अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद जिन अफगानियों ने महफूज रहने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) में पनाह ली थी, अब उन्हें वहां से भगाया जा रहा है. पाकिस्तान की सरकार ने यहां अवैध रूप से रह रहे 1.7 मिलियन यानी 17 लाख अफगान नागरिकों को देश छोड़ने के लिए 31 अक्टूबर तक की डेडलाइन दी थी. पाक सरकार ने कहा था कि जो अफगानी नागरिक देश नहीं छोड़ेंगे, उन्हें 1 नवंबर से निर्वासित किया जाएगा. ऐसे में डेडलाइन खत्म होते ही अफगान नागरिक बड़ी संख्या में ट्रकों और बसों में सवार होकर अपने देश के लिए रवाना हुए. बॉर्डर क्रॉसिंग में इस दौरान बड़ी अफरा-तफरी देखने को मिली. अफगान सीमा पार करने पर हजारों अफगानी परिवार खाना-पानी के लिए तरस रहे हैं.
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दरअसल, पाकिस्तान सरकार का आदेश आते ही अफगानी नागरिकों ने आनन-फानन में अपने सामन पैक किए. क्योंकि वो किसी कानूनी कार्रवाई या पुलिस के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते थे. पेशावर सिटी छोड़कर अफगानिस्तान लौट रही शाइस्ता कहती हैं, "हम जल्दबाजी में निकले. आधी रात को अपना सामान पैक किया और निकल पड़े. इस अपमानजनक बर्ताव के साथ निर्वासन का सामना करने से बेहतर है कि हम अपनी सहमति से आएं."
हालांकि, सीमा के पाकिस्तानी हिस्से में दो दिनों तक इंतजार करने और अफगानिस्तान में रजिस्टर होने के लिए तीन दिनों के इंतजार करने के बाद वे संसाधनों की कमी का सामना करने को मजबूर हैं. शाइस्ता ने समाचार एजेंसी AFP को बताया, "हमने अपना सामान पीछे छोड़ दिया. अब हमारे पास यहां कोई ठिकाना नहीं है. पानी भी नहीं है."
तोरखम क्रॉसिंग पर इमरजेंसी जैसे हालात
एक सीमा अधिकारी ने कहा, "संख्या हर दिन बढ़ रही है. अकेले मंगलवार को कम से कम 29000 लोग अफगानिस्तान में घुस गए. इससे अफगानिस्तान और पाकिस्तानी राजधानी के बीच तोरखम क्रॉसिंग पर इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं.
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पानी के लिए मांगनी पड़ रही भीख
इस बीच तालिबान सरकार ने कहा है कि सीमा पर मोबाइल टॉयलेट, पानी के टैंक और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था की गई है. लेकिन पाकिस्तान से लौटे अफगानियों ने बताया कि सीमा पर बुधवार को पीने के पानी की किल्लत थी. पेशावर से लौटीं शाइस्ता बताती हैं, "हम लोगों से पानी के लिए भीख मांग रहे हैं. मुश्किल से एक बोतल पानी मिल पा रहा है."
खाने से लेकर टॉयलेट तक की दिक्कत
वहीं, परिवार के 10 सदस्यों के साथ अफगानिस्तान की सीमा पर पहुंचे 24 साल के मोहम्मद अयाज़ कहते हैं, "दिक्कत सिर्फ पानी की नहीं है. उन्होंने AFP को बताया, "हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, वे महिलाओं, बच्चों, भोजन, पानी, आश्रय और चिकित्सा सेवाओं से जुड़ा है. हमारे पास अपने बच्चों के इलाज के लिए यहां कोई दवा का इंतजाम नहीं है."
टूट रहा लोगों का सब्र, खो रहे आपा
अयाज़ ने कहा, "अफगानिस्तान में दाखिल होने के लिए हमें रजिस्ट्रेशन का इंतजार करना पड़ रहा है. भीड़ को देखते हुए कहा नहीं जा सकता कि कितने दिन लगेंगे? लोग आपा खो रहे हैं. झड़प हो जा रही है. मैं तो युवा हूं. किसी तरह इस स्थिति को सहन कर लूंगा, लेकिन एक बच्चा यह सब कैसे सह सकता है?" उन्होंने और अन्य लोगों ने सरकार से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में तेजी लाने और तोरखम और उसके बाहर सहायता मुहैया कराने की अपील की.
अवैध रूप से रह रहे अफगान नागरिकों को निकाले जाने के पाकिस्तान के अभियान की संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, अधिकार समूहों और अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाले शासन की ओर से व्यापक आलोचना हुई है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तान में 20 लाख से अधिक अफगान हैं, जिनमें से कम से कम 6 लाख लोग 2021 में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद भागकर आए थे.
सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि वह अफगान को निशाना नहीं बना रही है, लेकिन यह अभियान पाकिस्तान और पड़ोसी अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच आया है.
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