- अमेरिकी राष्ट्रपति ने सेना के शीर्ष अधिकारियों के सामने अमेरिकी शहरों को सैन्य प्रशिक्षण स्थल बनाने की बात कही
- ट्रंप ने शिकागो समेत विपक्षी पार्टी के शासित शहरों पर सैन्य कार्रवाई के लिए जनरलों को सक्रिय रहने को कहा
- यह पहली बार है जब अमेरिकी राष्ट्रपति सैनिकों के समक्ष घरेलू राजनीतिक मुद्दों को खुलकर संबोधित कर रहे हैं
क्या खुद को दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र बताने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति तानाशाह बनने की तैयारी कर रहे हैं? लग तो कुछ ऐसा ही रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को सेना के टॉप अधिकारियों के साथ एक दुर्लभ बैठक की. यहां उन्होंने अपने घोर सत्तावादी भाषण में कहा कि सेना को "भीतर से युद्ध" के लिए अमेरिकी शहरों को ही ट्रेनिंग ग्राउंड के रूप में उपयोग करना चाहिए. ट्रंप ने दुनिया भर से बुलाए गए सैकड़ों जनरलों और एडमिरलों से कहा कि वे शिकागो सहित उन शहरों पर कार्रवाई में बड़ी भूमिका के लिए तैयार रहें, जहां विपक्षी पार्टी डेमोक्रेट का शासन (गवर्नर) है.
न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक में जमा हुए टॉप सैन्य अधिकारियों को पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मंत्रालय हेडक्वाटर) के प्रमुख पीट हेगसेथ ने एक अलग चुनौती के बारे में अलग से चेतावनी दी. उन्होंने "मोटे जनरलों" को खत्म करने और जिसे उन्होंने "दशकों के क्षय" कहा है, उसे रोलबैक करने की कसम खाई है.
ट्रंप ने कहा कि "हम उन्हें एक-एक करके सीधा करने जा रहे हैं, और यह इस कमरे में मौजूद कुछ लोगों के लिए एक प्रमुख हिस्सा होने जा रहा है. यह भी एक युद्ध है - यह भीतर से एक युद्ध है."
साथ ही ट्रंप ने अमेरिकी सेना में तथाकथित “वोक (नस्लीय और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर ध्यान देना)" प्रथाओं के खिलाफ अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि उनके प्रशासन के तहत अब "योद्धा की भावना को फिर से जगाया जा रहा है." इसके बाद उनका घंटे भर का भाषण और भी अधिक खुले तौर पर राजनीतिक भाषण में बदल गया. अबतक अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति सैनिकों को संबोधित करते समय घरेलू राजनीति से बचते रहे हैं. लेकिन ट्रंप ने ऐसा नहीं किया.