- पाकिस्तान की जनता इमरान खान के स्वास्थ्य और वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता में है और कई अफवाहें फैल रही हैं
- इमरान खान का जन्म लाहौर में हुआ और क्रिकेट में पाकिस्तान को विश्व कप जिताया था, इसके बाद राजनीति में कदम रखा
- उन्होंने 1996 में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की स्थापना की और 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे
पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर इमरान खान के नाम ने सरगर्मी मचा रखी है. सुर्खियों में उनका नाम किसी चुनावी जीत के लिए नहीं आ रहा है. वो जिंदा है या नहीं, उनका स्वास्थ्य कैसा है, वो हैं कहां... ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो पाकिस्तान की जनता और खासकर इमरान खान के चाहने वाले पूछ रहे हैं. इमरान खान की तीन बहनों ने भी दावा किया है कि जेल में बंद भाई से मुलाकात की मांग करने पर पुलिस ने उन पर क्रूरता से हमला किया है. PTI ने इमरान की हेल्थ को लेकर हालिया अफवाहों पर शाहबाज सरकार से जवाब मांगा है. PTI ने अधिकारियों से तुरंत पूर्व पीएम और उनके परिवार के सदस्यों के बीच मुलाकात कराने की मांग की है. चलिए इस गहमा-गहमी और कयासों के बीच आपको इमरान खान की कहानी बताते हैं. कैसे लाहौर में जन्मा एक बच्चा पाकिस्तान को क्रिकेट की बुलंदियों पर लेकर गया, राजनीति करने पर उतरा तो वजीर-ए-आजम तक बना और फिर उसके साथ वही हश्र हुआ जो पाकिस्तान के हर पीएम के साथ होता है- एक बुरा अंजाम.
लाहौर में जन्म, ऑक्सफोर्ड में शिक्षा और विश्व कप जिताने वाले कप्तान
25 नवंबर 1952 को लाहौर के ज़मां पार्क में जन्मे इमरान खान बचपन से ही एक सुसंस्कृत और प्रतिष्ठित पश्तून परिवार के वातावरण में पले-बढ़े. चार बहनों के बीच इकलौते बेटे इमरान ने पाकिस्तान और ब्रिटेन के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की. लाहौर के एचिसन कॉलेज और वॉर्सेस्टर के रॉयल ग्रामर स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही उनका रुझान पढ़ाई के साथ-साथ खेल, विशेषकर क्रिकेट, की ओर बढ़ता गया.
उनके परिवार में क्रिकेट का प्रभाव पहले से मौजूद था. उनके दो चचेरे भाई — जावेद बुर्की और माजिद खान — पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम की कप्तानी कर चुके थे. ऐसे माहौल ने इमरान के भीतर बचपन से ही क्रिकेट के प्रति गहरा जुनून पैदा किया.
1980 का दशक इमरान के लिए सुनहरा साबित हुआ. इस दौरान वे दुनिया के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों और ऑलराउंडरों में गिने जाने लगे. उनकी रिवर्स स्विंग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नई पहचान बनाई और बल्लेबाजी में भी वे बेहद प्रभावशाली रहे- टेस्ट क्रिकेट में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 61.86 का औसत इसका सबूत है. 1982 में उन्हें पाकिस्तान टीम की कमान सौंप दी गई.
उनकी बेहतरीन फिटनेस, करिश्माई व्यक्तित्व और आकर्षक लुक ने उन्हें पाकिस्तान और इंग्लैंड, दोनों जगह लोकप्रिय बना दिया. लंदन के मशहूर नाइट क्लबों में उनकी मौजूदगी और ब्रिटिश टैब्लॉइड्स की कवरेज के चलते उनकी ‘प्लेबॉय' इमेज खूब चर्चा में रही.
अपने करियर में उन्होंने 88 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 37.69 की औसत से 3807 रन बनाए, 6 शतक और 18 अर्धशतक भी शामिल रहे.
इमरान खान की कप्तानी का शिखर क्षण 1992 का क्रिकेट विश्व कप रहा, जब उन्होंने इंग्लैंड को हराकर पाकिस्तान को उसका पहला विश्व कप खिताब दिलाया. इसी ऐतिहासिक जीत के बाद उन्होंने संन्यास की घोषणा की और क्रिकेट इतिहास में एक महान खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान पक्की कर ली.
