पाकिस्तान ने गणतंत्र दिवस से पहले रिहा किए 20 भारतीय, 568 मछुआरे अब भी पाकिस्तानी क़ैद में

रिहा किए गए इन मछुआरों को पाकिस्तानी सीमा में अवैध रूप से घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें सामाज कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन ‘ईधी फाउंडेशन’ ने सड़क मार्ग से लाहौर तक पहुंचाया.

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वाघा बॉर्डर से भारत वापस आएंगे पाकिस्तान द्वारा रिहा किए गए 20 मछुआरे (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) की समुद्री सीमा में कथित रूप से प्रवेश करने के कारण गिरफ्तार किए गए 20 भारतीय मछुआरों (Indian Fishermen) को पाकिस्तान सोमवार को वाघा बॉर्डर (Wagah Border) के जरिए भारत को सौंपेगा. पाकिस्तान के एक वरिष्ठ कारागार अधिकारी ने यह जानकारी दी. कराची की लांडी जेल में रखे गए मछुआरों को मानवीय आधार पर भारत के गणतंत्र दिवस से पहले रविवार को रिहा कर दिया गया. रिहा किए गए इन मछुआरों को पाकिस्तानी जलक्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश करने और बिना अनुमति मछलियां पकड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें सामाज कल्याण के लिए काम करने वाले संगठन ‘ईधी फाउंडेशन' ने सड़क मार्ग से लाहौर तक पहुंचाया.

पाकिस्तान की जेल में चार साल तक रहे मछुआरे भावेश भीका ने कहा कि वह जिस नौका पर सवार था, वह रात में बहकर पाकिस्तानी जलक्षेत्र में आ गई थी.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि हमने आपकी सीमा का उल्लंघन किया है.''

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पाकिस्तान और भारत समुद्री सीमा के उल्लंघन के कारण एक दूसरे के मछुआरों को गिरफ्तार करते रहते हैं.

‘डॉन' समाचार पत्र के अनुसार, पुलिस उपाधीक्षक अजीम थेबो ने बताया कि सद्भावना के तहत इन 20 भारतीय मछुआरों की रिहाई के बाद इस जेल में अब 568 भारतीय मछुआरे हैं.

भारत और पाकिस्तान ने इस साल की शुरुआत में कैदियों की सूची का आदान-प्रदान किया था, जिसके अनुसार कम से कम 628 भारतीय कैदी पाकिस्तान में हैं, जिनमें से 577 मछुआरे हैं. भारत ने पाकिस्तान के साथ 355 पाकिस्तानी कैदियों की सूची साझा की थी, जिनमें 73 मछुआरे थे

ईधी फाउंडेशन के प्रवक्ता ने कहा कि संगठन मछुआरों के लाहौर तक जाने का खर्च वहन करेगा, जहां उन्हें भारत के सीमा सुरक्षा बल को सौंपा जाएगा. ईधी फाउंडेशन ने हर मछुआरे को सद्भावना के तहत पचास-पचास हजार रुपए भी दिए.

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गैर सरकारी संगठन ‘पाकिस्तान फिशरमेन फोरम' ने कहा कि दोनों देशों के बीच अरब सागर के तटीय क्षेत्र में एक स्पष्ट सीमांकन रेखा के अभाव के कारण आधुनिक समय के नौवहन उपकरण नहीं रखने वाले मछुआरे गलती से सीमा पार चले जाते हैं.

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