- बाबा वेंगा ने 2043 तक रोम के केंद्र में एक खलीफा के शासन की भविष्यवाणी की थी
- वेंगा के अनुसार 2044 तक यूरोप की पूरी आबादी समाप्त हो जाएगी और महाद्वीप लगभग बंजर और निर्जन हो जाएगा
- बाबा वेंगा का जन्म 1911 में नॉर्थ मैसेडोनिया में हुआ था और वे बाल्कन की नास्त्रेदमस के नाम से प्रसिद्ध थीं
क्या आज जिस रोम के बीच में बसे वेटिकन सिटी में कैथलिक चर्च का हेडक्वाटर है, जहां पोप रहते हैं, उसी रोम में 18 साल बाद एक खलीफा राज कर रहा होगा? क्या 19 साल बाद आज के यूरोप की शक्ल-सूरत बदल जाएगी, कहां लगभग सारी आबादी खत्म हो जाएगी? यह भविष्यवाणी किसी और ने नहीं बल्कि बाबा वेंगा ने किया है. दरअसल भविष्य देखने वालों में दुनिया में अभी सबसे बड़ा नाम नास्त्रेदमस को माना जाता है. वहीं दूसरा नाम "बाल्कन की नास्त्रेदमस" कहीं जाने वालीं बाबा वेंगा का आता है. अगर इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक एंड सीरिया के आतंक को लेकर बाबा वेंगा कि भविष्यवाणी आपको बताएंगे तो एक बार को आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बुल्गारिया की मशहूर रहस्यवादी बाबा वेंगा की कई भविष्यवाणियां सही साबित होती हैं.
इस्लामिक स्टेट पर बाबा वेंगा की भविष्यवाणी
द न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार वेंगा ने "ग्रेट मुस्लिम वॉर" के बारे में बात की थी. इन डरा देने वाली भविष्यवाणियों में 2016 में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा यूरोप पर आक्रमण की चेतावनी दी गई थी. उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि एक संघर्ष 2010 में अरब स्प्रिंग के साथ शुरू होगा, जो सीरिया में होगा, जहां "मुसलमान यूरोपीय लोगों के खिलाफ केमिकल युद्ध का उपयोग करेंगे," और 2043 तक रोम के केंद्र में एक खलीफा को बैठाया जाएगा. माना जाता है कि वेंगा का इशारा इस्लामिक स्टेट के आतंक की ओर ही था.
कौन थीं बाबा वेंगा
सबसे पहले आपको यह बताते हैं कि बाबा वेंगा एक महिला थीं. बाबा वेंगा को "बाल्कन की नास्त्रेदमस" के रूप में जाना जाता है. बाबा बेंगा का असली नाम वांगेलिया पांडेवा दिमित्रोवा था. उनका जन्म आज के नॉर्थ मैसेडोनिया में साल 1911 में हुआ था. 12 साल की उम्र में ही एक बवंडर की वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. उनके मानने वालों का कहना है कि इसके बाद उन्हें भविष्य देखने की शक्ति मिल गई थी. उनकी उम्र 30 की भी नहीं हुई थी कि वो भविष्यवाणियों और उपचार करने में मशहूर हो गई थीं. ख्याति भी इतनी कि आम लोग ही नहीं, बुल्गारिया के राजा बोरिस तृतीय और सोवियत नेता लियोनिद ब्रेजनेव जैसे दिग्गज भी उनसे सलाह लेने आते थे.