अब तक 1300 मौतें: मक्का में गर्मी से सबसे ज्यादा मिस्र के हाजी ही क्यों मर रहे? जानिए

मक्का में गर्मी से हज यात्रियों की मौत का आंकड़ा पूरी दुनिया को डरा रहा है. गौर करने वाली बात है ये कि मरने वाले लोगों में सबसे ज्यादा हाजी मिस्त्र से हैं. अब सबके जेहन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिरी किस वजह मिस्त्र के लोग हज यात्रा में मर रहे हैं, यहां इस बारे में विस्तार से जानिए.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
हज यात्रियों पर भीषण गर्मी की मार
नई दिल्ली:

गर्मी के कहर ने इस बार तो सारी सीमाएं पार कर दीं. इस साल भारत में भयंकर गर्मी का कहर देखने को मिल रहा है. वहीं सऊदी अरब भी भयंकर गर्मी की चपेट में है. सऊदी में गर्मी कितना कहर ढा रही है, इसका अंदाजा इससे लगा लीजिए कि हज के दौरान 1300 से हज यात्रियों की मौत हो चुकी है. इस साल बड़ी संख्या में हज यात्रियों के मरने के पीछे की बड़ी वजह भीषण गर्मी बताई जा रही है. पवित्र शहर मक्का में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच चुका है. इतनी भीषण गर्मी के कारण मक्का में हजारों हज यात्रियों की मौत हो गई. सऊदी सरकार के मुताबिक, अब तक हजारों हज यात्री हीट स्ट्रोक की चपेट में आ चुके हैं. लेकिन सबसे ज्यादा मौत मिस्त्र के लोगों की हुई है.

हज यात्रा में सबसे ज्यादा मिस्त्र के लोगों की मौत

हज यात्रा करने के लिए दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं. इसलिए मक्का में अच्छी-खासी भीड़ भी होती है. इस बार यहां पहुंचे कई देशों के हज यात्रियों की गर्मी की वजह से जान जा चुकी है. लेकिन मरने वालों में सबसे ज्यादा लोग मिस्त्र के लोग शामिल है. जानकारी के मुताबिक मिस्र के 600 से अधिक लोगों की मौत हुई है. काहिरा में दो अधिकारियों ने बताया कि 31 को छोड़कर सभी बिना रजिस्ट्रेशन वाले तीर्थयात्री शामिल थे. मिस्र में स्थानीय एजेंट आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को खर्च बचाने का लालच देकर टूरिस्ट वीजा पर हज करने सऊदी भेज देते हैं. रजिस्ट्रेशन न होने के चलते इन यात्रियों को हज की सुविधा नहीं मिलती है.

बिना रजिस्ट्रेशन वाले यात्रियों की डगर बड़ी मुश्किल

मिस्र सरकार ने मक्का में अवैध तीर्थयात्रा करने वाली 16 हज पर्यटन कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक कैबिनेट द्वारा समीक्षा की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ ऑपरेटरों ने सही वीजा जारी नहीं किए थे, इसलिए कई लोग पवित्र शहर मक्का में प्रवेश नहीं कर सके और इसके बजाय उन्हें पैदल रेगिस्तानी रास्तों से प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा. कुछ कंपनियों पर उचित आवास उपलब्ध कराने में विफल रहने का भी आरोप लगाया, जिससे पर्यटकों को ज्यादा गर्मी का सामना करना पड़ा. इतनी गर्मी में यात्रियों को ना ही एसी बस सफर के लिए मिल पाती और ना ही गर्मी के हिसाब से खाना पीना. इसलिए इन लोगों पर गर्मी की मार सबसे ज्यादा पड़ती है.

Advertisement
सही वीजा ना मिलने से कई लोग पवित्र शहर मक्का में प्रवेश नहीं कर सके और उन्हें पैदल रेगिस्तानी रास्तों से दाखिल होना पड़ा. कुछ कंपनियों पर उचित आवास उपलब्ध कराने में विफल रहने का भी आरोप लगाया, जिससे पर्यटकों को ज्यादा गर्मी का सामना करना पड़ा. इतनी गर्मी में यात्रियों को ना ही एसी बस सफर के लिए मिल पाती और ना ही गर्मी के हिसाब से खाना पीना. इसलिए इन लोगों पर गर्मी की मार सबसे ज्यादा पड़ती है.

लगभग हर कुछ सौ मीटर पर पड़ा था शव

हज यात्रियों ने इस साल 49 डिग्री सेल्सियस (120 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक के अत्यधिक तापमान में यात्रा की. इंडोनेशिया के 44 वर्षीय अहमद ने सीएनएन को बताया कि उन्होंने कई लोगों को बीमार पड़ते और यहां तक ​​कि गर्मी से मरते हुए देखा. उन्होंने बताया कि घर लौटते समय मैंने कई तीर्थयात्रियों को मरते हुए देखा. लगभग हर कुछ सौ मीटर पर एक शव पड़ा था और उस पर इह्रोम [सफेद कपड़ा] का कपड़ा ढका हुआ था. उन्होंने कहा कि उन्होंने सड़क पर स्वास्थ्य कर्मियों या फिर एक भी एम्बुलेंस को नहीं देखा. श्रद्धालु पवित्र शहर मक्का में और उसके आस-पास कई तरह के अनुष्ठान करते हैं, जिसमें अक्सर हर दिन चिलचिलाती गर्मी में कई घंटे पैदल चलना शामिल होता है.

