श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को मौजूदा सरकार पर "वित्तीय चुनौतियों से निपटने में अक्षमता" के साथ देश को गहरे आर्थिक और राजनीतिक संकट में डालने का आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की इस विफलता ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जहां लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं.
पूर्व पीएम विक्रमसिंघे ने एएनआई को बताया, "यह (आर्थिक संकट) हमारे समय में कभी नहीं हुआ. जब हमारी सरकार यहां थी तो बुनियादी ज़रूरतों को खरीदने के लिए लोगों की कतार नहीं थी. लोगों के सड़कों पर आने का कोई कारण नहीं होना चाहिए था. लेकिन यह सब देश में गोटबाया राजपक्षे सरकार की अक्षमता के कारण हो रहा है."
विक्रमसिंघे ने यह भी कहा कि 2019 में जब वह पीएम थे तो देश की अर्थव्यवस्था पूंजी अधिशेष के साथ स्वस्थ स्थिति में थी, लेकिन वर्तमान सरकार की अक्षमता ने लोगों को सड़कों पर ला दिया है.
उन्होंने कहा, "गंभीर आर्थिक स्थिति ने राजनीतिक संकट को जन्म दिया है और जो हो रहा है वह देश के लिए एक आपदा है. इस सरकार ने दो साल के लिए उभरते आर्थिक मुद्दों के सभी संकेतों को नजरअंदाज कर दिया. मुझे याद है जब मैंने 2019 में कार्यालय छोड़ा था, हमारे पास एक अधिशेष बजट और भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसा था (हमारे आयात के लिए)."
वहीं चल रहे आर्थिक संकट के सिलसिले में राहत के लिए आईएमएफ नहीं जाने के मुद्दे पर भी विक्रमसिंघे ने समय पर हस्तक्षेप नहीं करने के लिए मौजूदा सरकार की खिंचाई की.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार आईएमएफ से संपर्क करती है तो भी कोई सार्थक राहत मिलने में लंबा समय लगेगा. इस बीच, सरकार ने जल्द ही आईएमएफ में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है.
यह कहते हुए कि श्रीलंका में बाद में गंभीर संकट होगा कहा, "मुझे नहीं लगता कि सरकार के पास भंडार में पर्याप्त संसाधन बचे हैं और अब वे बिलों का भुगतान करने के लिए प्रमुख निर्यात कंपनियों से उधार लेना चाहते हैं. भारत मई के दूसरे सप्ताह तक ही ईंधन के लिए ऋण देगा."
विक्रमसिंघे ने कहा कि भारत ने श्रीलंका की सबसे ज्यादा मदद की है. हमें भारत अभी भी गैर-वित्तीय तरीकों से मदद रहा है. हमें इसके समर्थन के परीणामों को भी देखना होगा.
विक्रमसिंघे ने आरोप लगाया कि सरकार अर्थव्यवस्था को चला नहीं पा रही है, जबकि 2020 और 2021 में आईएमएफ में जाने के लिए सुझाव दिए गए थे. सरकार केंद्रीय बैंक और ट्रेजरी की सलाह पर आईएमएफ के पास नहीं गई और अब लोग उसका अंजाम भुगत रहे हैं.
श्रीलंका सरकार जल्द ही इस महीने वाशिंगटन डीसी में आईएमएफ से मिलने के लिए तैयार है, जिसमें देश के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में कोई चीनी निवेश देश में नहीं आया है.
यह भी पढ़ें:
गोटबाया राजपक्षे पर इस्तीफे का दबाव बढ़ा, विपक्ष ने किया अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान
मदद के लिए 'बड़े भाई' भारत और PM मोदी का हूं आभारी : श्रीलंका के क्रिकेटर सनथ जयसूर्या
भारत ने संकटग्रस्त श्रीलंका में 24 घंटों में भेजा 76 हजार टन ईंधन
श्रीलंका: आर्थिक संकट से बिगड़े हालात, मदद के लिए जयसूर्या और रणतुंगा ने की भारत की तारीफ