है. UAE, सऊदी अरब, ओमान और क़तर के ज़्यादतार मालवाहक जहाज़ इसी रास्ते से दुनिया में पहुंचते हैं. इसके बंद होने के डर से ही कई मध्य-पूर्व के कई देश तेल की सप्लाई के लिए ज्यादा से ज्यादा पाइपलाइन बिछाने पर जोर दे रहे हैं. 

अगर ईरान इस रास्ते को बंद करता है तो इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव एशियाई देशो को हो सकता है. U.S. Energy Information Administration (EIA) का अनुमान है कि होर्मुज से होकर गुजरने वाले कच्चे तेल और अन्य ईंधन के कुल शिपमेंट का 82 फीसदी एशियाई देशों को जाता है. इसमें से भी 70 फीसदी हिस्सा सिर्फ चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया में पहुंचता है.

भारत पर क्या हो सकता है प्रभाव?

इस रास्ते से भारत अपने कच्चे तेल का 40 फीसदी आयात करता है, वहीं LNG यानी प्राकृतिक गैस की 54 फीसदी आपूर्ति इसी रास्ते से होती है. ऐसे में होर्मुज के बंद होने से यह आपुर्ति प्रभवित हो सकती है. भारत कुल खपत का 90 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से 40 फीसदी कच्चा तेल खाड़ी देशों से आता है और 35 फीसदी रूस से आयात होता है. 

साल 2024 में भारत ने 54 फीसदी प्राकृतिक गैस खाड़ी देशों से आयात की है, जिसमें से अकेले क़तर का हिस्सा 80 फीसद से ज़्यादा है. खाड़ी देशों से आयात किए जाने वाला कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस होर्मुज के रास्ते से ही भारत आता है. 

ईरान ने होर्मुज रोका तो अमेरिका दे सकता है दखल? 

कहा जा रहा है कि होर्मुज के बंद होने से कच्चे तेल और गैस की कीमतों में उछाल आ सकता है. यह बात साफ़ है कि होर्मुज बंद होने का प्रभाव सिर्फ उन देशों पर ही नहीं पड़ेगा, जिन्हें इस रास्ते से तेल और गैस की आपूर्ति होती है, बल्कि निर्यात इसका सीधा असर निर्यात करने वाले सऊदी अरब, क़तर, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन जैसे खाड़ी देशों पर भी पड़ेगा. यह सभी देश अमेरिका के सामरिक हिस्सेदार हैं, और अमरीका का पांचवा बेड़ा बहरीन में इस जल मार्ग से गुज़रने वाले वाणिज्य जहाजों को सुरक्षा मुहैया करवाता है. 

ऐसे में अमेरिका इस मामले में दखल देगा. साथ ही खाड़ी के इन देशों से ईरान के रिश्ते खराब हो सकते हैं, जो ईरान इस युद्ध के समय में नहीं चाहेगा, क्योंकि सभी अरब देशों ने फिलहाल इज़राइल के ईरान पर हमले करने की आलोचना की है. इसके अलावा ईरान इसी रास्ते से चीन को तेल और गैस निर्यात करता है, ऐसे में फिलहाल ईरान के लिए होर्मुज को बंद करने का फैसला आसान नहीं होगा.

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