बैंकर, प्रोफेसर से लेकर छात्र तक... बांग्लादेश के नए 'बॉस' मोहम्मद यूनुस की टीम से मिलिए

बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सदस्यों ने गुरुवार को शपथ ली है.

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने गुरुवार को शपथ ली.
नई दिल्ली:

नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सदस्यों ने ऐसे समय शपथ ली है, जब बांग्लादेश शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के पतन के बाद अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है.

बांग्लादेश की नवगठित सरकार में 17 सदस्य हैं. अंतरिम सरकार के सभी सदस्यों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

डॉ मोहम्मद यूनुस

प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ग्रामीण बैंक के संस्थापक हैं. डॉ यूनुस को ग्रामीण बैंक की स्थापना करने और माइक्रोक्रेडिट तथा माइक्रोफाइनेंस की अवधारणाओं को आगे बढ़ाने के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने 1998 से 2021 तक संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में काम किया. यूनुस को कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं.

डॉ सालेहुद्दीन अहमद

डॉ सालेहुद्दीन अहमद ने एक मई 2005 से 30 अप्रैल 2009 तक बांग्लादेश बैंक के 9वें गवर्नर के रूप में कार्य किया. अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में अनुशासन को बढ़ावा देने और केंद्रीय बैंक के संचालन को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से सुधारों को लागू किया. डॉ अहमद ने 1970 में ढाका यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के लेक्चरर के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था. इसके बाद वे 1971 में पाकिस्तान की तत्कालीन सिविल सेवा में शामिल हो गए थे, सन 1972 में वे ढाका विश्वविद्यालय में लौट आए. उन्होंने बांग्लादेश के विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य किया.

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ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन

एम सखावत हुसैन बांग्लादेश के पूर्व चुनाव आयुक्त (2007-2012) हैं. वे बांग्लादेश सेना में ब्रिगेडियर जनरल रहे हैं. उन्होंने 32 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. वे रक्षा विश्लेषक के रूप में एक कॉलमिस्ट और स्वतंत्र टिप्पणीकार भी हैं. उन्होंने दो साल तक बांग्लादेश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक सोनाली बैंक के निदेशक मंडल में काम किया. उन्होंने जर्मनी में नाटो अभ्यास में भाग लिया. उन्होंने ब्रिटिश सेना के साथ सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए जर्मनी में पहले बांग्लादेशी सैन्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था.

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डॉ एमडी नजरुल इस्लाम (आसिफ नजरुल)

आसिफ नज़रुल के नाम से भी जाने जाने वाले डॉ इस्लाम कानून के प्रोफेसर, शोधकर्ता और नागरिक समाज कार्यकर्ता हैं. उन्होंने प्रमुख पत्रिकाओं और पुस्तकों में संवैधानिक, अंतरराष्ट्रीय कानूनी मुद्दों पर कई पुस्तकें और शोध पत्र लिखे हैं. उन्होंने संवैधानिक सुधार, चुनाव में ईमानदारी और सुशासन के मुद्दों पर अमेरिका, यूरोप और दक्षिण एशिया में आयोजित सम्मेलनों में रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए. वे 2011 से 2017 तक मानवाधिकारों के लिए दक्षिण एशियाई ब्यूरो के सदस्य थे. 

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आदिलुर रहमान खान

आदिलुर रहमान खान एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन के संस्थापक हैं. वे वकील और बांग्लादेश के पूर्व उप अटॉर्नी जनरल हैं. अक्टूबर 2022 से आदिलुर रहमान खान अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार महासंघ (FIDH) के महासचिवों में भी शामिल रहे हैं. आदिलुर रहमान खान ने ढाका विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई की. वह लेफ्टिनेंट जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद के खिलाफ लोकतांत्रिक आंदोलन का हिस्सा थे. उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय और व्रीजे यूनिवर्सिटी ब्रुसेल से कानून में मास्टर डिग्री प्राप्त की है.

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एएफ हसन आरिफ

एएफ हसन आरिफ बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और 1970 से वकालत कर रहे हैं. उन्होंने अक्टूबर, 2001 से अप्रैल, 2005 तक बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल का पद संभाला. वे जनवरी 2008 से जनवरी 2009 तक बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के विधि सलाहकार (कैबिनेट मंत्री) थे. उन्हें 1967 में भारत के पश्चिम बंगाल के कलकत्ता उच्च न्यायालय के अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया गया था.

मोहम्मद तौहीद हुसैन

मोहम्मद तौहीद हुसैन बांग्लादेश के पूर्व विदेश सचिव हैं. वे दक्षिण अफ्रीका में बांग्लादेश के पूर्व उच्चायुक्त हैं. वे 1981 में बांग्लादेश विदेश सेवा में शामिल हुए. जनवरी 1999 से फरवरी 2000 तक हुसैन ने विदेश सेवा अकादमी के प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया. वे 17 दिसंबर 2006 से 8 जुलाई 2009 तक बांग्लादेश के विदेश सचिव थे.

सैयदा रिजवाना हसन

सैयदा रिजवाना हसन बांग्लादेश पर्यावरण वकील संघ (बेला) की मुख्य कार्यकारी हैं. वे वैश्विक पर्यावरण कानून गठबंधन और प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघों (आईयूसीएन) के पर्यावरण कानून आयोग की सदस्य हैं. इसके अतिरिक्त वे दक्षिण एशियाई नेटवर्क फॉर डेवलपमेंट एंड एनवायरनमेंटल इकोनॉमिक्स (एसएएनडीईई) के बोर्ड की सदस्य हैं.

