अब इंटरनेट पर सुरक्षित होगा बच्चों का बचपन! इंटरपोल ने 19 देशों के साथ मिलकर शुरू किया महा-अभियान

बच्चों को डिजिटल खतरों से सुरक्षित रखने के लिए इंटरपोल ने 'Preventing the Cycle of Harm' प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। जनवरी 2025 से दिसंबर 2030 तक चलने वाले इस अभियान का कुल बजट 270 करोड़ रुपये है.

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INTERPOL का मिशन 2030: बच्चों को ऑनलाइन शोषण से बचाने के लिए शुरू किया ₹270 करोड़ का प्रोजेक्ट (सांकेतिक तस्वीर)

Delhi News: आज की डिजिटल दुनिया में इंटरनेट बच्चों के लिए जितना मददगार है, उतना ही खतरनाक भी होता जा रहा है. ऑनलाइन यौन शोषण (Online Sexual Exploitation) के बढ़ते खतरों को देखते हुए, इंटरपोल (INTERPOL) ने अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक मोर्चा खोल दिया है. इंटरपोल ने 'Preventing the Cycle of Harm' नाम से एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसका मकसद बच्चों को ऑनलाइन शिकार बनाने वाले अपराधियों के नेटवर्क को जड़ से उखाड़ना है.

270 करोड़ रुपये होंगे खर्च

यह प्रोजेक्ट जनवरी 2025 से दिसंबर 2030 तक, यानी कुल 6 सालों तक चलाया किया जाएगा. इसे ह्यूमन डिग्निटी फाउंडेशन (HDF) का महत्वपूर्ण वित्तीय सपोर्ट प्राप्त है. लगभग 30 मिलियन यूरो (करीब 270 करोड़ रुपये) के विशाल बजट के साथ शुरू हुआ यह मिशन दुनिया भर में बच्चों को डिजिटल शिकार बनाने वाले अपराधियों के नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने का इरादा रखता है.

परियोजना का उद्देश्य और रणनीति

इसका उद्देश्य केवल अपराधियों को जेल भेजना नहीं, बल्कि एक ऐसा सुरक्षित डिजिटल वातावरण तैयार करना है जहां बच्चे बिना किसी डर के इंटरनेट का उपयोग कर सकें. इसके तहत इंटरपोल आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स टूल्स का उपयोग कर रहा है ताकि संदिग्ध गतिविधियों की पहचान समय रहते की जा सके. साथ ही, दुनिया भर की कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को विशेष डेटाबेस और हाई-टेक ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे जांच प्रक्रिया को अधिक तेज और सटीक बनाया जा सके.

जांच के दौरान बच्चों की सुरक्षा पर जोर

इस अभियान की सबसे बड़ी प्राथमिकता जांच के दौरान पीड़ित बच्चों की सुरक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना है. इसके लिए विशेष 'सेफगार्डिंग' सिद्धांतों को लागू किया गया है, ताकि किसी भी मासूम को कानूनी प्रक्रिया के दौरान दोबारा मानसिक आघात (Trauma) न पहुंचे. इंटरपोल का मानना है कि बच्चों के खिलाफ अपराध वैश्विक हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से ही इन अपराधियों की कड़ियों को तोड़ा जा सकता है. इसमें विभिन्न देशों की पुलिस टीमें एक साथ मिलकर डेटा साझा कर रही हैं और अपराधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई कर रही हैं.

एशिया में बड़ा अभियान VIDTF 2025

इस वैश्विक पहल का एक बड़ा उदाहरण दिसंबर 2025 में सिंगापुर में आयोजित Victim Identification Task Force (VIDTF) के दौरान देखने को मिला. इसमें भारत सहित 19 देशों के 28 विशेषज्ञ पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया. यह ऑपरेशन तकनीक और टीम वर्क की एक बड़ी जीत साबित हुआ, जिसके तहत 33,000 से अधिक संदिग्ध फोटो और वीडियो की जांच की गई. इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप 136 मासूम बच्चों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित किया गया और 70 संदिग्ध अपराधियों को ट्रैक किया गया, जिन पर अब दुनिया के कई देशों में कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग से टूटेगी अपराध की कड़ी

इंटरपोल का मानना है कि बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन अपराधों से निपटने के लिए किसी एक देश की कार्रवाई पर्याप्त नहीं है. ‘Preventing the Cycle of Harm' के जरिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षित जांच टीमों के माध्यम से बच्चों के शोषण की इस कड़ी को तोड़ने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं.

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