‘उभरते भारत से पाकिस्तान का कोई मुकाबला ही नहीं’… अमेरिकी सांसद ने NDTV को बताया ‘मुस्लिम NATO’ क्यों खतरनाक

अमेरिकी सांसद अमी बेरा ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू करके भारत ने जो जवाब दिया वह अपेक्षित और उचित था. साथ ही उन्होंने इस्लामाबाद से आतंक के निर्यात के बजाय अपनी घरेलू अस्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने को कहा.

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अमेरिकी सांसद अमी बेरा ने एनडीटीवी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में बातचीत की
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  • US सांसद अमी बेरा ने कहा कि अमेरिका भारत को दीर्घकालिक रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा भागीदार के रूप में देखता है
  • बेरा ने पाकिस्तान को आतंकवाद और आर्थिक संकट से जूझता देश बताया और भारत-पाकिस्तान की तुलना को खारिज किया
  • उन्होंने पाकिस्तान की सरकार द्वारा जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के समर्थन की बात कही
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अमेरिका भारत को अपने दीर्घकालिक रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा भागीदार के रूप में देखता है, जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान अंदरूनी स्तर पर आतंकवाद और आर्थिक संकट से ग्रस्त है. यह बात अमेरिकी सांसद अमी बेरा ने एनडीटीवी के साथ एक विशेष इंटरव्यू में कही. अमी बेरा ने इस बात पर जोर दिया कि वाशिंगटन अब भारत और पाकिस्तान को एक ही नजर से नहीं देखता है. 

अमेरिकी सांसद की तरफ से की गई इस टिप्पणी की टाइमिंग भी अहम है. भारत के खिलाफ पाकिस्तान अपने प्रायोजित आतंकवाद से बाज नहीं आ रहा है, कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने उसे मुहतोड़ जवाब दिया है और पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के लिए व्हाइट हाउस आगे आकर हाथ बढ़ाया है.

अमेरिकी संसद के अहम हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सदस्य बेरा ने जोर देकर कहा कि भारत "उभरता हुआ देश" है, जबकि पाकिस्तान आर्थिक संकट में घिरा हुआ है और आंतरिक आतंकवाद से त्रस्त है. दोनों देशों के बीच गलत तुलना के किसी भी प्रयास को खारिज करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा, "ये समकक्ष देश नहीं हैं."

डेमोक्रेट पार्टी के नेता अमी बेरा ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों को पनाह देने और उन्हें नया रूप देने में पाकिस्तान की भूमिका की ओर इशारा किया और कहा कि इन सभी को पाकिस्तान की सरकार का समर्थन प्राप्त है.

बता दें कि कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे. यह एक ऐसा हमला था जिसने एक बार फिर पाकिस्तान की स्टेट पॉलिसी के रूप में आतंक के उपयोग को उजागर किया. सांसद बेरा ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर शुरू करके भारत की प्रतिक्रिया अपेक्षित और उचित थी, साथ ही उन्होंने इस्लामाबाद से आतंक के निर्यात के बजाय अपनी घरेलू अस्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने को कहा.

बेरा ने व्हाइट हाउस में जनरल असीम मुनीर के लिए रेड कार्पेट बिछाकर किए गए स्वागत के बारे में भी बात की. उन्होंने माना कि ऐसा कभी नहीं हुआ था. CENTCOM कमांडर की विदाई सहित कई उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों में पाक सेना प्रमुख की उपस्थिति ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीति में बदलाव और पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान से सीधे जुड़ने की इच्छा पर सवाल उठाए हैं. UN महासभा से इतर ट्रंप की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और असीम मुनीर के साथ द्विपक्षीय वार्ता को पाकिस्तान की काली हो चुकी वैश्विक प्रतिष्ठा को देखते हुए एक असाधारण रवैए  के रूप में देखा जा रहा है.

फिर भी सांसद बेरा ने आगाह किया कि अमेरिकी सांसदों का स्पष्ट नजरिया है. उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारे दीर्घकालिक रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा हित भारत के साथ हैं." उन्होंने कहा कि अमेरिका की संसद में दोनों पार्टियां नई दिल्ली को 21वीं सदी के लिए एक निर्णायक भागीदार के रूप में देखती है.

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क्षेत्रीय सुरक्षा पर, बेरा ने सऊदी-पाकिस्तान सैन्य समझौते पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने "मुस्लिम नाटो" बनाने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी जो दक्षिण एशिया को अस्थिर कर सकता है. इसके बजाय, उन्होंने खाड़ी शक्तियों से भारत की आर्थिक गतिशीलता के साथ अधिक निकटता से जुड़ने का आग्रह किया.

जब अमेरिका अपनी दक्षिण एशिया नीति को नया आकार दे रहा है, सांसद बेरा के शब्द एक कठोर वास्तविकता को हम सबके सामने लेकर आते हैं: अमेरिकी सरकार सामरिक रूप से रावलपिंडी की ओर हाथ बढ़ा सकती है, लेकिन उसका दीर्घकालिक दांव दृढ़ता से भारत पर बना हुआ है.

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