B-2 बॉम्बर बनाने में की मदद, भारतीय-अमेरिकी जिसने अमेरिका की स्टील्थ तकनीक चीन को बेची!

जब ईरान और इजरायल में सैन्य संघर्ष चरम पर था, तब दुनिया ने देखा कि किस तरह अमेरिका ने बी2 स्टील्थ बॉम्बर के जरिए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बंकर बूस्टर बम गिराकर उन्हें तबाह कर दिया. ये स्टील्थ दुनिया के सबसे घातक हथियार है. इसकी डिजाइनिंग में खास भूमिका एक भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर की भी थी, जिसने ये तकनीक चीन को बेच दी और अब वो चीन के लिए जासूसी करने के मामले में अमेरिका में सजा काट रहा है.

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बी-2 स्टील्थ बॉम्बर की तकनीक को चोरी करने के आरोप में भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर नौशीर गोवाडिया को 32 साल की सजा मिली. उन्होंने चीन को संवेदनशील जानकारी लीक की, जिससे चीन की स्टील्थ क्षमताओं में वृद्धि हुई. यह अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा बना.

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न्यूयॉर्क:

B-2 स्टील्थ बॉम्बर... अमेरिका की सबसे गोपनीय और महंगी फौजी तकनीक. दुनिया के इस सबसे घातक बॉम्बर विमान की तब खूब चर्चा हुई जब इसने ईरान में घुसकर उसकी परमाणु फैसिलिटी को उड़ाया. शीत युद्ध के चरम पर अमेरिका ने एक ऐसी तकनीक विकसित की थी, जिसने न केवल उसे अपने प्रतिद्वंद्वियों पर रणनीतिक बढ़त बना ली, बल्कि छह दशक बाद भी उसकी सैन्य श्रेष्ठता को बनाए रखा. यह तकनीक थी—स्टील्थ, जिसको पाने की होड़ आज भी लगी है. लेकिन क्या हो अगर इस बमवर्षक का डिज़ाइन बनाने वाला ही इसे दुश्मनों को बेच दे? चीन ने कथित तौर पर जासूसी के जरिए इस स्टील्थ तकनीक को हासिल किया, जिसमें एक भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर नौशीर गोवाडिया की भूमिका सामने आई.

केवल तीन देशों के पास स्टील्थ तकनीक

वर्तमान में केवल तीन देशों—अमेरिका, रूस और चीन—के पास ही स्टील्थ तकनीक है. अमेरिका ने 1958 में इसकी शुरुआत की, जबकि सोवियत संघ (अब रूस) ने इसे 1974 में हासिल कर लिया. वहीं चीन ने 2011 में जे-20 फाइटर जेट के परीक्षण के साथ इसे हासिल किया. जहां अमेरिका और रूस ने अपनी तकनीक स्वयं विकसित की, वहीं चीन ने कथित तौर पर जासूसी के जरिए इसे हासिल किया, जिसे एक भारतीय-अमेरिकी नौशीर गोवाडिया से हासिल किया गया.

 नौशीर गोवडिया: स्टील्थ तकनीक में योगदान से जासूसी तक

1944 में मुंबई में जन्मे नौशीर गोवाडिया 1960 के दशक में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए थे. जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर नॉर्थरॉप ग्रुमैन में डिज़ाइन इंजीनियर की नौकरी हासिल की, जो बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान बनाती है. नौशीर ने बी-2 के रडार और इन्फ्रारेड डिटेक्शन को कम करने, इसके हीट सिग्नेचर को घटाने, एग्जॉस्ट कॉन्फ़िगरेशन और रडार से जुड़े पार्टस में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने विमान केको बेहतर बनाने में भी काम किया.

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जासूसी का आरोप और गिरफ्तारी

1980 के दशक के अंत में नॉर्थरॉप ग्रुमैन से जल्दी रिटायरमेंट के बाद भी नौशीर ने 1997 तक अमेरिकी सरकार के साथ ठेकेदार के रूप में गोपनीय जानकारी संभाली. लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत में उनकी चीन यात्राओं ने जांच एजेंसियों का ध्यान खींचा. साल 2005 में उनकी गिरफ्तारी हुई, और 2010 में उन्हें जासूसी, साजिश, और अमेरिकी हथियार निर्यात नियंत्रण अधिनियम के उल्लंघन सहित 14 आरोपों में दोषी ठहराया गया, उन्हें 30 साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई.

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जांच में खुलासा हुआ कि नौशीर ने चीन को स्टील्थ तकनीक से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक की, जिसके बदले उन्हें मोटी रकम मिली. इस पैसे से उन्होंने हवाई के माउई द्वीप पर एक समुद्र के किनारे आलीशान समु्द्र के किनारे वाले विला खरीदा. उन्होंने चीन में सैन्य फैसिलिटीज का दौरा किया, स्टील्थ विमानों की हीट सिग्नेचर को कम करने जैसे तकनीकी पहलुओं पर प्रजेंटेशन दी और यहां तक कि एक क्रूज़ मिसाइल घटक डिज़ाइन किया, जिसकी तुलना अमेरिकी हवा-से-हवा मिसाइलों से की गई.

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 नौशीर गोवाडिया का बचाव और अभियोजन का दावा

अदालत में नौशीर के वकीलों ने तर्क दिया कि उन्होंने केवल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा साझा किया और उन्होंने दावा किया कि वो सिर्फ एक इंजीनियर थे, जिनका मकसद एयरोस्पेस तकनीक को आगे बढ़ाना था, न कि अमेरिका को कोई नुकसाना पहुंचाना. लेकिन अभियोजन पक्ष ने इसे खारिज करते हुए कहा कि लीक की गई जानकारी ने अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर किया.

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चीन की स्टील्थ प्रगति और सजा का सबक

नौशीर की सजा के दो महीने बाद, जनवरी 2011 में चीन ने अपना पहला स्टील्थ विमान जे-20 की टेस्टिंग की. साल 2016 में, चीन ने एच-20 लंबी दूरी के स्टील्थ बमवर्षक की घोषणा की, जो बी-2 स्पिरिट से मिलता-जुलता है. नौशीर ने चीन के अलावा जर्मनी और स्विट्जरलैंड को भी गोपनीय जानकारी लीक की थी. साल 2010 में सजा सुनाते हुए सहायक अटॉर्नी जनरल डेविड क्रिस ने कहा कि नौशीर ने पैसे के लिए चीन को हमारे सबसे संवेदनशील हथियार डिज़ाइन दिए. 

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