मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने रविवार को एक विशेष बैठक में अफगानिस्तान (Afghanistan) में बिगड़ती मानवीय स्थिति को स्वीकार किया और इससे निपटने के उपायों का आह्वान किया. सऊदी अरब के प्रस्ताव पर बुलाए गए इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation) के विदेश मंत्रियों की परिषद के 17वें विशेष सत्र की मेजबानी पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति को दुनिया के सामने लाने के उद्देश्य से की जा रही है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिनभर चलने वाले इस सम्मेलन में 70 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें 20 विदेश मंत्री और 10 उप विदेश मंत्री शामिल हैं. प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) ने अपने मुख्य भाषण में, अमेरिका से अफगानिस्तान के चार करोड़ लोगों और तालिबान के प्रति अपनी नीति को अलग करने के लिए कहा, जबकि अफगान लोगों की मदद करने के लिए कार्रवाई की मांग की.
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उन्होंने कहा, “अगर दुनिया ने कदम नहीं उठाया तो यह सबसे बड़ा मानव निर्मित संकट होगा जो हमारे सामने आ रहा है.” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो अफगानिस्तान में अव्यवस्था फैल जाएगी. युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच, अगस्त के मध्य में तालिबान द्वारा काबुल में सत्ता पर नियंत्रण हासिल किये जाने के बाद देश की अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट का सामना कर रही है.
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विदेशों में अरबों डॉलर की संपत्ति के लेन-देन पर रोक लगा दी और देश के लिए सभी तरह के वित्तपोषण को रोक दिया. खान ने इस्लामोफोबिया (इस्लाम से डर) के खतरे का भी विशेष उल्लेख किया. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की ओर से मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने अफगान समस्या का एक बहुत ही खतरनाक परिदृश्य चित्रित किया.
उन्होंने कहा, “अफगान अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है, तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. करीब 2.3 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि दुनिया को अफगानिस्तान की मदद के लिए आगे आना चाहिए. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सत्र को संबोधित करते हुए अफगान लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला जो एक भयानक भविष्य का सामना कर रहे हैं और उनकी मदद के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया.
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