संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और आयरलैंड के प्रस्ताव से भारत ने बनाई दूरी, पाकिस्तान की वजह से किया ऐसा फैसला

शुक्रवार को पेश इस प्रस्ताव का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 में से 14 देशों ने समर्थन किया. सिर्फ भारत ही अनुपस्थित रहा. प्रस्ताव पारित होने के बाद अमेरिका ने कहा कि यह प्रस्ताव अनगिनत लोगों का जीवन बचाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins

अमेरिका और आयरलैंड की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए एक प्रस्ताव से भारत दूरी बनाते हुए अनुपस्थित हो गया. अमेरिका और आयरलैंड ने प्रतिबंधित किए गए देशों में मानवीय सहायता की छूट देने का प्रस्ताव पास किया था.

प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान पाकिस्तान का जिक्र करते हुए भारत यह कहकर अनुपस्थित हो गया कि प्रतिबंधित देश खासकर उसके पड़ोसी देश के आतंकवादी संगठनों को इस प्रस्ताव से फंड इकट्ठा करने और आतंकवादियों की नई बहाली करने में मदद मिल सकती है.

अमेरिका और आयरलैंड की तरफ से  पेश प्रस्ताव में किसी भी देश की मानवीय सहायता के समय फंड और अन्य वित्तीय संपत्तियों के अलावा वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान आवश्यक है और यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगाए गए प्रतिबंध समिति और फ्रीज संपत्ति का उल्लंघन नहीं माना जाएगा.

Advertisement

शुक्रवार को पेश इस प्रस्ताव का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 में से 14 देशों ने समर्थन किया. सिर्फ भारत ही अनुपस्थित रहा. प्रस्ताव पारित होने के बाद अमेरिका ने कहा कि यह प्रस्ताव अनगिनत लोगों का जीवन बचाएगा.

Advertisement

परिषद की अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने अपने देश की तरफ से मतदान की व्याख्या करते हुए कहा कि "हमारी चिंताएं इस तरह के मानवीय सहायता का पूरा फायदा उठाने वाले आतंकवादी समूहों के सिद्ध उदाहरणों से उत्पन्न होती हैं, और 1267 प्रतिबंध समिति सहित प्रतिबंध व्यवस्थाओं का यह मज़ाक बनाते हैं." कंबोज ने पाकिस्तान और उसकी सरजमीं पर मौजूद आतंकी संगठनों का भी परोक्ष रूप से जिक्र किया.

Advertisement

रुचिरा कंबोज ने जमात-उद-दावा के एक स्पष्ट संदर्भ में कहा, "हमारे पड़ोस में आतंकवादी समूहों के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें इस परिषद द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादी समूह भी शामिल हैं, जिन्होंने इन प्रतिबंधों से बचने के लिए खुद को मानवीय संगठनों और नागरिक समाज समूहों के रूप में फिर से अवतार लिया है. जमात-उद-दावा खुद को मानवीय सहायता वाला संगठन कहता है, लेकिन व्यापक रूप से यह लश्कर-ए-तैयबा (LET) के लिए एक फ्रंट संगठन के रूप में देखा जाता है."

Advertisement

रुचिरा कंबोज ने कहा, "फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) आतंकवादी संगठनों जेयूडी और लश्कर द्वारा संचालित एक धर्मार्थ संस्था और आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) द्वारा समर्थित अल रहमत ट्रस्ट भी पाकिस्तान में स्थित हैं. ये आतंकवादी संगठन धन जुटाने और लड़ाकों की भर्ती के लिए मानवीय सहायता की छत्रछाया का उपयोग करते हैं."

यह भी पढ़ें-

और करीब आए Quad देश : पहले युवा फेलो दस्ते को अमेरिका के NSA ने शुभकामनाएं दीं
"अमेरिका की तरह "Preemptive Strike" कर सकता है रूस" : परमाणु हमले वाले बयान को पुतिन ने किया और स्पष्ट
Video : दो पार्षदों के साथ दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष अली मेहंदी शाम को AAP में गए, देर रात लौटे, सुनिए क्या बोले


 

Featured Video Of The Day
Tahawwur Rana Extradition: तहव्वुर राणा की NIA Custody 12 दिन के लिए बढ़ी, जानिए कोर्ट ने क्या कहा?