चांद पर 2030 तक बन सकती है इंसानी बस्ती, वहीं करेंगे काम : NASA अधिकारी

नासा (NASA) आर्टिमिस (Artemis) कार्यक्रम को मंगलग्रह (Mars) पर जाने जैसे महत्वकांक्षी कार्यक्रम की शुरूआत के तौर पर देख रहा है.

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1972 में हुए अपोलो 17 मिशन के बाद इंसान चांद पर नहीं पहुंचे हैं.  

चांद पर भेजे गए आर्टिमिस रॉकेट के बाद, एक बड़े नासा अधिकारी ने कहा है कि इस दशक के अंत तक इंसान चांद पर रह सकते हैं.  द गार्डियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी एजेंसी ओरियन लूनर स्पेसक्राफ्ट प्रोग्राम के प्रमुख, होवॉर्ड हू, ने कहा कि इंसान 2030 से पहले चांद पर एक्टिव हो सकते हैं, जिसमें, उनके रहने की जगहें होंगी और उनके काम को सपोर्ट करने के लिए रोवर्स होंगे.   

उन्होंने बीबीसी को रविवार को बताया कि, इस दशक में हम कुछ लंबे कालखंडों के लिए चांद पर रहने जा रहा रहे हैं. लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम चांद पर कितने लंबे समय तक रहेंगे. वहां इंसानों के रहने लायक जगह होगी, उनके पास ज़मीन पर रोवर्स होंगे. हम चांद की ज़मीन पर इंसानों को भेजेंगे और वह वहां रहकर वैज्ञानिक काम करेंगे.  

द ओरियन स्पेसक्राफ्ट पिछले बुधवार को सफलतापूर्वक फ्लोरिडा से रवाना हुआ था. होवॉर्ड हू ने कहा कि आर्टिमिस रॉकेट द्वारा ओरियन स्पेसक्राफ्ट को ले जाना इंसान की अंतरिक्ष में उड़ान के लिए एक "ऐतिहासिक दिन" था.  

उन्होंने कहा कि अगर यह मिशन कामयाब हो जाता है कि इससे आर्टिमिस 2 और 3 की उड़ानों का रास्ता साफ होगा, जिसमें चांद के लिए अंतरिक्षयात्रियों वाले मिशन भेजे जाएंगे.  

आर्टिमिस कार्यक्रम भविष्य में, चांद पर अंतरिक्षयात्रियों के रहने के लिए एक स्पेस स्टेशन के निर्माण और विकास के लिए भी जिम्मेदार होगा. 

ओरियन कैप्सूल धरती पर 11 दिसंबर को वापसी करेगा. अधिकारी ने कहा, यह गहरे अंतरिक्ष में लंबी समय के लिए खोज का हमारा पहला कदम है. यह केवल अमेरिका नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है. मुझे लगता है कि यह नासा के लिए ऐतिहासिक दिन है, लेकिन अंतरिक्ष में इंसानों को बसता देखने की ख्वाहिश रखने वाले हर इंसान के लिए ऐतिहासिक दिन है. नासा आर्टिमिस कार्यक्रम को मंगलग्रह पर जाने जैसे महत्वकांक्षी कार्यक्रम की शुरूआत के तौर पर देख रहा है.  1972 में हुए अपोलो 17 मिशन के बाद इंसान चांद पर नहीं पहुंचे हैं.  

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