- बांग्लादेश में 5 अगस्त को हसीना सरकार के तख्तापलट को 1 साल पूरे हो जाएंगे. राजनीतिक स्थिति अस्थिर बनी हुई है.
- शेख हसीना के महल को संग्रहालय में बदला जा रहा है ताकि उनके कथित निरंकुश शासन की याद जनता के बीच बनी रहे.
- शेख हसीना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप लगे हैं, जिनके खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं
Bangladesh Revolution Anniversary: 5 अगस्त को बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट को एक साल पूरे हो जाएंगें. इस एक साल में बांग्लादेश की सूरत बहुत बदल गई थी. बांग्लादेश में तानाशाही का आरोप लगाकर शेख हसीना के कुर्सी से बेदखल किया गया था, उन्हें जान बचाने के लिए भागकर भारत आने पर मजबूर किया गया. लेकिन आज 1 साल बाद भी बांग्लादेश को एक अनिर्वाचित अंतरिम सरकार ही चला रही है, बांग्लादेश में कंट्टरपंथी ताकतें मजबूत हुईं हैं, वहां मॉल लिचिंग की घटनाओं में 12 गुना बढ़ोतरी देखी गई है.
बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार कभी भारी सुरक्षा वाले महल रहे शेख हसीना के पूर्व आधिकारिक आवास- गणभवन को एक संग्रहालय में बदल रही है. इसके पीछे का मकसद है कि बांग्लादेश की जनता को उनके कथित निरंकुश शासन की स्थायी याद बांग्लादेश की जनता को दिलाई जा सके.
यह महल ब्रिटिश और पाकिस्तानी शासन के दौरान एस्टेट राजबाड़ी के नाम से जाना जाता था. यह दिघपतिया के महाराजाओं का महल था. हसीना के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार इस महल का उपयोग बांग्लादेश सरकार के प्रमुख (पीएम) के आधिकारिक निवास के रूप में कर रही थी.
शेख हसीना के महल का संग्रहालय बनाया जा रहा
5 अगस्त, 2024 को छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के बाद शेख हसीना की सरकार गिर गई थी. हसीना के हेलीकॉप्टर से भारत भाग आने के बाद ढाका में मौजूद उनके महल की छत पर झंडे लहराती भीड़ की तस्वीर पूरी दुनिया ने देखी थी. लेकिन एक साल बाद, लगभग 17 करोड़ लोगों का यह देश अभी भी राजनीतिक उथल-पुथल में है. अब बांग्लादेश की सरकार को उम्मीद है कि इस विशाल महल को संग्रहालय में बदलना भविष्य के लिए एक संदेश देने का काम करेगा.
77 वर्षीय शेख हसीना के खिलाफ ढाका में मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों पर मुकदमे चल रहे हैं. शेख हसीना का कहना है कि वो अभी बांग्लादेश नहीं जा सकती क्योंकि उनकी जान को खतरा है. उन्होंने इस सभी आरोपों से इनकार किया है.
शेख हसीना के महल को संग्रहालय में क्यों बदला जा रहा?
85 वर्षीय नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस मौजूदा अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और वादा किया है कि 2026 की शुरुआत में चुनाव कराएंगे. उन्होंने कहा कि शेख हसीना के महल को संग्रहालय में बदलना "उनके कुशासन और शासन से उन्हें हटाने के पीछे के लोगों के गुस्से की यादों को संरक्षित करेगा."
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार 27 साल के मोस्फिकुर रहमान जोहान एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और डॉक्यूमेंट्री फोटोग्राफर हैं. रहमान उन हजारों लोगों में से एक थे, जिन्होंने तख्तापलट के बाद शेख हसीना के आलीशान महल पर धावा बोला था. भीड़ महल में घुसकर हसीना के बेडरूम में डांस कर रही थी, किचन से खाना निकालकर दावत कर रही थी, और उस झील में तैर रही थी जिसमें हसीना मछली पकड़ने जाती थी.
रहमान ने कहा, "यह (संग्राहलय) अतीत के आघात, अतीत की पीड़ा - और लोगों के प्रतिरोध की भी कल्पना को मूर्त रूप देगा और प्रतीक बनेगा… गणभवन फासीवाद का प्रतीक है, निरंकुश शासन का प्रतीक है".
बन रहे संग्रहालय के क्यूरेटर तंजीम वहाब ने एएफपी को बताया कि इस संग्रहालय की प्रदर्शनियों में मारे गए आंदोलनकारियों की कलाकृतियां शामिल होंगी. उनके जीवन की कहानियां फिल्मों और तस्वीरों के माध्यम से बताई जाएंगी. पट्टिकाओं पर हसीना के शासन की लंबी अवधि के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए लोगों के नाम होंगे.
तंजीम वहाब ने कहा कि संग्रहालय में एनीमेशन और इंटरैक्टिव इंस्टॉलेशन के साथ-साथ उन छोटी कैदखानों का दस्तावेजीकरण भी शामिल होगा जहां हसीना के विरोधियों को दम घुटने वाली स्थिति में हिरासत में रखा गया था. वहाब ने कहा, "हम चाहते हैं कि युवा लोग... इसे लोकतांत्रिक विचारों, नई सोच और नए बांग्लादेश के निर्माण के बारे में चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में उपयोग करें."
हसीना के हर निशान को मिटाया गया
भले एक तरफ हसीना के महल को संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया जा रहा है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनके शासन के कई अन्य प्रतीक चिन्हों को तोड़ दिया है. हसीना के पिता की मूर्तियां गिरा दी गईं, और दोनों की तस्वीरें फाड़ दी गईं और आग लगा दी गईं.
प्रदर्शनकारियों ने दिवंगत शेख मुजीबुर रहमान के घर को तोड़ने के लिए बुलडोजर का भी इस्तेमाल किया. इस घर को हसीना ने अपने पिता के लिए एक संग्रहालय में बदल दिया था.
शेख मुजीबुर रहमान के घर (संग्रहालय) को प्रदर्शनकारियों ने तहस-नहस कर दिया था
मुहिबुल्लाह अल मश्नुन ने कहा, जो घर को तोड़ने वाली भीड़ में से एक थे, "जब तानाशाही गिर जाएगी, तो उसका मक्का भी चला जाएगा." इस 23 वर्षीय छात्र का मानना है कि बांग्लादेश को बेहतर भविष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए ऐसे प्रतीकों को हटाना जरूरी था.
बांग्लादेश में कितना लोकतंत्र आया?
शेख हसीना पर तानाशाही का आरोप लगाकार ही तख्तापलट किया गया था. बांग्लादेश की जनता ने सपना देखा था कि उनके हटने के बाद लोकतंत्र मजबूत होगा लेकिन आज एक साल बाद सच्चाई इससे कहीं दूर दिखती है. बांग्लादेश के अंतरिम नेता यूनुस चुनाव से पहले लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती सुनिश्चित करना चाहते हैं लेकिन राजनीतिक दलों द्वारा कुर्सी के लिए होड़ के कारण प्रयास धीमे हो गए हैं. आंदोलन की पहली वर्षगांठ से पहले ह्यूमन राइट्स वॉच ने चेतावनी दी कि उनके सामने आने वाली चुनौतियां बहुत बड़ी हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है, "अंतरिम सरकार असुधारित सुरक्षा क्षेत्र, कभी-कभी हिंसक धार्मिक कट्टरपंथियों और राजनीतिक समूहों के साथ फंसी हुई दिखाई देती है, जो बांग्लादेशियों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय हसीना के समर्थकों पर प्रतिशोध लेने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं."