'ग्लोबल वार्मिंग को 1.5C तक सीमित रखने के लिए "अंतिम और सबसे अच्छी उम्मीद" ग्लोबल COP26 जलवायु सम्मेलन ही है.' ये बात रविवार को शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने बैठक की शुरुआत करते हुए कही. उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि हमारे ग्रह पर स्थिति बदतर होती जा रही है. हम अभी से प्रयास करेंगे तो अपने बहुमूल्य ग्रह को बचा सकते हैं.
ग्लासगो में चल रहा सम्मेलन 12 नवंबर तक चलेगा. इसमें दुनिया भर में बदलते मौसम की घटनाओं और 150 वर्षों के जीवाश्म ईंधन के जलने से जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा होगी.
दिसंबर अंत तक 'गंदे' कोयला संयंत्रों के लिए वित्त सहायता समाप्त कर देगा G20: रिपोर्ट
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगले दस वर्षों में किए जाने वाली सख्त परिवर्तनकारी कार्रवाई ही प्रलयकारी प्रभावों को दूर करने में मदद करेगी. कोरोना काल में भी ग्रह पर ग्लोबल वार्मिंग नहीं रुकी लेकिन इससे यूएन की मीटिंग एक साल के लिए टल गई.
बता दें कि COP26 का लक्ष्य 2015 में पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन की शर्तों की समीक्षा करना है, जिसमें शामिल हुए देशों ने ग्लोबल वार्मिग को 2 डिग्री (3.6 फैरेनहाइट) से कम रखने पर सहमति व्यक्त की थी. उस सम्मेलन में 1.5 डिग्री (2.7 फैरेनहाइट) का लक्ष्य तय किया गया था. इसे लेकर कई तरह के कदम उठाए गए हैं लेकिन वह अभी भी नाकाफी साबित हो रहे हैं.
PM मोदी और G20 नेताओं ने रोम के ट्रेवी फाउंटेन में उछाले सिक्के, देखें VIDEO
अगस्त में दुनिया की शीर्ष जलवायु विज्ञान निकाय ने "कोड रेड" रिपोर्ट में कड़ी चेतावनी दी थी कि तीन साल पहले किए गए अनुमानित समय से एक दशक पहले ही 2030 तक पृथ्वी का औसत तापमान 1.5C के पास पहुंच जाएगा, जबकि पिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि नवीनतम, सबसे महत्वाकांक्षी कार्बन कम करने की प्रतिबद्धता "विनाशकारी" 2.7C वार्मिंग की ओर ले जाएगी.
भारत 2022 तक COVID-19 टीके की 500 करोड़ डोज का उत्पादन करने को तैयार : PM मोदी