भारत जापान 2+2 यानि दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की दूसरी बैठक गुरुवार को टोक्यो में हुई. जहां भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसमें शिरकत की. वहीं जापान की तरफ से विदेश मंत्री हायाशी योशीमासा और रक्षा मंत्री हामादा यायुकाज़ू बैठक में शामिल हुए. बाद में दोनों देशों ने एक साझा बयान जारी किया. इसमें दोनों देशों ने माना कि जिस तरह की सुरक्षा चुनौतियां आज उठ खड़ी हुई हैं, उसमें वैश्विक सहयोग की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है.
दोनों देशों ने कहा कि नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था जिसमें देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता मान्य हो उसके लिए प्रतिबद्ध हैं. इस बयान में अपील की गई कि सभी देश आपसी मतभेद शांतिपूर्ण तरीके से और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सुलझाएं और कोई भी धमकी से या जबरदस्ती एकतरफा कार्रवाई कर यथास्थिति बदलने की कोशिश ना करे.
मंत्रियों ने दोनों देशों के साझा रणनीतिक लक्ष्य, इंडो-पैसिफिक को स्वतंत्र और सबके लिए खुला रखने पर प्रतिबद्धता जताई. यानि ये इलाका सबके लिए हो, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत रहे और यहां किसी की जोर जबरदस्ती ना हो.
गौरतलब है कि भारत और जापान दोनों ही को चीन से सीमा या जमीन विवाद है. ताइवान के प्रति चीन के रवैये को देखते हुए चिंताएं और भी बढ़ गई हैं. इंडो पैसिफिक क्षेत्र में भी चीन बड़े समुद्री इलाके पर अपना दावा कर रहा है और अपने पड़ोसी देशों से विवाद है. 2+2 बैठक में क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्रों पर तो चर्चा हुई ही, यूक्रेन पर भी बात हुई.
अहम तौर पर जापान ने इस बैठक में ये भी कहा कि वो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी विकल्प पर विचार कर रहा है, जिसमें 'काउंटर स्ट्राइक' भी शामिल है. अगले पांच सालों में वो अपने रक्षा बजट को बढ़ाएगा और सुरक्षा के पुख़्ता इंतजाम करेगा. भारत ने इसका समर्थन किया है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक खत्म होने के बाद संबोधन में कहा कि ये बैठक अंक उलझे हुए वैश्विक माहौल में हुई है और अब को मंडल के बाद भरोसेमंद सप्लाई चेन फ भी बनाने की जरूरत है. लड़ाई और जलवायु से जुड़ी घटनाओं के कारण एनर्जी और खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं हो गई हैं. ऐसे माहौल में भारत और जापान को साथ मिलकर काम करना होगा. जयशंकर ने कहा कि बैठक में साइबर सुरक्षा, फाइव जी और अहम खनिज को लेकर भी बात हुई.