उईगुर मुस्लिमों पर अत्याचार के खिलाफ China के Winter Olympic का "बहिष्कार करेंगे" US, UK

लंदन स्थित उईगुर ट्रिब्यूनल ने दिसंबर में अपनी जांच में पाया कि चीन के जनवादी गणराज्य ने शिनजियांग क्षेत्र में नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और उईगुर, कज़ाख और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ अत्याचार किया था.

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चीन के शिनजियांग में उईगुर मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते हैं (प्रतीकात्मक तस्वीर)

चीन (China) की राजधानी बीजिंग (Beijing)  में कुछ दिन में ही शीतकालीन ओलिंपिक (Winter Olympics)  खेल शुरू हो रहे हैं.  लेकिन अमेरिका (US), ब्रिटेन (UK), कनाडा (Canada)  और ऑस्ट्रेलिया ( Australia) समेत कई देश इन ओलिंपिक खेलों का के राजनीतिक बहिष्कार कर रहे हैं. चार फरवरी को जब चीन में शीतकालीन ओलिंपिक खेलों की शुरूआत होगी तो इन देशों के राजनयिक इस अवसर पर वहां मौजूद नहीं रहेंगे. चीन के शिनजियांग स्वायत्त क्षेत्र (Xinjiang Autonomous Region)  में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन ( Human Rights Violation)  के मामले पर यह देश चीन के शीतकालीन ओलिंपिक खेलों का राजनयिक बहिष्कार कर रहे हैं. शिनजियांग की मौजूदा स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चीन की सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है. 

द कन्वरसेशन के पॉडकास्ट के अनुसार जेम्मा वेयर और डैनियल मेरिनो के पॉडकास्ट में बताया गया है कि राजनयिक स्तर पर अनौपचारिक रूप से बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों का बहिष्कार होने की खबर सामने आने के तुरंत बाद लंदन स्थित उईगुर ट्रिब्यूनल ने दिसंबर में अपनी जांच में पाया कि चीन के जनवादी गणराज्य ने शिनजियांग क्षेत्र में नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और उईगुर, कज़ाख और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ अत्याचार किया था.

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लंदन स्थित उईगुर ट्रिब्यूनल स्वतंत्र है और इसके फैसले का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कोई महत्व नहीं है. चीन ने उईगुर ट्रिब्यूनल के फैसले को खारिज करते हुए जबरन श्रम और नरसंहार के आरोपों को ‘‘दुर्भावना से प्रेरित अफवाहें'' बताया.

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हालांकि, इसके बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने कहा कि वह जल्द ही शिनजियांग क्षेत्र की स्थिति का आकलन प्रकाशित करेगा.  शोधकर्ताओं के लिए यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो गया है कि वास्तव में शिनजियांग क्षेत्र में क्या हो रहा है.

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कनाडा में साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एक वरिष्ठ व्याख्याता डैरेन बायलर, जो शिनजियांग में रह चुके हैं और आखिरी बार 2018 में वहां गए थे, उनका कहना है कि उन्हें अब जानकारियां परिवार और दोस्तों को उईगुर प्रवासी समुदाय के सदस्यों की तरफ से दी गई खबरों से मिलती है. 

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बायलर का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ साल पहले की तुलना में कम उईगुरों को अब अधिकारियों द्वारा नजरबंदी शिविरों में हिरासत में लिया जा रहा है. हालांकि, उनका कहना है कि व्यापक स्तर पर कई परिवारों के सदस्य एक-दूसरे से अलग हो गए हैं और सैकड़ों हजारों लोग अभी भी लापता हैं.  नजरबंदी शिविरों से बाहर रह रहे लोगों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाती है.

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ब्रिटेन में शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी एशियाई अध्ययन के व्याख्याता डेविड टोबिन शिनजियांग और उईगुरों के साथ चीन के संबंधों के लंबे इतिहास की व्याख्या करते हैं.

टोबिन कहते हैं, ‘‘चीन में शिनजियांग को कैसे शासित किया जाता है, इसकी अंतर्निहित समस्या यह धारणा है कि उईगुर समुदाय के लोग बर्बर थे और 1949 में चीनी बनकर इंसान बन गए.''

ऑस्ट्रेलिया में जेम्स कुक विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक वरिष्ठ व्याख्याता अन्ना हेस कहती हैं, ‘‘शिनजियांग प्रांत चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट एंड वन रोड परियोजना के लिए एक रणनीतिक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है.''

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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