Advertisement
लगभग हर कुछ सौ मीटर पर एक शव पड़ा था और उस पर इह्रोम [सफेद कपड़ा] का कपड़ा ढका हुआ था. उन्होंने कहा कि उन्होंने सड़क पर स्वास्थ्य कर्मियों या फिर एक भी एम्बुलेंस को नहीं देखा.

हज यात्रा में क्यों मिस्र के लोगों की मौत ज्यादा

इस बार हज यात्रा में सबसे ज्यादा मौत मिस्र, जॉर्डन और इंडोनेशिया के लोगों की हुई, दरअसल इन देशों के लोग इतनी गर्मी झेलने के आदी नहीं होते हैं. ऐसे में अचानक से इतने ऊंचे तापमान में पहुंचने से इन लोगों को काफी दिक्कतों से जूझना पड़ता है. इन मुश्किल स्थिति में अगर इन यात्रियों को जरूरी देखभाल ना मिले तो इंसान की मौत भी हो सकती है. तापमान की बात करें तो मिस्र के तटीय क्षेत्रों में तो सर्दियों में औसत तापमान न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में औसत तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहता है. जबकि अधिकतम तापमान 40 डिग्री के आसपास ही रहता है. यही वजह है कि जब मिस्त्र के लोग अचानक से 50 डिग्री तापमान में पहुंचते हैं तो उन्हें अधिक एहतियात की जरूरत होती है.

Advertisement

हज यात्रा में बिछड़ी पत्नी की तलाश में शख्स

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक एक यासर नाम के शख्स ने बताया कि वह भीषण गर्मी के बीच अपनी रस्मों को पूरा करने में सफल रहे, लेकिन रविवार से अपनी पत्नी को नहीं देखा है और अब उसे इस बात का डर सता रहा है कि उनकी पत्नि भी मरे हुए लोगों में से एक हो सकती है. रिटायर हो चुके 60 वर्षीय इंजीनियर ने शुक्रवार को अपने होटल के कमरे से फोन पर कहा कि मैंने मक्का के हर एक अस्पताल की तलाशी ली है पर वह वहां नहीं है. मैं इस पर विश्वास नहीं करना चाहता कि वह मर चुकी है. अगर वह मर चुकी है, तो यह उसके जीवन का अंत है और मेरे जीवन का भी.

Advertisement

आधिकारिक हज परमिट कोटा सिस्टम के माध्यम से देशों को आवंटित किए जाते हैं और लॉटरी के माध्यम से इन्हें बाटा जाता है. यहां तक ​​कि जो लोग उन्हें प्राप्त कर सकते हैं, वो भी ऊंची लागत की वजह से दूसरे मार्ग को अपनाते हैं, जिसकी लागत हजारों डॉलर कम है. जब सऊदी अरब ने सामान्य पर्यटक वीजा जारी करना शुरू किया, जिससे देश की यात्रा करना आसान हो गया. यासर अभी भी सऊदी अरब में हैं, पिछले महीने सऊदी पहुंचते ही उन्हें कई दिक्कतों से जूझना पड़ा. क्योंकि उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था.

किन यात्रियों को उठानी पड़ती है दिक्कतें

हज शुरू होने से एक सप्ताह पहले, कुछ दुकानों और रेस्तरां ने उन सभी को सेवा देने से इनकार कर दिया, जो नुसुक नामक आधिकारिक ऐप पर परमिट नहीं दिखा सकते थे. जब चिलचिलाती धूप में चलने और प्रार्थना करने के लंबे दिन शुरू हुए, तो वह हज बसों तक नहीं पहुंच सके, जो पवित्र स्थलों के आसपास पहुंचने का एकमात्र जरिया है. जब गर्मी ने उनकी हालत खराब कर दी तो उन्होंने मीना के एक अस्पताल में देखभाल की मांग की, लेकिन वहां परमिट के कारण उन्हें वापस भेज दिया गया. मीना में “शैतान को पत्थर मारने” के दौरान भीड़ में यासर और उनकी पत्नी सफा एक-दूसरे से बिछड़ गए. तब से यासर अपनी पत्नी की राह देख रहे हैं. 

अराफात, मीना और मक्का के रास्ते में कई लाशें

31 वर्षीय मिस्र के मोहम्मद, सऊदी अरब में रहते हैं और जिन्होंने इस साल अपनी 56 वर्षीय मां के साथ हज किया है. उन्होंने कहा कि अराफात, मीना और मक्का के रास्ते में "ज़मीन पर लाशें पड़ी थीं. मैंने लोगों को अचानक गिरते और थकावट से मरते देखा. एक अन्य मिस्रवासी जिसकी मां की रास्ते में ही मृत्यु हो गई, उसने कहा कि उसकी मां को एम्बुलेंस मिल पाना असंभव था. एक आपातकालीन वाहन उसकी मां की मृत्यु के बाद ही आया, जो शव को अज्ञात स्थान पर ले गया. अब तक मक्का में मेरे चचेरे भाई मेरी मां के शव की तलाश कर रहे हैं.

Featured Video Of The Day
Yellow Taxi बन जाएगी इतिहास... जानें वजह | Kolkata | Shorts