मार्क कार्नी कनाडा के पीएम की कुर्सी पर बने रहेंगे- इस बार जस्टिन ट्रूडो से 2 महीने के लिए उधार की मिली हुई कुर्सी नहीं बल्कि 5 साल के लिए खुद के दम पर पाई सत्ता है. मार्क कार्नी की नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी को 169 सीटें मिली हैं और पार्टी अकेले के दम पर सरकार नहीं बना पाएगी, उसे 2019 और 2021 की तरह ही बहुमत के लिए किसी छोटी पार्टी का हाथ थामना होगा. वहीं दूसरे नंबर पर पियरे पोइलिवरे के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी रही, जिसे 144 सीटों पर जीत हासिल हुई है. कनाडा के इस बार के संसदीय चुनाव में सबसे बड़े फैक्टर बनकर उभरे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. चाहे उनकी टैरिफ नीति हो या कनाडा को अमेरिका में मिलाकर उसे 51वां राज्य बनाने की खुली बात करना.
पियरे पोइलिवरे: 3 महीने पहले PM बनने के सबसे बड़े दावेदार थे, ट्रंप ने पलटा पासा तो अपनी सीट नहीं जीत पाए
कंजर्वेटिव नेता पियरे पोइलिवरे सिर्फ तीन महीने पहले तक सर्वे में चुनाव जीतने और पीएम बनने के लिए निश्चित दिख रहे थे. मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी पिछले नौ सालों से अधिक समय से सत्ता में हैं और वह जनवरी में सर्वे में 20% प्वाइंट पीछे थी. लेकिन इसके बाद सबकुछ बदल गए. कनाडा में अलोकप्रिय हो चुके पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की कि वह प्रधान मंत्री के रूप में पद छोड़ रहे हैं और उधर ट्रंप ने टैरिफ और कनाडा को अमेरिका में मिलाने की धमकी देना शुरू कर दिया.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार एंगस रीड इंस्टीट्यूट पोलिंग फर्म की अध्यक्ष शची कर्ल ने कहा कि इस नतीजे के पीछे का फैक्टर कंजर्वेटिव पार्टी नहीं थी, यह ट्रंप टैरिफ फैक्टर था, और फिर ट्रूडो का पीएम पद से हटना था. इसने बहुत से लेफ्ट मतदाताओं और पारंपरिक लिबरल मतदाताओं को पार्टी के साथ वापस आने में सक्षम बनाया.
हालांकि जीत के बावजूद, लिबरल पार्टी को वह पूर्ण बहुमत हासिल नहीं होगा जो कार्नी ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को खतरे में डालने वाले टैरिफ पर ट्रंप के साथ बातचीत में मदद करने के लिए मांगा था.
ट्रंप की धमकियों ने कनाडा को एक किया
ट्रंप की धमकियों ने कनाडा में देशभक्ति की लहर जगाई जिससे कार्नी के लिए समर्थन बढ़ा. खास बात है कि कार्नी को राजनीतिक का कोई अनुभव नहीं है, वो तो दरअसल एक कोर इकनॉमिस्ट हैं. इससे पहले कार्नी ने कनाडाई और ब्रिटिश केंद्रीय बैंकों का नेतृत्व किया था.
कार्नी ने तर्क दिया है कि आर्थिक मुद्दों को संभालने का उनका अनुभव उन्हें ट्रंप से निपटने के लिए सबसे अच्छा नेता बनाता है. जबकि पोइलिवरे ने महंगाई, अपराध और आवास संकट के बारे में चिंताओं को अपना चुनावी मुद्दा बनाया. नतीजे बता रहे हैं कि कनाडा की जनता ने ट्रंप की धमकियों को महंगाई से भी बड़ा मुद्दा माना है.