यूक्रेन में "स्थायी शांति" पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान से दूर रहा भारत

यूक्रेन और उसके समर्थकों द्वारा लाए गए 'यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति अंतर्निहित संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांत' शीर्षक वाले मसौदा प्रस्ताव को 193 सदस्यीय महासभा ने स्वीकार कर लिया.

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यूक्रेन में "स्थायी शांति" पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान से भारत दूर रहा.
संयुक्त राष्ट्र:

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुरूप यूक्रेन में जल्द से जल्द "व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति" हासिल करने की आवश्यकता को रेखांकित करने वाले प्रस्ताव पर भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में बृहस्पतिवार को अनुपस्थित रहा. यूक्रेन और उसके समर्थकों द्वारा लाए गए 'यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति अंतर्निहित संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांत' शीर्षक वाले मसौदा प्रस्ताव को 193 सदस्यीय महासभा ने स्वीकार कर लिया. प्रस्ताव के पक्ष में 141 और विरोध में 7 वोट पड़े. भारत उन 32 देशों में शामिल था, जिन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया.

कई बार आक्रमण की निंदा की
प्रस्ताव में सदस्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को चार्टर के अनुरूप यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों के लिए समर्थन को दोगुना करने का आह्वान किया गया. प्रस्ताव ने यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन की मान्य सीमा और जल सीमा को रेखांकित कर दोहराया कि रूस तुरंत, पूरी तरह से और बिना शर्त के यूक्रेन के क्षेत्र से अपनी सभी सैन्य ताकतों को वापस ले. रूस के 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से, संयुक्त राष्ट्र ने महासभा, सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार परिषद में कई प्रस्तावों के जरिए आक्रमण की निंदा की है और यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है.

भारत शांति और संवाद और कूटनीति के पक्ष में
भारत यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से दूर रहा है और लगातार संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करता रहा है. नई दिल्ली ने यह भी आग्रह किया है कि शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर तत्काल वापसी के लिए सभी प्रयास किए जाएं. पिछले सितंबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि इस संघर्ष में भारत शांति और संवाद और कूटनीति के पक्ष में है. जयशंकर ने कहा था कि इस संघर्ष का शीघ्र समाधान खोजने के लिए संयुक्त राष्ट्र के भीतर और बाहर रचनात्मक रूप से काम करना सामूहिक हित में है.

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बातचीत और कूटनीति एकमात्र रास्ता
जयशंकर ने कहा था, "जैसा कि यूक्रेन संघर्ष जारी है, हमसे अक्सर पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में हैं और हमारा जवाब, हर बार सीधा और ईमानदार होता है, भारत शांति का पक्षधर है और वहीं मजबूती से रहेगा. हम उस पक्ष में हैं, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और उसके संस्थापक सिद्धांतों का सम्मान करता है. हम उस पक्ष में हैं, जो बातचीत और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताता है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बुधवार को फिर से शुरू हुए महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र को बताया कि यूक्रेन पर रूस का आक्रमण "हमारी सामूहिक अंतरात्मा का अपमान" है और कहा कि खतरनाक स्थिति से पीछे हटने का यह "उच्च समय" है. 

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