सफल कप्तानी के बाद राजनीति की तरफ कदम
क्रिकेट से राजनीति में इमरान खान का सफर आसान नहीं था. खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने 1996 में तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की स्थापना की. उनका उद्देश्य था- पाकिस्तान की सियासत पर दशकों से हावी दो बड़ी पार्टियों, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP), के दबदबे को चुनौती देना.
2002 में वे पहली बार संसद सदस्य चुने गए. इसके बाद 2013 के राष्ट्रीय चुनावों में PTI देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. हालांकि इमरान खान ने आरोप लगाया कि नवाज शरीफ की अगुवाई वाली PML-N ने चुनाव में धांधली की थी. 2007 में उन्हें पूर्व सैन्य राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ की नीतियों का विरोध करने के चलते कुछ समय के लिए जेल भी जाना पड़ा.
कथित चुनावी गड़बड़ियों के खिलाफ 2014 में उन्होंने लाहौर से इस्लामाबाद तक ‘आजादी मार्च' निकाला. अंततः नवाज शरीफ सरकार द्वारा आरोपों की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करने के बाद वे पीछे हटे. नवंबर 2016 में PML-N के नेता हनीफ अब्बासी ने इमरान को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दायर की, जिसमें उन पर संपत्ति छिपाने, विदेशी धन लेने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में इस मामले की सुनवाई की और अंत में इमरान खान के पक्ष में निर्णय दिया.
25 जुलाई 2018 को पाकिस्तान में आम चुनाव हुए, जिसमें इमरान खान ने पांच सीटों से चुनाव लड़ा और PTI 116 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 6 अगस्त को पीटीआई ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नामित किया. इसके बाद 18 अगस्त 2018 को इमरान खान ने पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.
तख्तापलट
कहा जाता है कि इमरान खान को प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुंचाने में सेना का अहम हाथ था. लेकिन जब उसी सेना से रिश्ते बिगड़े तो इमरान खान के हाथ से कुर्सी निकल गई. कई विश्लेषकों का मानना है कि सेना और इमरान खाने के बीच अक्टूबर 2021 के बाद से रिश्ते बिगड़ने लगे. इमरान और सेना के बीच पाकिस्तान की ताकतवर खुफिया एजेंसी ISI के नए चीफ की नियुक्ति पर तनातनी हुई. इमरान खान इस पद पर अपने वफादार फैज हमीद को बैठाना चाहते थे, जबकि सेना प्रोटोकॉल के अनुसार लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम की नियुक्ति के पक्ष में थी.
इस तल्खी के पहले ही विपक्ष लामबंदी करने लगा था. सितंबर-अक्टूबर 2020 के दौरान ही पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां इमरान को अपनी ताकत बताने के लिए एकजुट हुईं और इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी का ऐलान किया. कई विपक्षी पार्टियों ने मिलकर गठबंधन किया, पाकिस्तान के अलग अलग हिस्सों में रैलियां कीं जिससे कि इमरान खान को बेनकाब किया जा सके. कराची में हुई गठबंधन रैली में 11 विपक्षी पार्टियां शामिल थीं. विपक्ष के इस नए गठबंधन को पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मूवमेंट (पीडीएम) का नाम दिया.
और फिर आई 10 अप्रैल 2022 की तारीख. इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रहे. इमरान पहले ऐसे पीएम बने जिन्हें पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया है. अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 174 वोट पड़े और केवल दो वोटों के अंतर से इमरान खान को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा. इमरान की इस कहानी में ऐसे तीन किरदार रहे, जो उनके लिए सुपरविलेन साबित हुए. विपक्षी नेता शहबाज शरीफ, बिलावल भुट्टो और मरियम नवाज. यही वो तीन नाम हैं, जिन्होंने इमरान खान को हटाने में अहम भूमिका निभाई है. आगे इमरान खान को जेल में भेजा गया और शहबाज शरीफ को पीएम की कुर्सी मिली.
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