- ब्राजील के बेलेम शहर में 10 नवंबर से 21 नवंबर तक संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन COP30 आयोजित किया जाएगा
- COP30 जलवायु परिवर्तन पर वार्षिक बैठक है, दुनिया के लगभग सभी देश जलवायु संकट से निपटने के लिए शामिल होंगे
- पेरिस समझौते के एक दशक बाद ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए देशों के लक्ष्य, प्रतिबद्धताओं का आकलन होगा
पर्यावरण को बचाने की डेडलाइन हर बीतते दिन के साथ खत्म हो रही है. सवाल इंसानों के अस्तित्व का है, आने वाली पीढ़ियों के लिए इस धरती को हरने लायक बचाने का है. एक बार फिर दुनिया के नेता जलवायु शिखर सम्मेलन के लिए एक साथ बैठेंगे और इस बार उनका ठिकाना ब्राजील के घने अमेजन के जंगल होंगे. इस बैठक के लिए ब्राजील के बेलेम शहर को चुना गया है. इस वर्ष का संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन अपने आप में अहम है क्योंकि यह पेरिस समझौते के एक दशक बाद हो रहा है और पर्यावरण की दृष्टि से सेंसिटिव अमेजन में हो रहा है. यह 10 नवंबर से लेकर 21 नवंबर तक चलेगा. लेकिन सवाल है कि इस जलवायु शिखर सम्मेलन के एजेंडे में क्या है?
खास बात: यह शिखर सम्मेलन एक तरह से जलवायु पर मैराथन वार्ता होती है जो लगभग हर देश को उस चुनौती का सामना करने के लिए इकट्ठा करती है जो उन सभी को प्रभावित करती है. यह चुनौती क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन की है. इस जलवायु शिखर सम्मेलन का आधिकारिक नाम COP है, जिसका अर्थ "कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़" (Conference of Parties) है. यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन की वार्षिक बैठक है.
अगले सप्ताह शुरू होने वाली COP जलवायु वार्ता से पहले गुरुवार, 6 नवंबर और शुक्रवार, 7 नवंबर को एक शिखर सम्मेलन के लिए बेलेम के रेनफॉरेस्ट शहर में लगभग 50 राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के आने की उम्मीद है.
लगभग हर देश भाग ले रहा है, लेकिन अमेरिका किसी को नहीं भेज रहा है, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जलवायु विज्ञान को "धोखाधड़ी का काम" करार दिया है.
चलिए आपको COP जलवायु शिखर सम्मेलन का एजेंडा बताते हैं:
उत्सर्जन (एमिशन)
आज से 10 साल पहले पेरिस समझौता हुआ था जिसका मुख्य लक्ष्य था कि दुनिया के औसत तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 सेल्सियस से अधिक नहीं जाने देना है. लेकिन इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्सर्जन में इतनी तेजी से कटौती नहीं की गई है और COP30 में चाहकर भी इस सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकेगा. जलवायु समझौते के तहत, हस्ताक्षर करने वाले देशों को हर पांच साल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए मजबूत लक्ष्य प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जिससे समय के साथ ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास में लगातार वृद्धि होती है.
2035 के लिए ऐसी प्रतीज्ञा फरवरी में लेनी थी ताकि संयुक्त राष्ट्र को इन प्रतिबद्धताओं की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए COP30 से पहले समय दिया जा सके. लेकिन अधिकांश देश उस डेडलाइन से चूक गए. नवंबर की शुरुआत तक, लगभग 65 देशों ने अपनी संशोधित योजनाएं पूरी कर ली थीं. चीन का लक्ष्य उम्मीदों से काफी नीचे रहा है. यूरोपीयन यूनियन, सदस्य देशों के बीच अंदरूनी कलह से परेशान होकर, अपने लक्ष्य पर सहमत नहीं हो सका है. जबकि भारत ने अभी तक अपने लक्ष्य को अंतिम रूप नहीं दिया है.
पैसा
अमीर देशों पर यह जिम्मेदारी तय की गई है कि वो गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने और कम कार्बन वाले भविष्य की ओर जाने के लिए आर्थिक सहोयग देंगे. हर बीते COP की तरह, बेलेम में होने जा रहे शिखर सम्मेलन में भी यह संघर्ष का एक संभावित बिंदु है. पिछले साल, दो सप्ताह की सौदेबाजी के बाद, COP29 का अंत दुखद रहा था. यहां विकसित देश 2035 तक विकासशील देशों को जलवायु वित्त के रूप में प्रति वर्ष 300 अरब डॉलर देने पर सहमत हुए, जो कि जरूरत से काफी कम था.
जंगल
ब्राजील ने अमेजन से निकटता के कारण बेलेम में COP30 की मेजबानी करने का फैसला किया, जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने में वर्षावन (रेनफॉरेस्ट) की महत्वपूर्ण भूमिका पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक आदर्श मंच है. COP30 में, मेजबान देश ब्राजील एक नया वैश्विक फंड लॉन्च करेगा जो उच्च उष्णकटिबंधीय वन क्षेत्र वाले देशों को आर्थिक पुरस्कार देने का प्रस्ताव करता है जो पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें खड़ा रखते हैं.
ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) का लक्ष्य स्पॉन्सर देशों से 25 अरब डॉलर और निजी क्षेत्र से 100 अरब डॉलर जुटाना है, जो वित्तीय बाजारों में निवेश कर रहे हैं. ब्राजील पहले ही 1 अरब डॉलर लगा चुका है.
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