“गाजा को मत भूलना”: इजरायली हमले में मरे अल जजीरा के पत्रकार की ‘आखिरी वसीयत’, IDF ने कहा- आतंकवादी था

अल जजीरा ने कहा कि रविवार को गाजा सिटी में उनके तंबू पर इजरायली हमले में उनके एक प्रमुख रिपोर्टर सहित उसके दो संवाददाता और तीन कैमरामैन मारे गए हैं.

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अल-शरीफ ने गाजा के लोगों को प्रतिबंधों से चुप न रहने की भी सलाह दी
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  • गाजा सिटी में इजरायली हमले में अल जजीरा के प्रमुख पत्रकार अनस अल-शरीफ सहित पांच मीडिया कर्मी मारे गए हैं.
  • इजरायली सेना ने अनस अल-शरीफ को निशाना बनाने और उसे हमास से जुड़ा आतंकवादी बताया है.
  • अल-शरीफ ने अपनी मौत से पहले सोशल मीडिया पर एक अंतिम संदेश पोस्ट कर गाजा को चुप न रहने को कहा है.
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गाजा में इजरायल का हमला जारी है. कतर से चलने वाले मीडिया हाउस अल जजीरा ने कहा कि रविवार को गाजा सिटी में उनके तंबू पर इजरायली हमले में उसके एक प्रमुख रिपोर्टर अनस अल-शरीफ सहित उसके दो संवाददाता और तीन कैमरामैन मारे गए हैं. इजरायली सेना ने एक बयान में अनस अल-शरीफ को निशाना बनाने की बात स्वीकार की, रिपोर्टर ने उसे हमास से जुड़ा "आतंकवादी" करार दिया.

अनस अल-शरीफ के सोशल मीडिया हैंडल से उनकी ही मौत के बारे में आखिरी रिपोर्टिंग करते हुए एक आखिरी पोस्ट डाली गई है. यह लंबा मैसेज शायद उन्होंने अपनी मौत से पहले ही अपनी मौत के बारे में लिख ली थी. कथित तौर पर अल-शरीफ के मित्र द्वारा उनकी मृत्यु की पुष्टि होने के बाद इसे पोस्ट किया गया था.

इसमें बताया गया कि यह पोस्ट उनकी 'आखिरी वसीयत और वसीयतनामा' है और अगर लिखी बातें लोगों तक पहुंच गईं तो इसका मतलब है कि 'इजरायल उन्हें मारने में सफल हो गया है.'

पोस्ट में लिखा है, "यह मेरी आखिरी वसीयत और वसीयतनामा, मेरा अंतिम संदेश है. अगर मेरे ये शब्द आप तक पहुंचते हैं, तो जान लें कि इजरायल मुझे मारने और मेरी आवाज को चुप कराने में सफल हो गया है. अल्लाह की शांति, दया और आशीर्वाद आप पर हो. अल्लाह जानता है कि मैंने अपने लोगों के लिए समर्थन और आवाज बनने के लिए अपना सारा प्रयास और ताकत लगा दी है, जब से मैंने जबालिया शरणार्थी शिविर की गलियों और पड़ोस में जीवन के लिए अपनी आंखें खोली हैं."

28 साल के इस अल जजीरा पत्रकार को उम्मीद थी कि वह कब्जे वाले अश्कलोन (अल-मजदल) में अपने परिवार के पास लौट आएगा, लेकिन अपने मौत के इस आखिरी संदेश में उसने लिखा कि "अल्लाह की इच्छा सबसे उपर है और उसका निर्णय अंतिम है".

उन्होंने कहा, "मैंने दर्द को इसके सभी विवरणों में जीया है, और मैंने बार-बार दर्द और नुकसान का स्वाद चखा है. इसके बावजूद, मैंने सच्चाई को बिना किसी लाग-लपेट या तोड़े-मरोड़े व्यक्त करने में कभी संकोच नहीं किया. अल्लाह उन लोगों के खिलाफ गवाह बनें जो चुप रहे, जिन्होंने हमारी हत्या स्वीकार कर ली, और जिन्होंने हमारी सांसें रोक लीं और जिनके दिल हमारे बच्चों और महिलाओं के अवशेषों से नहीं द्रवित हुए, न ही उन्होंने उस नरसंहार को रोका जो हमारे लोगों को डेढ़ साल से अधिक समय से झेलना पड़ रहा है."

अल-शरीफ ने गाजा के लोगों को यह भी सलाह दी कि वे प्रतिबंधों से चुप न रहें, न ही सीमाओं से पीछे रहें. उन्होंने लिखा, "देश और उसके लोगों की मुक्ति के लिए पुल बनें, ताकि गरिमा और आजादी का सूरज हमारी हड़पी हुई मातृभूमि पर चमक सके."

पत्रकार ने लोगों से अपने परिवार, विशेषकर अपनी बेटी - जिसे उन्होंने अभी तक बड़े होते नहीं देखा है, अपने बेटे, पत्नी और मां का ख्याल रखने का भी आग्रह किया. पोस्ट में कहा गया, "अगर मैं मरता हूं, तो मैं अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहकर मरा हूं, अल्लाह के सामने गवाही देता हूं कि मैं उनके आदेश से संतुष्ट हूं, उनसे मिलने में वफादार हूं, और निश्चित हूं कि अल्लाह के साथ जो है वह बेहतर और चिरस्थायी है. गाजा को मत भूलना. और क्षमा और स्वीकृति के लिए अपनी नेक प्रार्थनाओं में मुझे मत भूलना."

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अल जजीरा ने बताया है कि अल-शरीफ के साथ, अल जजीरा के संवाददाता मोहम्मद क्रेइकह और कैमरामैन इब्राहिम ज़हीर, मोआमेन अलीवा और मोहम्मद नौफाल इजरायली हमले में मारे गए हैं. वहीं हमले के तुरंत बाद, इजरायली सेना ने हमले की बात स्वीकार की और अल-शरीफ को "आतंकवादी" करार दिया. इजरायल ने अल-शरीफ के लिए कहा कि वो "हमास में एक आतंकवादी सेल के प्रमुख के रूप में काम" करता था.

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