अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी पर ट्रंप के 100 दिन पूरे, 10 फैसलों से बताया- दिल में आता हूं, समझ में नहीं

20 जनवरी को ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली, उनसे कई बदलावों की उम्मीदें लगाई गई थीं. अब 100 दिन बाद पीछे मुड़कर देखते हैं तो ट्रंप उन उम्मीदों से कई कदम आगे नजर आते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को वापस कुर्सी पर बैठे 100 दिन हुए

डोनाल्ड ट्रंप कुछ भी कर सकते हैं. यह ऐसा मंत्र है जो फॉरेन एक्सपर्ट ट्रंप के बारे में विचार करने से पहले दिमाग में रखते हैं. जब 20 जनवरी को ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली, उनसे कई बदलावों की उम्मीदें लगाई गई थीं. अब 100 दिन बाद पीछे मुड़कर देखते हैं तो ट्रंप उन उम्मीदों से कई कदम आगे नजर आते हैं. नियम, कायदा और फैसले लेने में कोई पैटर्न.. इन सबको धता बताते हुए ट्रंप ने जो समझ में आया वो किया, उन्हें जो अमेरिका के भविष्य के लिए सही लगा, वो किया.

उन्होंने एक ऐसा टैरिफ वॉर शुरू किया जिसे शायद ही दुनिया ने कभी देखा था. NATO के सहयोगी देशों का अपमान किया है और यूक्रेन पर आक्रमण के बारे में रूस के नैरेटिव को दोहराया को अपनाया. ग्रीनलैंड पर कब्जा करने, पनामा नहर को वापस लेने और कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कही है.

चलिए आपको 100 दिनों में ट्रंप के 10 सबसे बड़े फैसलों के बारे में आपको बताते हैं:

1- फोड़ा टैरिफ ‘बम'

2 अप्रैल को ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर अमेरिका को घाटे में रखकर फायदा उठाने का आरोप लगाते हुए भारी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की. उनके इस फैसले ने दुनिया भर के शेयर मार्केट में भूचाल ला दिया. आगे उन्होंने दुनिया के अधिकांश आयातों पर टैरिफ को 90 दिनों की अवधि के लिए स्थगित करते हुए उसे 10 प्रतिशत तक कम कर दिया. हालांकि उन्होंने चीन को निशाने पर लिया और कई आयातों पर टैरिफ को 145 प्रतिशत तक बढ़ा दिया. ट्रंप के इस फैसले से शुरु आर्थिक संकट ने विश्व बाजारों को झकझोर कर रख दिया है, सोने की कीमतें बढ़ गई हैं और डॉलर के मूल्य पर असर पड़ा है.

2- यूक्रेन नहीं पुतिन से ‘यारी'

ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के 24 घंटे के अंदर यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म करने के लिए एक शांति समझौता करवाने का वादा किया था. 100 दिन गुजर जाने के बाद भी कोई डील नहीं हो सकी है. उनपर यह आरोप बार-बार लगाया जा रहा है कि वो रूस का पक्ष ले रहे हैं. ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की निंदा की, फिर समझौता किया. उन्हें वाशिंगटन का न्योता भेजा और फिर ओवल ऑफिस में पूरी दुनिया के सामने उनसे बहस की, लगभग डांटा. यूक्रेन के साथ हथियार और खुफिया जानकारी शेयर करना बंद किया. अभी रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के साथ शांति वार्ता कर रहे हैं. रूस और यूक्रेन के बीच के संघर्ष में शायद पहली बार किसी अमेरिका राष्ट्रपति ने रूस की भाषा बोली है.

Advertisement

3- NATO को दूर से प्रणाम

इन 100 दिनों में लंबे समय के यूरोपीय सहयोगियों पर ही ट्रंप ने निशाना साधे रखा. ट्रंप का यह स्टैंड उनके पहले कार्यकाल में भी था लेकिन इस बार उनका हमला दोगुना हो गया. सैन्य संगठन नाटो के यूरोपीय सदस्य यूक्रेन के साथ खड़े हैं और ट्रंप उन देशों पर आरोप लगा रहे हैं कि वे इस संगठन के लिए कम फंडिंग दे रहे हैं. ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर वो जल्द से जल्द अपनी फंडिंग को नहीं बढ़ाते हैं तो अमेरिका किसी भी हमले की स्थिति में उनकी रक्षा करने नहीं आएगा. साथ ही ट्रंप ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की किसी भी संभावना को इन्कार कर दिया है. 

