कुख्यात अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी (al-jawahari) को उसके काबुल स्थित घर पर दागी गई दो मिसाइलों (Missiles) से मार दिया गया. लेकिन तस्वीरों में विस्फोट का कोई संकेत नहीं दिखा और अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि किसी अन्य आदमी को इस कार्रवाई में कोई नुकसान नहीं हुआ. इस तरह के ऑपरेशन से अमेरिका द्वारा मैकाब्रे हेलफायर R9X मिसाइल के प्रयोग के कयास लगाए जा रहे हैं.
यह एक वारहेड-कम मिसाइल है, जो छह रेजर जैसे ब्लेड से लैस होती है. इसमें लगे ब्लेड अपने लक्ष्य को काटते हैं, लेकिन विस्फोट नहीं करते. इसके पहले भी पेंटागन या सीआईए द्वारा कभी सार्वजनिक रूप से इसके इस्तेमाल की बात को स्वीकार नहीं किया गया. पहली बार आर9 एक्स का प्रयोग मार्च 2017 में होने के अंदाजा लगाया गया था, जब अल-कायदा के वरिष्ठ नेता अबू अल-खैर अल-मसरी को ड्रोन हमले में मार गिराया गया था. वह सीरिया में एक कार में यात्रा कर रहे थे.
उस वाहन की तस्वीरों में छत से एक बड़ा छेद दिखाई देता था. इसमें कार की धातु के साथ सवार लोगों के शारीरिक अंग कटे हुये दिखे थे. लेकिन कार का अगला और पिछला हिस्सा पूरी तरह बरकरार नजर आ रहा था. तब हेलफायर मिसाइलें के इस्तेमाल की बड़ी चर्चा हुई थी. इस मिसाइल को लक्षित हमलों के लिए जाना जाता है. अल जवाहरी के मारे जाने के बाद एक बार फिर हेलफायर मिसाइलों की चर्चा शुरू हो गई है.
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि 31 जुलाई की सुबह जवाहिरी अपने काबुल स्थित आवास की बालकनी पर अकेले खड़े थे, तभी एक अमेरिकी ड्रोन ने दो हेलफायर दागे. इमारत की स्पष्ट तस्वीरों में एक मंजिल पर खिड़कियां उड़ती हुई दिखाई दे रही हैं, लेकिन अन्य मंजिलों पर खिड़कियों सहित शेष इमारत अभी भी यथावत है. अधिकारी ने कहा कि जवाहिरी के परिवार के सदस्य घर में मौजूद थे, लेकिन "जानबूझकर उन्हें निशाना नहीं बनाया गया और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया गया." अधिकारी ने कहा, "हमारे पास इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि इस हमले में नागरिकों को नुकसान पहुंचा है."