अफ्रीकी देश घाना (Ghana) में बेहद घातक मारबर्ग वायरस (Marburg virus)के मामलों की पुष्टि हुई है. पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना में पहली बार यह इबोला (Ebola) जैसा वायरस पाया गया है. घाना के दक्षिणी क्षेत्र से लिए गए खून के नमूनों की जांच सेनेगल में हुई. घाना हेल्थ सर्विस ने यह पुष्टि की है. द गार्डियन के अनुसार, मारबर्ग वायरस की फिलहाल कोई वैक्सीन या दवाई उपलब्ध नहीं है. ना ही इसका कोई इलाज है. यह चमगादड़ जैसे संक्रामक जानवरों से फैल सकता है. इस बीमारी की पुष्टि ने कोरोना (Coronavirus) महामारी के बाद चिंताएं और बढ़ा दी हैं.
1. कितनी घातक है मारबर्ग वायरस डिसीज़? ( (MVD)
हालांकि MVD इंसानों में बेहद कम देखी गई है लेकिन सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल के मुताबिक मारबर्ग वायरस में मृत्यु दर 23-90% के बीच है.
2. Marburg virus disease (MVD) के लक्षण ?
इसका इन्क्यूबेशन पीरियड 2-21 दिन का होता है. फिर अचानक बुखार, ठिठुरन, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है. फिर शरीर पर लाल धब्बे पड़ते हैं यह खास कर सीने, पीठ और पेट पर पड़ते हैं. इसमें सिर चकराना, उल्टी होना, सीने में दर्द, गले में सूजन और पेट में दर्द और दस्त भी हो सकते हैं. कई बार इसके लक्षणों को पीलिया, या मलेरिया भी समझ लिया जाता है. हालात खराब होने पर लिवर फेल हो सकता है, खून का रिसाव हो सकता है और शरीर के कई अंग खराब हो सकते हैं.
3. इसे मारबर्ग वायरस क्यों कहा जाता है?
ब्रिटेनिका.कॉम के मुताबिक इसका नाम मारबर्ग शहर पर रखा गया है जहां 1967 की महामारी के समय इसके सबसे अधिक 30 मामले दिखे थे. मारबर्ग बीमारी का RAVV वायरस 1987 में केन्या में एक 15 साल के डेनमार्क के लड़के में मिला था.
4. क्या मारबर्ग और इबोला एक जैसे हैं
मारबर्ग और इबोला एक दूसरे से अलग हैं लेकिन इनके लक्षण एक जैसे हो सकते हैं जिसमें बुखार के बाद खून का रिसाव हो सकता है. लेकिन इबोला का वायरस मारबर्ग से अधिक खतरनाक हो सकता है.
5. Marburg virus से कैसे हो बचाव?
मारबर्ग वायरस ने बचाव के लिए पीपीई किट पहनना चाहिए. दस्ताने, और मास्क पहनना चाहिए. संक्रमित व्यक्ति को सख्त आइसोलेशन में रखना चाहिए और मरीज के साथ प्रयोग किए गए उपकरणों का सही से निदान और स्टर्लाइज़ेशन होना चाहिए. संक्रमित जानवरों से दूर रहें