Advertisement

4- ‘सब अमेरिका छोड़ो' 

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संरक्षणवादी नारे- अमेरिका फर्स्ट- के साथ चुनाव जीता था और उनका एक बड़ा जोर इस बात पर रहा है कि अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजा जाए. भारत से लेकर लैटिन अमेरिका के देशों के लोगों को डिपोर्ट किया गया. ट्रंप के प्रशासन ने इस क्रम में अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे ऐसे विदेशी स्टूडेंट्स को निशाना बनाया जो पॉलिटिक्ली एक्टिव थे. 

Advertisement

5- अमेरिकी यूनिवर्सिटिज के पीछे पड़े 

डोनाल्ड ट्रंप ने यूनिवर्सिटी कैंपसों को यहूदी विरोधी और हमास समर्थकों का अड्डा बताकर निशाने पर लिया. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का तो फंड तक रोक लिया जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने ट्रंप सरकार को कोर्ट में घटीसा है. साथ ही ट्रंप ने कई एक्टिविस्ट छात्रों को देश से निकाला है.

6- सरकारी नौकरी पर ‘कैंची' 

Advertisement

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति चुनाव के कैंपेन में बाइडेन सरकार पर बार बार आरोप लगाया था कि हर सरकारी डिपार्टमेंट फिजुलखर्ची कर रहा है और अमेरिका को बचाने के लिए इसे रोकना जरूरी होगा. ट्रंप ने सरकार बनने के साथ फिजुलखर्ची रोकने के लिए एक डिपार्टमेंट- DOGE बनाया. इसकी बागडोर दुनिया के सबसे अमीर शख्स और अपने पार्टनर एलन मस्क के हाथों में दी. इस डिपार्टमेंट ने फिजुलखर्ची रोकने के नाम पर हजारों सरकारी कर्मचारियों को निकाल दिया. इससे जुड़े भी कई केस अदालतों में दायर हो चुके हैं और सुनवाई जारी है.

7- अमेरिका के विस्तार का सपना

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में अपनी विस्तारवादी इच्छाओं को छिपाने की भी कोशिश नहीं की है. वो कनाडा को US का 51वां राज्य बनाने पर तुले दिख रहे हैं और एक बार नहीं, उन्होंने बार-बार ऐसा कहा है. कनाडा के लोग और वहां के राजनेता इससे इतने नाराज हुए कि ट्रंप वहां के आम चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बन गए. इसके अलावा ट्रंप ने ग्रीनलैंड को लेने, पनामा नहर का कंट्रोल अमेरिका को देने और गाजा को अपना रियल एस्टेट ग्राउंड बनाने का सपना देखते और सबको बताते रहे हैं.

8- ईरान से न्यूक्लियर डील पर बातचीत

2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने खुद अपने पहले कार्यकाल में ईरान के साथ अमेरिका के न्यूक्लियर डील को एकतरफा रूप से तोड़ दिया था. अब अपने दूसरे कार्यकाल में फिर से ईरान के साथ डील करने की पूरी कोशिश में लगे हैं. हालांकि उन्होंने इसके लिए सिर्फ बातचीत का रास्ता नहीं अपना रखा, वो रुक-रुककर ईरान पर सैन्य कार्रवाई की धमकी दे रहें.


9- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन से निकला अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के अलगे ही दिन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन से अमेरिका को बाहर निकाल लिया. साथ ही उन्होंने भविष्य में सभी फंडिंग को भी रोक दिया.

10- USAID पर रोक

दूसरे कमजोर देशों को अमेरिका की तरफ से सहायता देने के लिए बनाई गई USAID पर ट्रंप प्रशासन ने रोक लगा दिया है. कई गरीब देश ऐसे हैं जिनके लिए USAID ही साफ पानी, फसलों के बीज और वैक्सीन तक पहुंच का जरिया है, वो उनके लिए जीवन या मृत्यु का सवाल है.

Featured Video Of The Day
Pahalgam Terror Attack: पाकिस्तान लगातार कर रहा LOC पर Ceasefire का उल्लंघन, देखिए Exclusve Report