यूरोप (Europe) इन दिनों शीत युद्ध के बाद (Post Cold War) के अपने सबसे गंभीर सुरक्षा संकट (Security Crisis) से गुज़र रहा है. पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन (Ukraine) को लेकर दुनिया के दो सबसे ताकतवर देश अमरीका (US) और रूस (Russia) एक बार फिर आमने -सामने हैं. अमरीका का कहना है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है. यूक्रेन के पड़ोसी देश बेलारूस (Belarus) में रूस समर्थित सरकार है और वहां सैन्य अभ्यास (Military Exercise) के नाम पर रूसी सेनाओं का जमावाड़ा बढ़ता जा रहा है. कई बड़े यूरोपीय देशों का कहना है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो वो ऐसी स्थिति में अमरीका का साथ देंगे.
महीनों के तनाव के बाद हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने 19 जनवरी 2022 को चेतावनी दी थी कि उन्हें लगता है कि रूस यूक्रेन पर हमला करेगा और अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो रूस को पछताना पड़ेगा. वहीं रूस अपनी सेना को पीछे खींचने के लिए कुछ शर्तें रख रहा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) की मांग है कि यूक्रेन को नाटो सेना (NATO) का सदस्य ना बनाया जाए. साथ ही यह समझौता किया जाए कि नाटो पूर्वी यूरोप के अधिकांश हिस्सों से सैनिकों और हथियारों को हटाएगा.
अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दी है यूक्रेन पर रूस के हमले की चेतावनी
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यूक्रेन में रूस विरोधी प्रदर्शनों के बाद 2014 में व्लादिमि पुतिन के नेतृत्व में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया हिस्से को अपने देश में मिला लिया था. यही यूक्रेन पर रूस के हमले के खतरे को गंभीरता से लेने की बड़ी वजह है.
द कन्वरसेशन के अनुसार दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय की पूर्वी यूरोप की विशेषज्ञ तात्सियाना कुलकेविच ने यूक्रेन-रूस और अमरीका को लेकर उठ रहे पांच बड़े सवालों के जवाब दिए.
1) यूक्रेन और रूस के रिश्तों के बारे में हमें क्या जानना चाहिए?
यूक्रेन को 30 साल पहले सोवियत संघ के विघटन के बाद अजादी मिली थी. वह तब से भ्रष्टाचार से निपटने और अंदरूनी विभाजनों को पाटने के लिए संघर्ष कर रहा है.
यूक्रेन का पश्चिमी क्षेत्र आमतौर पर पश्चिमी यूरोप के साथ एकीकरण का चाहता है जबकि देश का पूर्वी हिस्सा रूस के साथ करीबी रिश्ते रखने का पक्षधर है. यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में रूसी मूल के बहुत से लोग रहते हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2014 में तनाव चरम पर था. यूक्रेन के हिंसक प्रदर्शनकारियों ने यूक्रेन के रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इन प्रदर्शनों को अब‘गरिमा की क्रांति'के रूप में जाना जाता है.
रूस का क्रीमिया में यूक्रेन के खिलाफ सैन्यबेस
लगभग उसी समय, रूस ने क्रीमिया को जबरन अपने देश में मिला लिया. पुतिन तुरंत पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में हमला करने के लिए बढ़ गए थे. यूक्रेन के सरकारी बलों और रूस समर्थित अलगाववादियों के बीच सशस्त्र संघर्ष में 14,000 से अधिक लोग मारे गए.
आज यूक्रेन फिलहाल कमजोर स्थिति में भी है, क्योंकि उसके पास अस्थायी सरकार है और सेना की भी तैयारी नहीं है.
क्रीमिया को लेकर अपनी प्रतिक्रिया के विपरीत रूस ने लगातार डोनबास संघर्ष में अपनी भूमिका होने से इनकार किया है.
2. राष्ट्रपति पुतिन का आखिरकार खेल है क्या?
पुतिन यूक्रेन को दुनिया के एक ऐसे हिस्से के तौर पर देखते हैं जहां रूस का 'प्रभाव' है. वह एक स्वतंत्र देश के बजाय यूक्रेन को एक ऐसे इलाके की तरह देखते हैं जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा था. स्वामित्व की इस भावना ने रूस को इस बात के प्रेरित किया है कि वो यूरोपीय संघ और नाटो में यूक्रेन शामिल होने से रोके.
फिलहाल अमेरिका ने रूस के खिलाफ कई राजनीतिक और आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं. पुतिन यूक्रेन का उपयोग पश्चिमी शक्तियों द्वारा रूस पर लगाए प्रतिबंध हटाने के लिए भी कर रहे हैं.
यूक्रेन पर रूसी हमले से राजनायिक स्तर पर अधिक बातचीत हो सकती है जिससे इन प्रतिबंधों पर रियायतें मिल सकती हैं
3. यूक्रेन की क्या योजनाएं हैं?
यूक्रेन की सरकार ने कहा है कि वह 2024 में यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए आवेदन करेगी, और नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षा भी रखती है.
डोनबास में रूस की सैन्य आक्रामकता और क्रीमिया पर कब्जा करने से यूक्रेन के पश्चिमी झुकाव को जनता का समर्थन बढ़ा है.
2019 में सत्ता में आए यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने भ्रष्टाचार विरोधी, आर्थिक नवीनीकरण और डोनबास क्षेत्र में शांति को लेकर प्रचार किया था.
4. अमरीका यूक्रेन के लिए रूस से क्यों भिड़ रहा है?
1994 में अमरीका, ब्रिटेन और रूस के बीच यूक्रेन को लेकर एक समझौता हुआ था. इसका लक्ष्य यह था कि यूक्रेन परमाणु हथियारों को त्यागने का वचन देगा और इसके बदले यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा की जाएगी. इसे बुडापेस्ट ज्ञापन सुरक्षा आश्वासन कहा गया. अमरीका का कहना है कि क्रीमिया पर कब्ज़ा करके और डोनबास संघर्ष का समर्थन करके रूस ने यूक्रेन के लिए हुए बुडापेस्ट ज्ञापन सुरक्षा आश्वासन को तोड़ा है.
5. पुतिन यूक्रेन पर हमले की धमकी क्यों दे रहे हैं?
यूक्रेन के साथ लगती सरहद पर रूस द्वारा सैन्य तैनाती बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि रूस पहले से अधिक बेखौफ़ हो गया है. पुतिन यह जानते हैं कि कई पश्चिमी राजनीतिक नेता जो रूसी हितों की हिमायत करते हैं वह पद छोड़ने के बाद रूसी कंपनियों के साथ जुड़ जाते हैं.
उदाहरण के लिए, जर्मनी के पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने पद पर रहते हुए यूरोप और रूस के बीच रणनीतिक सहयोग की वकालत की. बाद में वह 2017 में रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के अध्यक्ष बन गए.पद पर रहते हुए रूस के प्रति नरम रुख को बढ़ावा देने वाले अन्य वरिष्ठ यूरोपीय राजनीतिक नेताओं में फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांकोइस फिलोन और ऑस्ट्रिया के पूर्व विदेश मंत्री कैरिन केनिसल शामिल हैं. दोनों पद छोड़ने के बाद रूसी सरकारी कंपनियों के बोर्ड में शामिल हो गए.
कई मौके पर पुतिन ने देखा है कि कुछ प्रमुख पश्चिमी राजनीतिक नेताओं ने रूस के साथ गठबंधन किया है. ये गठबंधन पश्चिमी देशों को पुतिन के खिलाफ एकीकृत मोर्चा बनाने से रोक सकते हैं.