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इस्‍लामिक देशों के समूह ने इजरायल-गाजा युद्ध को लेकर बुलाई "तत्काल, असाधारण" बैठक 

ओआईसी चार महाद्वीपों में फैले 57 देशों की सदस्यता के साथ संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठन है. यह खुद को "मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज" कहता है. 

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ओआईसी की बैठक में इजरायल-गाजा युद्ध को लेकर चर्चा की जाएगी.
नई दिल्ली:

इस्लामिक देशों (Islamic nations) के एक शीर्ष समूह ने इजरायल-गाजा युद्ध (Israel-Gaza war) पर चर्चा के लिए सऊदी अरब में एक "तत्काल असाधारण बैठक" बुलाई है. इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation) "सैन्य जमावड़े" और "गाजा में रक्षाहीन नागरिकों के लिए खतरे" को लेकर चर्चा करना चाहता है. इस्लामिक समिट के मौजूदा सत्र की अध्यक्षता करने वाले सऊदी अरब ने बुधवार को जेद्दा में होने वाली बैठक के लिए सदस्य देशों को आमंत्रित किया है. 

ओआईसी ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा, "सऊदी अरब के निमंत्रण पर... संगठन की कार्यकारी समिति ने गाजा और उसके आसपास बढ़ती सैन्‍य गतिविधियों के साथ ही नागरिकों के जीवन और इस इलाके की पूरी सुरक्षा और स्थिरता को खतरे में डालने वाली स्थितियों को संबोधित करने के लिए मंत्री स्तर पर तत्काल असाधारण बैठक बुलाई है." 

ओआईसी चार महाद्वीपों में फैले 57 देशों की सदस्यता के साथ संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठन है. यह खुद को "मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज" कहता है. 

ओआईसी की तत्काल बैठक का आह्वान उस दिन आया है, जब सऊदी अरब ने इजरायल के साथ संबंधों को संभावित रूप से सामान्य बनाने को लेकर वार्ता को निलंबित कर दिया है. 

हमास ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर बड़े पैमाने पर हमला किया था, जिसमें 1300 लोग मारे गए. इसके बाद इजरायल ने जवाबी बमबारी अभियान शुरू हुआ था, जिसमें क्षेत्र पर संभावित इजरायली जमीनी हमले से पहले गाजा पट्टी में कम से कम 2,215 लोग मारे गए. 

इस चर्चा से परिचित एक सूत्र ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "सऊदी अरब ने संभावित सामान्यीकरण पर चर्चा रोकने का फैसला किया है और इस बारे में अमेरिकी अधिकारियों को सूचित किया है."

सऊदी अरब में इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल हैं. उसने कभी भी इजरायल को मान्यता नहीं दी है और 2020 के अमेरिकी मध्‍यस्‍थता वाले अब्राहम समझौते में शामिल नहीं हुआ है, जिसमें उसके खाड़ी पड़ोसियों बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात के साथ मोरक्को ने इजरायल के साथ औपचारिक संबंधों को स्‍थापित किया है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन हालिया महीनों में कड़ी मेहनत कर रहा था कि सऊदी अरब भी ऐसा ही कदम उठाए.  

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