इजरायल-हमास युद्ध के बीच 'भारतीय महिला' को गाजा से सुरक्षित निकाला गया

इजरायली सेना इस समय गाजा पार्टी पर हमास के ठिकानों पर जमीनी हमले कर रही है. इस बीच गाजा से निकलने का एकमात्र रास्‍ता राफा बॉर्डर है. यहां से एक भारतीय महिला को सुरक्षित निकाला गया है.

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गाजा पट्टी में फंसी एक भारतीय महिला को सुरक्षित निकाल लिया गया
यरुशलम:

इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान गाजा पट्टी में फंसी एक भारतीय महिला को सुरक्षित निकाल लिया गया है. कश्मीर की इस महिलाने युद्धग्रस्त हमास शासित गाजा से तत्काल निकासी की मांग की थी. इस महिला के पति के अनुसार, गाजा में भारतीय मिशनों की मदद से उनकी पत्‍नी सुरक्षित मिस्र पहुंच गई हैं. लुबना नजीर शाबू और उनकी बेटी करीमा ने सोमवार शाम को मिस्र और गाजा के बीच राफा सीमा पार की.

लुबना के पति नेदाल टोमन ने गाजा से पीटीआई को भेजे एक टेक्स्ट संदेश में कहा, "वे अल-अरिश (मिस्र का एक शहर) में हैं. कल सुबह (मंगलवार) वे काहिरा चले जाएंगे."

इस समय गाजा से निकलने का एकमात्र रास्‍ता राफा बॉर्डर है. इस बॉर्डर को पिछले कुछ हफ्तों में मानवीय आपूर्ति को गाजा में प्रवेश करने, कुछ विदेशी नागरिकों और घायल लोगों को दूसरी तरफ जाने देने के लिए कभी-कभार ही खोला गया है. रविवार को पीटीआई को एक टेलीफोन कॉल में लुबना ने पुष्टि की कि उनका नाम उन लोगों में शामिल है, जो गाजा छोड़ सकते हैं और उन्होंने इसे संभव बनाने के लिए क्षेत्र में रामल्लाह, तेल अवीव और काहिरा में भारतीय मिशनों को बहुत धन्यवाद दिया.

10 अक्टूबर को लुबना ने निकासी के लिए मदद मांगने के लिए फोन पर पीटीआई से संपर्क किया था. उन्होंने पीटीआई से कहा, "हम यहां एक भयंकर युद्ध का सामना कर रहे हैं. यहां हर पल बमबारी हो रही है. जहां बम गिरता है, वहां कुछ ही देर में सबकुछ नष्‍ट हो जाता है."

7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर 5000 रॉकेटों के साथ जबरदस्‍त हमला किया था. हमास के लड़ाके बॉर्डर पार कर इजरायल की सीमा में भी घुस आए थे. इस हमले में इजरायल में 1200  लोगों की मौत हो गई थी. वहीं हमास के लड़ाके 200 से ज्‍यादा लोगों को बंधक बनाकर गाजा पट्टी में लग थे. इसके बाद इजरायल की जवाबी कार्रवाई में 1100 से ज्‍यादा लोग मारे गए हैं. 

लुबना ने अपने परिवार के साथ गाजा के दक्षिणी हिस्से में जाने से पहले पीटीआई को बताया था, "बमबारी की आवाजें बहुत डरावनी हैं और पूरा घर हिल जाता है. यह बहुत ही डरावनी स्थिति है." उन्‍होंने बताया कि 9 अक्टूबर की आधी रात को उनकी "पानी की आपूर्ति आधिकारिक तौर पर काट दी गई थी" और बिजली की आपूर्ति भी नहीं हो रही थी. इस वजह से उन्‍होंने दक्षिण गाजा की ओर जाने और यहां से निकलने के लिए मदद की गुहार लगाई थी. 

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लुबना ने बताया कि उन्होंने पहले ऐसा माहौल कभी नहीं देखा था और उनके साथ दो परिवार और भी रहते थे, जिन्हें गाजा के सीमावर्ती इलाकों में बमबारी के बाद भागना पड़ा था. उन्होंने कहा, "हम कहीं भी नहीं जा पा रहे थे, क्योंकि हमारे लिए कहीं भी कोई सुरक्षित जगह नहीं थी. गाजा पट्टी बहुत छोटी है और यह हर तरफ से बंद है. यहां से निकले को कोई रास्‍ता नहीं बचा था..."

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)