सुप्रदीप चकमा

सुप्रदीप चकमा चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड (सीएचटीडीबी) के अध्यक्ष हैं. उन्होंने पहले वियतनाम और मैक्सिको में बांग्लादेश के राजदूत के रूप में काम किया है. बीसीएस 1985 बैच के विदेशी कैडर के रूप में उन्होंने रबात में बांग्लादेश दूतावास, कोलंबो में बांग्लादेश उच्चायोग, ब्रुसेल्स में बांग्लादेश दूतावास और अंकारा में बांग्लादेश दूतावास में विभिन्न क्षमताओं में भी काम किया.

फरीदा अख्तर

फरीदा अख्तर ने कृषि, समुद्री मत्स्य पालन, जनसंख्या और विकास के मुद्दों पर व्यापक शोध किया है. उन्होंने यूबीनिग नाम के संगठन की स्थापना की है. यह संगठन 300,000 से अधिक कृषक परिवारों को शामिल करते हुए जैव विविधता-आधारित कृषि प्रणाली चलाता है. वे कई पुस्तकों की लेखिका हैं और राष्ट्रीय दैनिकों में जैव विविधता, पर्यावरण, महिलाओं और अन्य मुद्दों पर लिखने वाली एक नियमित स्तंभकार हैं.

बिधान रंजन रॉय

प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय पोद्दार बांग्लादेश के मैमनसिंह में मनोविज्ञान विशेषज्ञ हैं. वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड हॉस्पिटल में मनोचिकित्सा विभाग में डायरेक्टर और प्रोफेसर हैं.

शरमीन मुर्शिद

शरमीन मुर्शिद मानवाधिकार संगठन ब्रोटी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. सन 2001 से यह संगठन हाशिए पर पड़े समूहों, विशेष रूप से स्वदेशी लोगों के अधिकारों के लिए काम कर रहा है.

एएफएम खालिद हुसैन

अबुल फ़ैज़ मोहम्मद खालिद हुसैन, जिन्हें डॉ एएफएम खालिद हुसैन के नाम से जाना जाता है, एक बांग्लादेशी देवबंदी इस्लामी विद्वान, शिक्षक, लेखक, शोधकर्ता, संपादक, अंतरराष्ट्रीय इस्लामी वक्ता और समाज सुधारक हैं. वे हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम बांग्लादेश के पूर्व उपाध्यक्ष, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के शिक्षा सलाहकार, मासिक अत्तौहीद के संपादक और बालाघ अल-शर्क के सहायक संपादक हैं. वे उमरगनी एमईएस कॉलेज में इस्लामी इतिहास और संस्कृति विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे और निज़ाम-ए-इस्लाम पार्टी की छात्र शाखा इस्लामी छात्र समाज के केंद्रीय अध्यक्ष रहे हैं.

फारूक-ए-आजम

नौसेना कमांडो फारूक-ए-आजम स्वतंत्रता सेनानी हैं. उन्हें बीर प्रतीक से सम्मानित किया गया था. सन 1971 में मुक्ति संग्राम की शुरुआत में फारूक-ए-आजम ने हाई स्कूल पास किया था. “ऑपरेशन जैकपॉट” मुक्ति संग्राम का एकमात्र समन्वित अभियान था. वह चटगांव बंदरगाह पर हमला करने के लिए गठित टीम के डिप्टी कमांडर थे.

नूरजहां बेगम

नूरजहाँ बेगम ग्रामीण बैंक की स्थापना के दौरान प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की शुरुआती सहयोगियों में से एक हैं. सन 2011 में बैंक के संस्थापक प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के बैंक छोड़ने के तुरंत बाद उन्होंने ग्रामीण बैंक के कार्यकारी प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया. उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक ग्रामीण बैंक के प्रशासन, प्रशिक्षण और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के महाप्रबंधक के रूप में काम किया और बैंक के केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान के प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया. उन्होंने दुनिया भर में माइक्रोक्रेडिट कार्यक्रमों के सलाहकार, प्रशिक्षक और मूल्यांकनकर्ता के रूप में भी काम किया है. नूरजहां को ग्रामीण फाउंडेशन द्वारा सुसान एम डेविस लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 2008, वर्ल्ड समिट मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स अवार्ड 2009 और विज़न अवार्ड 2009 से सम्मानित किया गया.

नाहिद इस्लाम

नाहिद इस्लाम बांग्लादेशी छात्र कार्यकर्ता हैं, जो बांग्लादेश कोटा सुधार आंदोलन के मुख्य नेताओं में से एक थे. यह आंदोलन बाद में असहयोग आंदोलन में बदल गया. इसी के कारण शेख हसीना की सरकार गिर गई. नाहिद का जन्म 1998 में ढाका में हुआ था और वे ढाका विश्वविद्यालय में 2016-17 बैच के समाजशास्त्र के छात्र हैं. उनके पिता एक शिक्षक हैं और मां एक गृहिणी हैं. नाहिद शादीशुदा हैं और उनका एक छोटा भाई है.

आसिफ महमूद

आसिफ महमूद भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के प्रमुख समन्वयकों में से एक हैं. कोमिला से आने वाले आसिफ ढाका विश्वविद्यालय में 2017-18 बैच के भाषा विज्ञान विभाग के छात्र हैं. 26 वर्षीय आसिफ ने नक्खलपारा हुसैन अली हाई स्कूल से पढ़ाई की और 2015 में एसएससी पास की. उन्होंने 2017 में आदमजी कैंटोनमेंट कॉलेज से एचएससी पास की. वह कॉलेज के बीएनसीसी प्लाटून के पूर्व कैडेट सार्जेंट थे. वह ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र अधिकार परिषद के अध्यक्ष भी थे.

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